मध्यप्रदेश में कृषि और एआई का संगम: आईआईटी इंदौर में ‘एग्रीहब’ की शुरुआत
01 फ़रवरी 2025, भोपाल: मध्यप्रदेश में कृषि और एआई का संगम: आईआईटी इंदौर में ‘एग्रीहब’ की शुरुआत – मध्यप्रदेश में कृषि क्षेत्र को आधुनिक तकनीकों से जोड़ने की दिशा में एक अहम पहल हुई है। आईआईटी इंदौर में 27 जनवरी 2025 को ‘एग्रीहब’ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) का शुभारंभ किया गया। यह केंद्र कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), मशीन लर्निंग (ML) और उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग (HPC) जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग कर कृषि नवाचार को बढ़ावा देगा। इस अवसर पर भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी सचिव एस. कृष्णन, आईसीएआर-सीआईएई भोपाल के निदेशक डॉ. सी.आर. मेहता, सी-डैक महानिदेशक मंगेश एथिराजन और आईसीएआर-आईआईएसआर इंदौर के निदेशक डॉ. कुँवर हरेंद्र सिंह उपस्थित रहे।
तकनीक से कृषि को नई दिशा
मुख्य अतिथि एस. कृष्णन ने कहा कि यह परियोजना कृषि क्षेत्र में एआई और उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग जैसी उन्नत तकनीकों के प्रभाव को दर्शाती है। उनका मानना है कि स्टार्ट-अप्स और पारंपरिक उद्योगों के सहयोग से आधुनिक तकनीकों को अपनाने में तेजी आएगी, जिससे किसानों की आय बढ़ाने और कृषि उत्पादकता सुधारने में मदद मिलेगी।
मध्यप्रदेश सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय दुबे ने इस पहल को कृषि संबंधी चुनौतियों के समाधान की दिशा में एक ठोस प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि ड्रोन और जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम (GIS) जैसी तकनीकों का किसानों के लिए अधिक प्रभावी उपयोग किया जा सकता है।
क्या है एग्रीहब?
आईआईटी इंदौर में स्थापित एग्रीहब एक बहु-संस्थागत पहल है, जिसका उद्देश्य कृषि में अनुसंधान और नवाचार को गति देना है। यह केंद्र शोधकर्ताओं, कृषि विशेषज्ञों और किसानों के लिए एक समन्वय मंच के रूप में कार्य करेगा। यहाँ स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देने, छात्रों के मार्गदर्शन, उद्यमिता कार्यशालाओं और पेटेंट विकास जैसी गतिविधियों को प्राथमिकता दी जाएगी।
परियोजना की मुख्य विशेषताएँ:
- स्टार्ट-अप्स के लिए इनक्यूबेशन और नवाचार
- उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग (HPC) और क्लाउड तकनीक का उपयोग
- डेटा-संचालित कृषि और प्रिसीजन फार्मिंग
- कृषि में एआई आधारित रोग निदान प्रणाली
- बिग डेटा और जीनोमिक्स अनुसंधान द्वारा नई फसल किस्मों का विकास
- किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालाएँ
- स्मार्ट फार्म प्रबंधन और ड्रोन आधारित फसल निगरानी प्रणाली
आईआईटी इंदौर और सी-डैक पुणे मिलकर इस परियोजना के तहत एक उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग सिस्टम स्थापित करेंगे। इसका उपयोग सूखा-प्रतिरोधी फसलों, एआई-आधारित फसल रोग निदान और स्मार्ट फार्म प्रबंधन के लिए किया जाएगा। इस तकनीक से किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने और उत्पादन में सुधार करने में मदद मिलेगी।
आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रो. सुहास जोशी ने बताया कि यह परियोजना जीनोमिक्स अनुसंधान और बिग डेटा एनालिटिक्स के जरिए कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकती है। हाई-थ्रूपुट अनुक्रमण (High-Throughput Sequencing) जैसी तकनीकों के जरिए ऐसी फसल किस्में विकसित की जाएँगी, जो विपरीत जलवायु परिस्थितियों में भी अधिक उत्पादन दे सकें। यह तकनीक किसानों के लिए लाभदायक होगी क्योंकि इससे वे कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकेंगे।
सरकार और उद्योगों की भागीदारी
एग्रीहब परियोजना को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पाँच वर्षों तक वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। इसके बाद, यह केंद्र आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर होगा और कृषि-तकनीकी स्टार्टअप्स, उद्योगों के सहयोग और पेटेंट आधारित राजस्व मॉडलों के जरिए अपनी गतिविधियों को जारी रखेगा।
इस परियोजना से कृषि डेटा एनालिटिक्स और एचपीसी-आधारित निर्णय प्रणाली में प्रशिक्षित डेटा वैज्ञानिकों और प्रोग्रामर्स की मांग बढ़ेगी। इसके मद्देनजर, एग्रीहब प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालाओं का आयोजन करेगा, जिससे छात्रों और तकनीकी विशेषज्ञों को आवश्यक कौशल हासिल करने के अवसर मिलेंगे।
आईआईटी इंदौर के प्रो. अरुणा तिवारी और प्रो. पवन कंकर इस परियोजना का नेतृत्व कर रहे हैं। प्रो. तिवारी के अनुसार, यह सेंटर शोधकर्ताओं, किसानों और उद्योगों के बीच सहयोग को मजबूत करेगा और कृषि क्षेत्र के लिए नए तकनीकी समाधान विकसित करने पर ध्यान देगा।
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