दलहनी, तिलहनी एवं सब्जी फसलों पर कीट नियंत्रण के जैविक उपाय
29 जनवरी 2025, सीहोर: दलहनी, तिलहनी एवं सब्जी फसलों पर कीट नियंत्रण के जैविक उपाय – इस समय दलहनी, तिलहनी एवं सब्जी फसलों में रस चूसक कीट माहू, मच्छर, लीफ माइनर, छोटी-बड़ी इल्ली का प्रकोप देखा जा रहा है। इन पर नियंत्रण आवश्य करें। कृषि वैज्ञानिक के अनुसार नीमास्त्र रस चूसक कीट, लीफ माइनर, छोटी इल्लियों के नियंत्रण के लिए 5 किग्रा नीम की हरी पत्तियों या 5 किग्रा सूखी निंबोली को पीसकर 100 लीटर पानी में मिलाएं। 5 लीटर गौमूत्र एवं देशी गाय का 1 किग्रा गोबर मिला लें व लकड़ी से घोलकर, ढक्कन ढंककर 48 घंटे तक रखें, दिन में 2-3 बार घोल को चलाएं। 48 घंटे बाद कपड़े से छानकर प्रति एकड़ छिड़काव करें।
कृषि वैज्ञानिक के अनुसार ब्रह्मास्त्र, बड़ी इल्लियों व सुंडियों के नियंत्रण के लिए 10 लीटर गोमूत्र में 3 किग्रा नीम की पत्ती, 2 किग्रा करंज की पत्ती, 2 किग्रा सीताफल के पत्ते, 2 किग्रा सफेद धतूरे के पत्ते पीसकर डालें। इन सभी को गौमूत्र में घोलें व ढककर उबालें। 3-4 उबाल आने के बाद रख दें व 48 घंटे तक ठण्डा होने दें। बाद में कपड़े से छान लें। इसके 2 से 2.5 लीटर घोल को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें । आग्नेयास्त्र,यह पेड़ के तनों व डंठलों में रहने वाले कीड़ों, सुंडियों व इल्लियों पर नियंत्रण के लिए 10 लीटर गौमूत्र में 500 ग्राम हरी मिर्च, 500 ग्राम लहसुन, 5 किग्रा नीम के पत्ते पीसकर डालें। लकड़ी के डंडे से घोलें व उबालें, 4-5 उबाल आने पर उसे रख दें व 48 घण्टे तक ठण्डा होने दें। बाद में कपड़े से छान लें। इसके 2 से 2.5 लीटर घोल को 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें।
कृषि वैज्ञानिक के अनुसार पंचगव्य गाय के गोबर, घी और गुड़ को पूरी तरह मिलाकर एक घड़े में रखें और शेष सभी सामग्री को एक-एक कर मिला दें। 3 लीटर पंचगव्य को 100 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़कें।दशपर्णी अर्क बड़ी सुंडियों व इल्लियों के नियंत्रण के लिए गोबर- गौमूत्र को पानी में घोलकर 2 घंटे के लिए रख दें। हल्दी का पाउडर, अदरक की चटनी व हींग के पाउडर को अच्छी प्रकार मिलाकर 24 घंटे के लिए छाया में रखें। इस मिश्रण को हिलाकर, सोंठ पाउडर, तम्बाकू का पाउडर, तीखी मिर्च व देशी लहसुन अच्छी प्रकार मिलाकर 24 घंटे के लिए रख दें। पौधों के पत्तों को इस मिश्रण में दबा दें। मिश्रण को बोरी से ढककर 30-40 दिन के लिए रख दें व इसे सुबह-शाम घोलें। 6-8 लीटर अर्क को 200 ली. पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें।
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