अपनी आदतें सुधारकर हार्ट की बीमारियों से बचा जा सकता है : डॉ.बिमल छाजेड़
29 सितम्बर 2022, भोपाल: अपनी आदतें सुधारकर हार्ट की बीमारियों से बचा जा सकता है : डॉ.बिमल छाजेड़ – दिल से जुड़ी बीमारियों के कारण आज भी दुनियाभर के तमाम देशों में लोगों की मौतें होना काफी आम है हार्ट पेशंट की संख्या की बात जाए तो भारत इस मामले में सबसे ऊपर है और चिंता की बात ये है कि यहां हर गुजरते दिन के साथ दिल के मरीज बढ़ ही रहे हैं। एक अनुमान के हिसाब से देश में करीब 8.10 करोड़ हार्ट पेशंट हैं और इससे जुड़े रोगों के कारण हर 10 सेकंड में एक मरीज की मौत हो जाती है। इस हिसाब से भारत में हार्ट डिसीज़ के कारण हर दिन 9 हजार मौतें और हर साल 30 लाख मौतें हो जाती हैं। ये कहना गलत नहीं होगा कि कार्डियोलॉजी का विज्ञान नाकाम हो रहा है।
साओल और पुण्य लाइफ फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. बिमल छाजेड़ ने बताया कि 90 के शुरुआती दशक में दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में हार्ट पेशंट को देखते हुए मैंने ये देखा कि जो भी इस तरह का मरीज अस्पताल आया उसे राहत तो मिल जाती थी लेकिन कुछ वक्त बाद वो फिर से उन्हीं लक्षणों के साथ वापस आते थे। एक यंग डॉक्टर होने के नाते मैं ये सोचने लगा कि आखिर कहां चूक हो रही है। मैं सोचने लगा कि क्या मेडिकल साइंस की कमी है या मेरी जांच.पड़ताल और दवाई की कमी है। काफी सोच.विचार करने और परखने के बाद मुझे ये अंदाजा हुआ कि ज्यादातर मरीजों को बीमारी की जानकारी और उसके कारणों का ही नहीं पता था। इसलिए वो फिर से लाइफस्टाइल से जुड़ी वही गलतियां दोहराते थे, जिन्हें वो पहले करते आ रहे थे, इसी वजह से उनकी दिक्कतें कम नहीं हो रही थीं।
डॉ. बिमल ने बताया कि मरीजों के जानकारी के अभाव की समस्या को दूर करने के लिए मैंने ट्रायल बेस पर कुछ काम करना शुरू किया। जितने भी मरीज मेरे पास आते थे, मैंने उन्हें हार्ट के बारे में जानकारी देना स्टार्ट कर दी, उनकी बॉडी के बारे में बताया, साथ ही लाइफस्टाइल और रोजमर्रा के रुटीन को लेकर एजुकेट किया। मैं अपने मरीज के साथ 30.45 मिनट लगाता था, और ये सिलसिला चलता रहा। मैंने अपनी रिसर्च के मकसद से करीब 100 मरीजों के साथ इस तरह के अवेयरनेस सेशन किए। कमाल की बात ये रही कि मरीजों की मेडिकल कंडीशन में बहुत ही शानदार तरीके से सुधार होने लगा। इसके बाद जब मैं दिल्ली एम्स में अपनी सेवाएं देने लगा तो वहां भी मैंने मरीजों को एजुकेट करने का वही फॉर्मूला अपनाया। मैं इस बात से पूरी तरह सहमत था कि मरीजों को शिक्षित करने से ज्यादा बेहतर रिजल्ट आ सकते हैं। वैसे भी डॉक्टर शब्द लैटिन भाषा से आया है और इसका मतलब होता है वो स्कॉलर जो शिक्षित करता है। इसलिए मेरा मानना है कि डॉक्टर को पहले रोग को समझकर मरीज को उसके बारे में अवेयर करना चाहिएए फिर इलाज करना चाहिए। इस बार वल्र्ड हार्ट हेल्थ डे के अवसर पर मैं सभी डॉक्टर्स से ये अपील करूंगा कि वो अपने मरीजों के साथ वक्त बिताएं और उन्हें बीमारी के बारे में ठीक से जानकारी दें। हार्ट की बीमारियों से बचाने पर काम शुरू किया। ऐसा करते हुए मैंने एक फॉर्मूला इजाद किया जिनका नाम है साइंस एंड आर्ट ऑफ लिविंग।
वल्र्ड हार्ट हेल्थ डे के अवसर पर मैं आपको ये सुनिश्चित करना चाहता हूं कि लाइफस्टाइल को लेकर मरीजों को अवेयर करना, दवाई के साथ.साथ बेहद असरदार चीज है। ऐसा करने से हार्ट मरीजों को फिर से इस डिसीज़ के चंगुल में जाने से बचाया जा सकता है। एक बात याद रखिए कि जब तक आपको कार्डियोवस्कुलर ट्रीटमेंट या किसी सर्जरी से नहीं गुजरना पड़ता तब तक आप मरीज नहीं हैं क्योंकि तब तक आप ऐसे शख्स हैं जो अपने हालत को सामान्य बना सकते हैं। कार्डियोवस्कुलर डिसीज़ पूरी दुनिया में मौत का सबसे बड़ा कारण हैं। ज्यादातर कार्डियोवस्कुलर बीमारियों से कुछ गलत आदतें छोडक़र बचा जा सकता है। इनमें तंबाकू का सेवनए अनहेल्दी डाइट, मोटापा, फिजिकल एक्टिविटी न करना और शराब का सेवन जैसी आदते हैं जो हार्ट से जुड़ी बीमारियों को जन्म देती हैं। ये बेहद जरूरी है कि कार्डियोवस्कुलर रोगों की जल्द से जल्द पहचान कर ली जाए ताकि काउंसलिंग, एजुकेशन और सिंपल मेडिसिन से ही मरीज को बिना किसी रिस्क के ठीक किया जा सके। दिल से जुड़ी जानकारियां, स्वस्थ शरीर, और गलत लाइफस्टाइल से दूर रहकर हार्ट को स्वस्थ रखा जा सकता है। एक बार लोग इस सबके बारे में अवेयर हो जाएं तो फिर उन्हें पुण्य लाइफ फाउंडेशन के बनाए हुए एडुवैक्सीन जैसे फॉर्मूले से बहुत ही आसानी से ठीक किया जा सकता है।
पुण्य लाइफ फाउंडेशन के जरिए साओल का टारगेट अगले पांच सालों में भारत में 50 करोड़ लोगों तक पहुंचकर उन्हें फ्री एडु.वैक्सीन देना है। इसमें फ्री मेडिकल चेक.अप्स होंगे, साथ ही 10 मिनट का वीडियो होगा जो लोगों को ये समझाएगा कि कैसे वो अपने हार्ट को स्वस्थ रखें। इस साल पुण्य फाउंडेशन फ्री एडु.वैक्सीन पांच लाख से ज्यादा लोगों तक पहुंचने की उम्मीद है। डॉ.बिमल छाजेड़ का कहना है कि मैं हर भारतवासी से कहता हूं कि आज 10 मिनट का ब्रेक लें, किसी सुकून की जगह बैठें और अपनी पूरी दिनचर्या के बारे में सोचें, खाने की आदतों के बारे में सोचें, रिश्तों के बारे में सोचें और अपना स्ट्रेस लेवल देखें। अपने परिवार और उनके रोजमर्रा के कामकाज और लाइफस्टाइल के बारे में सोचें। मुझे यकीन है कि ऐसे करने से आप खुद.ब खुद हार्ट डिसीज़ को दूर करने के लिए पहला स्टेप उठा लेंगे और लाइफस्टाइल से जुड़ी दूसरी समस्याओं को भी अपने से दूर कर लेंगे।
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