छिंदवाड़ा में जलवायु अनुकूल कृषि को मिला बढ़ावा, 50 किसान हुए शामिल
05 अक्टूबर 2024, छिंदवाड़ा: छिंदवाड़ा में जलवायु अनुकूल कृषि को मिला बढ़ावा, 50 किसान हुए शामिल – जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए, ग्राम बड़ाबोह विकासखंड हर्रई में एक दिवसीय प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में लगभग 50 किसानों ने भाग लिया। बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया और कृषि विभाग छिंदवाड़ा के संयुक्त प्रयास से आयोजित इस कार्यक्रम में किसानों को जलवायु अनुकूल कृषि की नवीनतम तकनीकों से अवगत कराया गया।
कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने किसानों को हैप्पी सीडर मशीन और जीरो टिलेज तकनीक का उपयोग करके मक्का की बुवाई के फायदे बताए। इन तकनीकों से सिंचाई के पानी की बचत होती है, मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और प्रदूषण कम होता है। इसके अलावा, किसानों को नरवाई न जलाने के महत्व पर भी जोर दिया गया। विशेषज्ञों ने बताया कि नरवाई को खेत में ही छोड़ देने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और पानी की धारण क्षमता भी बढ़ जाती है।
श्री दीपेंद्र सिंह ठाकुर ( बिसा जबलपुर) ने कहा कि “सभी किसानों को नरवाई नहीं जलाना चाहिए। नरवाई जलाने से मिट्टी की उर्वरता कम होती है और प्रदूषण बढ़ता है।” साथ ही हैप्पी सीडर के उपयोग का तरीका और रखरखाव और फायदे बताए साथ ही जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के बारे में संपूर्ण जानकारी दी और उसके सिद्धांतों को किसानों को समझाया। श्री रमेश पवार (आत्मा परियोजना) ने कहा कि “फसल प्रबंधन के लिए नवीनतम तकनीकों को अपनाना बहुत जरूरी है। यह कार्यक्रम जलवायु अनुकूल कृषि को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस तरह के कार्यक्रमों से किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों के बारे में जागरूक किया जा सकता है और उन्हें अधिक उत्पादक और टिकाऊ कृषि करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।”
कार्यक्रम में शामिल किसान श्री गणेश नागवंशी, श्री प्रमोद , श्री अशोक, श्री सुखदयाल, मेहता बाई और कौशल्या बाई ने इस कार्यक्रम को बेहद उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से उन्हें जलवायु अनुकूल कृषि के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला है और वे इन तकनीकों को अपनी खेती में अपनाएंगे। कृषि विस्तार अधिकारी श्रीमती कमलेश्वरी ने किसानों को विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी। इन योजनाओं का उद्देश्य किसानों को आधुनिक कृषि उपकरण और तकनीकों को अपनाने में मदद करना है।
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