हरे चारे की मरू भूमि में अपर सम्भावनाये: बिजेंद्र कोली
14 नवंबर 2024, भोपाल: हरे चारे की मरू भूमि में अपर सम्भावनाये: बिजेंद्र कोली – भारत सरकार के मत्स्य पशुपालन और डेयरी मंत्रलाय, के क्षेत्रीय चारा केन्द्र सूरतगढ़ श्रीगंगानगर द्वारा एक दिवसीय चारा उत्पादन पर प्रशिक्षण व जई बीज वितरण कार्यक्रम का आयोजन कृषि विज्ञान केन्द्र, पोकरण पर किया गया । जिसमे उन्नत चारा उत्पादन हेतु सन्तुलित खाद एंव उर्वरको का उपयोग पर किसानों को प्रशिक्षण दिया गया। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ दशरथ प्रसाद ने बताया कि शुष्क एवं अति शुष्क क्षेत्रो में हरे चारे के अभाव में पशुओं से पूरी क्षमता के साथ दूध उत्पादन नहीं हो पाता है एवं प्रदेश में पशुधन कृषि के लिए काफी उपयोगी है । उन्होंने चारा फसलों की आवश्यकता पर बल देते हुए बताया कि हरे चारे से पशुओं के दुग्धोत्पादन में वृद्धि होती है साथ ही उसका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।
क्षेत्रीय चारा केन्द्र सूरतगढ़ से के निदेशक श्री बिजेन्द्र कोली ने ज्वार, मक्का, अजोला, नेपियर घास, चारा बीट, कांटे रहित नागफनी और मोरिंगा चारे की खेती की प्रौद्योगिकियों , जई की उन्नत किस्मों, बुवाई का समय, सिंचाई, उर्वरक की मात्रा इत्यादि पर विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की । केन्द्र के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ राम निवास ने बताया कि पशुपालन के लिए हरे चारे की उपयोगिता, महत्व, आधुनिक चारा उत्पादन और संरक्षण प्रौद्योगिकियों के बारे में किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए जानकारी दी । पशुओं से आय बढ़ाने के लिए उन्हें वर्ष भर संतुलित आहार उपलब्ध कराना सबसे अहम है। पशुओं के उचित पोषण के लिए संतुलित आहार में हरे चारे के महत्व पर प्रकाश डाला। सस्य वैज्ञानिक डॉ के जी व्यास ने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों ने देश को खाद्यान्न से आत्मनिर्भर बना दिया है और अब पशुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
शिविर में कृषि वैज्ञानिक सुनील शर्मा ने बताया की किसान बरसीम, जई, ज्वार, लोबिया व वर्ष भर हरा चारा उपलब्ध करके किसान इसे बाजार में बेचकर अपनी आमदनी में इजाफा कर सकता है । उन्होंने किसानों से आह्वान करते हुए कहा कि अब उन्हें आय बढ़ाने के लिए पशु के रखरखाव के साथ उनके हरे चारे का भी प्रबंध करना होगा। कार्यक्रम में प्रगतिशील किसानों को चारा प्रदर्शन इकाई के तौर पर जई फसल बीज केंट किस्म का वितरण किया गया ।
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