ग्रीष्मकालीन मूंग पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं : श्री पाण्डेय
22 मई 2023, सीहोर (कृषक जगत) । ग्रीष्मकालीन मूंग पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं : श्री पाण्डेय – ग्रीष्मकालीन मूंग के सर्वाधिक क्षेत्र भैरुदा विकासखंड में मूंग उत्पादन में कीटव्याधि की समस्या हल करने उप संचालक कृषि श्री के. के. पाण्डेय के मार्गदर्शन में कृषि विज्ञान केन्द्र, सेवनियां के वैज्ञानिकों ने ग्राम काकरिया, कोठरापिपलिया, हाथी घाट में भ्रमण करके किसानों को फसल में लगने वाले कीट व रोगों की जानकारी दी। इस दौरान वैज्ञानिक श्री दीपक कुशवाह ने कृषकों को बताया मूंग में सफेद, बैंगनी रंग की मारूका इल्ली का प्रकोप पाया गया है। यह इल्ली फसल के पुष्पों में रहती है जब पुष्प से फली का निर्माण होता है तब इल्ली फली के अन्दर दाने को नुकसान करके बाहर निकलती है, जिससे फसल को भारी मात्रा में आर्थिक नुकसान हो सकता है। इस प्रकार के कीट का प्रकोप दिखाई देने पर कृषक अनुशंसित कीटनाशक, टेट्रानिलिप्रोल 50 मिली/ एकड़+डेल्टामेथ्रिन 100 मिली/एकड़ या क्लोरोइंट्रानिलीप्रोल+ लेम्डासाइक्लोप्रिन 100 मिली/ एकड़ या बीटासाइक्लोथ्रिन+ इमिडाक्लोप्रिड 140 मिली/ एकड़ की दर से 150 ली. पानी में घोल बनाकर सुबह या शाम के समय छिडक़ाव करें। साथ ही वर्तमान समय में फसल पर पाउडरी मिल्डयू रोग का प्रकोप भी देखा जा रहा है इस रोग के कारण पौधों के पत्तों पर सफेद भूरा पाउडर जम जाता है इसके निदान हेतु किसान भाई टेबुकोनोजोल $ सल्फर 400 ग्राम/एकड़ की दर से छिडक़ाव करें। मूंग उत्पादन में अन्य कोई समस्या के लिए कृषि विभाग के मैदानी अधिकारियों या कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों से संपर्क करें।