राज्य कृषि समाचार (State News)

पराली जलाने से पर्यावरण और कोरोना पीड़ित होंगे प्रभावित

पराली जलाने से पर्यावरण और कोरोना पीड़ित होंगे प्रभावित

इंदौर(कृषक जगत): प्रदेश में गेहूं की फसल कटते ही खेतों में बचे अवशेष यानी पराली (नरवाई) जलाने की घटनाएं प्रकाश में आने लगी हैं। हर साल ऐसा ही होता है। लेकिन इस वर्ष मामला दूसरा है। कोरोना के कारण जारी लॉकडाउन के चलते वाहनों के आवागमन और कारखाने बंद होने से पर्यावरण में सुधार दिखाई दे रहा है। फिर भी पराली को जलाया जा रहा है।इससे पर्यावरण के फिर बिगड़ने की आशंका है।

प्रदेश की राजधानी भोपाल सहित राज्य में कई जगहों पर पराली जलाने के मामले सामने आए हैं। इस बारे में मौसम विज्ञान केंद्र भोपाल के मौसम वैज्ञानिक डाक्टर गुरुदत्त मिश्रा ने कोलार और इसके आसपास के इलाकों में पराली जलाने से जले हुए अवशेषों के उडकर घर में आने की शिकायत की है।श्री मिश्रा ने कहा कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है और मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी कम हो जाती है।ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन भी होता है।इसलिये उन्होंने पराली नहीं जलाने की अपील की है।

उल्लेखनीय है कि पर्यावरण पर बढ़ते खतरे को देखकर सर्वोच्च अदालत ने पराली जलाने पर रोक लगाई हुई है,फिर भी इसका उल्लंघन जारी है।इससे आगजनी की घटनाएं बढ़ जाती है। यूँ तो हर साल इन दिनों पराली जलाए जाने का मुद्दा उठता है और चंद दिनों बाद मामला ठण्डा पड़ जाता है। लेकिन इस साल हालात जुदा है। लेकिन कोरोना के कारण जारी लॉक डाऊन के चलते कारखाने और वाहन बंद है,इस कारण पर्यावरण में सुधार हुआ है। हवा के साथ ही नदियों के जल और वातावरण में स्वच्छता आई है। वायु प्रदूषण कम हुआ है।लेकिन पराली जलाने से पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा ।

स्मरण रहे कि पराली जलाने से कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा पर्यावरण में बढ़ जाती है ।इसका पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। कोरोना संक्रमित लोगों की तकलीफ बढ़ जाएगी। डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना से लड़ने के लिये फेफडों का मजबूत होना जरुरी है। बता दें कि कोरोना से होने वाली अधिकांश मौतों में अस्थमा और साँस सम्बन्धी बीमारी वाले लोगों की संख्या ज्यादा है। ऐसे में पराली जलाए जाने की घटनाओं को सख्ती से रोकने तथा इसके वैकल्पिक त्वरित उपायों पर अमल करने की जरुरत है, ताकि जैसे-तैसे पर्यावरण में आए सुधार पर कोई बुरा असर न पड़े ।

Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *