State News (राज्य कृषि समाचार)

इंदौर की फूल मंडी में व्यापारियों की मनमानी, कटता है 10 फीसदी कमीशन

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21 अक्टूबर 2022, इंदौर: इंदौर की फूल मंडी में व्यापारियों की मनमानी, कटता है 10 फीसदी कमीशन – मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी फूल मंडी चोइथराम मंडी इंदौर में लगती है। जहां पर न केवल इंदौर के आसपास के बल्कि मालवा -निमाड़ तथा महाराष्ट्र के किसान भी अपने फूल बेचने के लिए आते हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों का आरोप है कि यहां व्यापारियों की मनमानी के कारण ना तो किसानों को उचित मोल मिलता है और ना ही तौल , बल्कि व्यापारी की दुकान पर माल रख कर बेचने पर उसे 10 फीसदी कमीशन देना पड़ता है।

संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक श्री रामस्वरूप मंत्री और श्री बबलू जाधव ने कृषक जगत को बताया कि पूरे देश में कहीं भी 10 फ़ीसदी कमीशन का कोई धारा नहीं है , बावजूद इसके इंदौर की फूल मंडी में व्यापारी मनमाने तरीके से किसानों से 10 फीसद कमीशन वसूल रहे हैं जबकि मंडी अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है । किसान जब अपनी उपज लेकर आए तो उसकी नीलामी में बिक्री होना चाहिए । लेकिन इंदौर की फूल मंडी में किसान व्यापारी की दुकान पर अपने माल का ढेर लगा देता है तथा वहां 2 किलो ,5 किलो ,10 किलो के हिसाब से पूरा फूल बेचता है । व्यापारी अपनी डायरी में उसकी इंट्री करते जाता है और जितना फूल बिकता है उस पर 10 फीसदी कमीशन काटकर बाकी पैसा किसान को दे देता है। इसे लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने मंडी सचिव को भी कई बार मौखिक और हाल ही में लिखित शिकायत भी की है। यदि इस मामले में मंडी प्रशासन द्वारा शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई तो मोर्चे द्वारा इसके खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। चोइथराम मंडी में हिंगोनिया खुर्द के किसान श्री संदीप बारोड़ गुलाब के फूल बेचने आए थे, जो 80 -100 रुपए किलो बिका जिसका 10 % कमीशन व्यापारी द्वारा काटा गया, लेकिन इसको बिल में नहीं दिखाया।उन्होंने कहा 10 % कमीशन बहुत ज़्यादा होता है। एक अन्य किसान ने भी गुलाब के फूल बेचे जो 100 रुपए किलो बिके। उनसे भी व्यापारी ने 10 % कमीशन काटा। किसानों ने यह प्रथा बंद करने की मांग की है।

इंदौर मंडी के सचिव श्री नरेश परमार ने कृषक जगत को बताया कि इस संबंध में किसानों की कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। यदि शिकायत मिलती है ,तो उचित कार्रवाई की जाएगी। श्री परमार ने स्पष्ट किया कि मंडी अधिनियम में फूलों की नीलामी का प्रावधान नहीं है, लेकिन नियोक्ता व्यापारी द्वारा नियुक्त आढ़तिया बिक्री पर अपनी आढ़त काट सकता है ,जो व्यापारी से ले सकता है ,किसान से नहीं। यह नियम सिर्फ इंदौर मंडी में ही नहीं , बल्कि देश की सभी मंडियों में लागू है।

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