राज्य कृषि समाचार (State News)

पांढुर्ना मंडी में अव्यवस्थाओं का आलम

27 नवम्बर 2023, पांढुर्ना(उमेश खोड़े, पांढुर्ना): पांढुर्ना मंडी में अव्यवस्थाओं का आलम – नव गठित पांढुर्ना जिले का कलेक्टर कार्यालय फिलहाल अस्थायी रूप से कृषि उपज मंडी परिसर में लग रहा है। यहाँ की मंडी में कई अव्यवस्थाएं हैं। किसानों के लिए कैंटीन की भी कोई  व्यवस्था नहीं है। कृषक विश्राम भवन को भी कई वर्षों से विधान सभा चुनाव के लिए स्ट्रांग रूम बना रखा है।  ऐसे में किसानों को मजबूरन शेड में ज़मीन पर बैठकर घर से लाए भोजन को खाना पड़ता है। समिति द्वारा तुलाई की दरें भी सार्वजनिक नहीं  किए जाने से व्यापारियों द्वारा किसानों से मनमानी राशि ली जाती है। किसानों ने जिला बनने के बाद मंडी की अव्यवस्थाओं को अति शीघ्र दूर करने की मांग की है।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा पांढुर्ना को जिला बनाने की घोषणा की थी और मंडी परिसर में अस्थायी रूप से कलेक्टर कार्यालय स्थापित करके कलेक्टर श्री अजय देव शर्मा और पुलिस अधीक्षक श्री राजेश त्रिपाठी की पदस्थापना भी कर दी गई थी। मुख्यमंत्री ने 7 अक्टूबर को नए कलेक्टर कार्यालय का लोकार्पण किया था। नया कलेक्टोरेट  बनने तक यह मंडी परिसर से ही संचालित होगा।

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पांढुर्ना मंडी में बुधवार को मक्का की फसल बेचने आए पाठई के श्री मोहित उइके ने कृषक जगत को बताया कि मक्के का 1902 रु / क्विंटल का भाव मिला। यहां किसानों के लिए कैंटीन की कोई व्यवस्था नहीं है , इसलिए किसानों को मजबूरन यहां बने एक छोटे शेड के नीचे ज़मीन पर  बैठकर घर से लाया भोजन करना पड़ता है। पाठई के ही अन्य किसान श्री गुलाब  विश्वकर्मा  ने बताया कि उनकी  मक्का 2 हज़ार रु क्विंटल बिकी । यहाँ  कैंटीन के साथ ही बैठने की व्यवस्था नहीं होने से किसानों को बहुत परेशानी होती है। तुलाई की दरें भी अलग -अलग ली जाती है। कवड़िया के किसान श्री सनवानी कुमरे  की सोयाबीन 4650 रु /क्विंटल बिकी। जबकि ढोलनखापा  की रामरती पराडकर को मक्का का मूल्य दो हज़ार से अधिक मिला। मोरगोंदी  के श्री अमरलाल  सिरसाम की मूंगफली 7715 के भाव से बिकी।  इन सभी किसानों ने मंडी में कैंटीन नहीं होने , बैठने की और पेय जल की समुचित व्यवस्था नहीं होने की भी शिकायत की। किसानों ने अन्य मंडियों की तरह यहां भी किसानों को रियायती दर पर भोजन उपलब्ध कराने की मांग की।

नवागत मंडी सचिव श्री दिनेश लोखंडे ने कृषक जगत को बताया कि मंडी परिसर में पहली मंजिल  के सभी कमरों को कलेक्टर कार्यालय के लिए अधिग्रहित किया गया है। मंडी कार्यालय भू तल पर  है। किसान भवन को भी स्ट्रांग रूम बना दिया गया है। माल तुलाई में वजन की दरों को समिति के निर्णय के आधार पर तय किया जाता है। वहीं सहायक उप निरीक्षक श्री जे वी उपासे ने बताया कि सी श्रेणी की इस मंडी में कैंटीन के लिए कोई ठेकेदार  तैयार नहीं होते हैं, क्योंकि वर्ष में  सिर्फ खरीफ और रबी में दो माह की अवधि में ही ज़्यादा किसान इस मंडी में आते हैं, अन्यथा  कपास के लिए सौंसर मंडी और मक्का , मूंगफली आदि फसल बेचने के लिए किसान चौराई और छिंदवाड़ा मंडी जाते हैं। पानी की कमी के कारण इस क्षेत्र में गेहूं की फसल कम होती है।

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