राज्य कृषि समाचार (State News)

पर्यावरण चेतना हेतु समर्पित सांखला

 पांच दशकों से पौधों का निःशुल्क वितरण जारी

11 अक्टूबर 2025, इंदौर (विशेष प्रतिनिधि, कृषक जगत): पर्यावरण चेतना हेतु समर्पित सांखला –  ग्राम/ नगर विकास के लिए जहां एक ओर हरे – भरे वर्षों पुराने पेड़ों को काटने का फैसला पल भर में ले लिया जाता है, वहीं श्री सुरेश सांखला जैसे पर्यावरण प्रेमी भी हैं, जो विगत पांच दशकों से अपने स्वयं के व्यय से पौधे  खरीद कर लोगों को पौधों का निःशुल्क वितरण कर रहे हैं।पर्यावरण के प्रति चेतना जगाने के इनके एकाकी अभियान से जब रोपे गए पौधे विराट वृक्ष बन जाते हैं , तो इससे मिलने वाली प्रसन्नता ही इनका पारितोषिक हो जाता है।

इंदौर में चाणक्यपुरी चौराहे पर स्थित हनुमान मंदिर के सामने सड़क पार करने पर कोने में एक छोटी सी सब्जी की दुकान है । इससे अपना जीविकोपार्जन करने वाले 58 वर्षीय श्री सुरेश सांखला ने बताया कि वे मूलतः ग्राम बरगाड़ी तहसील बड़नगर जिला उज्जैन के निवासी हैं।  पौधारोपण की प्रेरणा 4 थी कक्षा में पढ़ने के दौरान शिक्षक द्वारा स्कूल में  लगवाए गए पीपल, नीम और बरगद के तीन पेड़ों से मिली थी। इनमें से दो बड़े पेड़ बन गए हैं।इसके बाद रुनिजा के बाबा रामदेव महाराज होकम के आशीर्वाद से यह सिलसिला चल पड़ा । गांव में श्री लक्ष्मण दास जी महाराज के सान्निध्य में कई साल बिताए ।सियाराम आश्रम/मंदिर परिसर एवं आसपास के क्षेत्र में कई पौधे लगाए और  निःशुल्क वितरित भी किए। 18 साल पहले इंदौर आ गए। तब से यहां भी निशुल्क पौधे वितरित किए जा रहे हैं ।

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श्री सुरेश सांखला

श्री सांखला ने बताया कि वे आम, जाम, नीम, बिल्व पत्र, पीपल, अशोक, फालसा, खजूर और  औषधीय पौधों का निःशुल्क वितरण करते हैं। इन पौधों को स्थानीय सरकारी और निजी नर्सरियों से स्वयं के व्यय से खरीदते हैं, जिसकी प्रति पौधा न्यूनतम दर 30 रु  से शुरू होती है । इंदौर में सामने हनुमान मंदिर, स्कीम 103 स्थित नर्मदेश्वर महादेव मंदिर परिसर, चोइथराम मंडी क्षेत्र, केसरबाग रोड़ और निज निवास के सामने की खुली जमीन पर रोपे गए कई पौधों को आज पेड़ बनकर लहलहाते देख खुशी होती है।  वृक्ष बने पौधों का जन्म दिन मनाकर उनका पूजन भी किया जाता है। गत दिनों हातोद की स्कूल में भी 50 पौधे स्वयं रोपकर आए हैं।  पौधों के लिए जून से तैयारी शुरू हो जाती है। वर्षा काल से पौधों का वितरण शुरू होता है, जो देव प्रबोधिनी एकादशी तक चलता है। इस दौरान पौधों की परवरिश पर ध्यान देना पड़ता है, अन्यथा पौधे सूखने का डर रहता है। इनका कहना है कि राजा हो या रंक सभी को शुद्ध वायु की ज़रूरत होती है, अतः अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। पर्यावरण के लिए समाज में चेतना जगाने हेतु श्री सांखला का  नि शुल्क पौधा वितरण का यह निःस्वार्थ एकल प्रयास न केवल सराहनीय, बल्कि अनुकरणीय भी है। बिना किसी चाहत अथवा सम्मान के पर्यावरण शुद्धि का इनका यह वास्तविक अभियान पर्यावरण दिवस पर  पौधारोपण की फोटो खींचकर वाहवाही लूटने वाले कथित पर्यावरण प्रेमियों को आईना दिखा रहा है ।

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