राज्य कृषि समाचार (State News)

कपास उत्पादकों को सलाह, सुबह या शाम को ही करें बुवाई का काम

03 मई 2025, भोपाल: कपास उत्पादकों को सलाह, सुबह या शाम को ही करें बुवाई का काम – देश के कई किसान ऐसे भी है जो कपास का उत्पादन करते है। ऐसे ही किसानों को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के वैज्ञानिकों ने सलाह दी है और यह कहा है कि कपास की बुवाई का काम सुबह या फिर शाम को ही किया जाना चाहिए।

बुवाई से पहले किसानों को पलेवा यानी गहरी सिंचाई करनी चाहिए ताकि मिट्टी नम हो जाए जिससे अंकुरण अच्छा हो।

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अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए किसान कपास की बुवाई पूर्व से पश्चिम की ओर कतारें करनी चाहिए। कपास की बुवाई हमेशा कतार में करनी चाहिए जिसमें कतार से कतार की दूरी 100 x 45 से.मी. या 67.5 x 60 से.मी. रखी जा सकती है।

कपास की उन्नत किस्में : देसी कपास की किस्मों में HD-123, HD-432 को इस्तेमाल करने की सिफारिश की गई है। वहीं बीटी नरमा का केवल प्रमाणित बीज ही खरीदें और इसका दुकानदार से पक्का बिल अवश्य लें।

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बीज दर : किसानों को अमेरिकन कपास (रोंएदार) का प्रति एकड़ 8 से 10 किलोग्राम बीज का इस्तेमाल बुवाई के लिए करना चाहिए। वहीं अमेरिकन कपास (रोंए उतारे) के लिए 6 से 8 किलोग्राम बीज उपयोग करना चाहिए। इसी प्रकार देसी कपास (रोंएदार) के लिए 6 किलोग्राम व देसी कपास (रोंए उतारे) के लिए 5 किलोग्राम बीज का इस्तेमाल करना चाहिए।

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नरमा कपास का बीजोपचार : बुवाई से पहले नरमा–कपास के बीजों का उपचार अवश्य करना चाहिए। इससे रोगादि कम लगते हैं जिससे बेहतर पैदावार मिलती है। इसके बीजों को एमिशन 5 ग्राम, स्टेप्टोसाइक्लीन एक ग्राम, साक्सीनिक एक ग्राम, इन सबको 10 लीटर पानी में मिलाकर बीजो उपचार करना चाहिए।

अब रोंएदार बीज के लिए 6 से 8 घंटे तक उपचार करना चाहिए। वहीं रोंए उतारे बीज के लिए 2 घंटे बीज उपचार करना चाहिए। इस तरह बीजों को उपचारित करके बुवाई करने पर फसल को 40–45 दिन तक फफूंद और जीवाणुओं से बचाता है।

दीमक नियंत्रण के लिए

बीज को पहले दवाइयों से उपचारित करना चाहिए। इसके बाद छाया में सुखाना चाहिए। दीमक के बचाव के लिए 10 मि.ली. क्लोरपायरीफास 20 ई.सी. को 10 मि.ली. पानी प्रति किलो बीज से बीज का छिड़काव करना चाहिए।

इस तरह ऊपर बताए गए तरीके से नरमा या कपास की बुवाई करके किसान कम लागत में अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। किसानों को चाहिए कि कपास का बीज और दवाइयां केवल प्रमाणित स्त्रोतों से ही खरीदें, कपास की खेती से पहले एक बार मिट्टी की जांच अवश्य कराएं ताकि उसी के अनुसार फसल में खाद व उर्वरक का प्रयोग किया जा सके।

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