फसल बीमा सप्ताह: किसानों को जागरूक करने का अवसर
05 दिसंबर 2025, इंदौर: फसल बीमा सप्ताह: किसानों को जागरूक करने का अवसर – इस वर्ष फसल बीमा सप्ताह रबी 2025-26 के लिए 1 दिसंबर से 7 दिसंबर 2025 तक चलेगा। वस्तुतः फसल बीमा सप्ताह किसानों से सीधे जुड़ने, योजना को सरल भाषा में समझाने और उन्हें उपलब्ध सुरक्षा कवच के बारे में जागरूक करने का एक अवसर है।
फसल बीमा सप्ताह – किसी एक निश्चित तारीख से शुरू नहीं होता, बल्कि यह प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत जागरूकता फैलाने के लिए खरीफ और रबी मौसमों से पहले हर साल अलग-अलग समय पर आयोजित किया जाता है। ‘फसल बीमा सप्ताह’ अभियान के रूप में खरीफ 2021 से शुरू हुआ था। रबी 2025-26 के लिए यह 1 दिसंबर से 7 दिसंबर 2025 तक चलेगा ,जिसका उद्देश्य किसानों को योजना की जानकारी देना , इसके लाभों और आवेदन प्रक्रिया की जानकारी देना ,ताकि वे मौसम की मार से अपनी फसल की सुरक्षा कर पंजीकरण करवा सकें। इस दौरान ‘फसल बीमा पाठशाला’ जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से किसानों का बीमा भी किया जाता है।
फसल बीमा का इतिहास : स्वतंत्रता-पूर्व काल में फसल बीमा का इतिहास मुगल सम्राट अकबर द्वारा लागू किए गए दसुरी कर से शुरू होता है । 1920 से 1947 तक कुछ योजनाएं चलाई गईं और वित्तीय कठिनाइयों के कारण बंद कर दी गईं। स्वतंत्रता के बाद, 1972-78 के दौरान प्रायोगिक फसल बीमा योजनाओं का परीक्षण किया गया। व्यापक फसल बीमा योजना (सीसीआईएस) 1985 से शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य सूखा, बाढ़ आदि के कारण फसल बर्बाद होने की स्थिति में किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना था। प्रोफेसर वी. एम. दांडेकर को भारत में फसल बीमा के जनक” के रूप में जाना जाता है। अब यह यह प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नाम से संचालित है।
फसल बीमा योजना के लाभ – यह योजना न सिर्फ फसल को सुरक्षा देती है, बल्कि किसानों के आत्मविश्वास, आय स्थिरता और निवेश क्षमता को भी मजबूत बनाती है। सुरक्षित किसान, समृद्ध कृषि और सशक्त ग्रामीण अर्थव्यवस्था, यही है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लक्ष्य। इस फसल बीमा योजना का उद्देश्य किफायती फसल बीमा उपलब्ध कराकर कृषि उत्पादन को समर्थन प्रदान करना है, ताकि बुवाई से पूर्व से लेकर कटाई के बाद तक के चरण में, सूखा , बाढ़ , ओला वृष्टि और बेमौसम बारिश जैसी प्राकृतिक आपदाओं से फसल को हुई हानि की दशा में ‘क्षेत्र दृष्टिकोण आधार’ पर, सभी गैर-रोकथाम योग्य प्राकृतिक जोखिमों के विरुद्ध किसानों की फसलों के लिए व्यापक जोखिम कवर किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है। इसके अलावा किसानों को आधुनिक और वैज्ञानिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है साथ ही किसानों को बैंक ऋण आसानी से प्राप्त करने में भी मदद करता है।
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