गाजर घास पर जागरूकता सत्र आयोजित
24 अगस्त 2022, इंदौर: गाजर घास पर जागरूकता सत्र आयोजित – 17 वें गाजर घास जागरूकता सप्ताह के तहत भा.कृ.अनु.प – भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान,इंदौर में जागरूकता सत्र का आयोजन किया गया। जिसमें गाजर घास से होने वाली समस्याओं एवं नियंत्रण के बारे में संस्थान के कर्मिकों को जानकारी दी गई ।
संस्थान के वैज्ञानिक डॉ राकेश कुमार वर्मा द्वारा गाजर घास से होने वाली समस्याओं एवं नियंत्रण के बारे में संस्थान के कर्मिकों को जानकारी देते हुए कहा कि वर्षा ऋतु में गाजर घास को फूल आने से पहले ही जड़ से उखाड़ कर कम्पोस्ट एवं वर्मी कम्पोस्ट बनाना चाहिए तथा घर के आस पास एवं संरक्षित क्षेत्रों में गेंदे के पौधे लगाकर इसके फैलाव एवं वृद्धि को नियंत्रित किया जा सकता है । इसी श्रंखला में उन्होंने रासायनिक विधि द्वारा अकृषित क्षेत्रों में शाकनाशी रसायन ग्लायफोसेट तथा मेट्रीब्युजिन का फूल आने से पहले उपयोग करने की सलाह दी गई ।
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उल्लेखनीय है कि गाजरघास / पार्थेनियम को देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जिसका दुष्प्रभाव मुख्य रूप से फ़सलों के उत्पादन में कमी तथा मनुष्यों में चर्म रोग, दमा, एलर्जी आदि जैसी बीमारियों के रूप में देखने को मिलता है । इससे निराकरण पाने हेतु संपूर्ण देश भर में 16 से 22 अगस्त के बीच जागरूकता सप्ताह कार्यक्रम का आयोजन किया गया । विगत वर्षों में खाद्यान्न फ़सलों, सब्जियों एवं उद्यानों में इसका प्रकोप तेज़ी से बढ़ता हुआ पाया गया है ।
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