छोटे किसानों को बड़ा सहारा: मध्यप्रदेश में फूलों की खेती बन रही है लाभ का धंधा
22 जुलाई 2025, भोपाल: छोटे किसानों को बड़ा सहारा: मध्यप्रदेश में फूलों की खेती बन रही है लाभ का धंधा – मध्यप्रदेश में छोटे किसानों की जिंदगी अब बदल रही है — खेतों में फसल के साथ उम्मीदें भी खिल रही हैं। यह बदलाव सिर्फ कृषि तकनीक का नहीं, बल्कि राज्य और केन्द्र सरकार की दूरदर्शी नीतियों का परिणाम है, जिसने कैश-क्रॉप्स विशेषकर फूलों की खेती को बढ़ावा देकर छोटे किसानों की आमदनी में क्रांतिकारी सुधार किया है।
सरकारी नीतियों का असर: रक़बे में बढ़ोत्री
राज्य के उद्यानिकी विभाग के अनुसार, 2021-22 में फूलों की खेती 37,647 हेक्टेयर में की जा रही थी, जो 2024-25 में बढ़कर 42,978 हेक्टेयर हो गई है। इस अवधि में उत्पादन में 86,294 टन की वृद्धि दर्ज की गई। यह दर्शाता है कि सरकार की नीतियों का सीधा लाभ किसानों को मिला है।
लघु एवं सीमांत किसानों पर विशेष फोकस
एक-दो एकड़ भूमि वाले किसानों के लिए फूलों की खेती लाभकारी साबित हो रही है। सरकार उन्हें पारंपरिक फसलों की तुलना में ज्यादा आय देने वाली फूलों की खेती के लिए प्रेरित कर रही है। तकनीकी मार्गदर्शन, उन्नत बीज, और सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराकर छोटे किसानों की लागत घटाई जा रही है और मुनाफा बढ़ाया जा रहा है।
स्थानीय उदाहरण, वैश्विक संदेश
भोपाल के पास की ग्राम पंचायत बरखेड़ा बोदर की श्रीमती लक्ष्मीबाई कुशवाह अब धान, गेहूं छोड़कर गुलाब, जरबेरा और गेंदा की खेती कर रही हैं। सरकारी सहयोग और प्रशिक्षण के बल पर वे हर महीने तीन से चार लाख रुपये तक की आमदनी अर्जित कर रही हैं। वे बताती हैं, “सरकारी ट्रेनिंग और फूलों के बीज ने मेरी किस्मत बदल दी।”
विभागीय प्रयास: प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग
राज्य के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा हाइटेक नर्सरी, किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम, और बाजार से जोड़ने के लिए क्लस्टर आधारित योजनाएं लागू की जा रही हैं। पिछले वर्ष उद्यानिकी फसलों का रकबा 14,438 हेक्टेयर बढ़ा, जिसमें 5,329 हेक्टेयर फूलों का योगदान है।
ग्वालियर में बन रही हाइटेक फ्लोरीकल्चर नर्सरी
छोटे किसानों को वैश्विक तकनीक से जोड़ने हेतु ग्वालियर में 13 करोड़ रुपये की लागत से एक हाइटेक फ्लोरीकल्चर नर्सरी स्थापित की जा रही है। इस नर्सरी से किसानों को गुणवत्तायुक्त पौध सामग्री, प्रशिक्षण एवं नवीनतम तकनीकों की जानकारी प्राप्त होगी।
कैश-क्रॉप की ओर झुकाव
कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने की दिशा में फूलों की खेती सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। इसका उद्देश्य है – किसानों की आमदनी दोगुनी करना, विशेषकर उन किसानों की जिनकी भूमि सीमित है और जो परंपरागत खेती से सीमित आय प्राप्त करते हैं।
निर्यात का द्वार भी खुला
गुना जिले के गुलाबों की खुशबू अब न सिर्फ दिल्ली, जयपुर, मुंबई बल्कि पेरिस और लंदन तक पहुँच रही है। यह अंतरराष्ट्रीय मांग उन नीतियों का परिणाम है, जो कृषि निर्यात को सशक्त बनाने पर केंद्रित हैं।
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा छोटे किसानों को केन्द्र में रखकर तैयार की गई पुष्प-क्रांति नीति से किसानों को नए अवसर मिल रहे हैं। यह नीतियाँ केवल फूलों की खेती को प्रोत्साहन नहीं देतीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्थायित्व और किसानों को आत्मनिर्भरता की राह पर ला रही हैं।अब फूलों से सिर्फ पूजा नहीं, भविष्य भी रचा जा रहा है।
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