सावधान! किसानों को ठगने की नई सायबर साजिश, कृषि विभाग ने जारी की एडवायजरी
23 जून 2025, भोपाल: सावधान! किसानों को ठगने की नई सायबर साजिश, कृषि विभाग ने जारी की एडवायजरी – मध्यप्रदेश में किसानों के लिए चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं के नाम पर सायबर ठगों ने नया जाल बिछाया है। कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय ने शुक्रवार को एक एडवायजरी जारी कर किसानों से सतर्क रहने की अपील की है। ठग स्वयं को कृषि विभाग का अधिकारी बताकर कस्टम हायरिंग सेंटर योजना का लाभ दिलाने के बहाने किसानों को निशाना बना रहे हैं।
ठगों का नया तरीका
कृषि अभियांत्रिकी संचालक ने बताया कि सायबर ठग फर्जी कॉल्स और सोशल मीडिया के जरिए किसानों से संपर्क कर रहे हैं। वे खुद को विभागीय अधिकारी बताकर विश्वास जीतने की कोशिश करते हैं और फिर निजी जानकारी मांगते हैं। हाल ही में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां ठगों ने अनजान नंबरों से कॉल कर किसानों को गुमराह किया।
इन नंबरों से रहें सावधान
विभाग ने कुछ संदिग्ध नंबरों की सूची जारी की है, जिनसे किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। ये नंबर हैं: 07056847570, 07088438459, 0756847570, 9520711020। एडवायजरी में कहा गया है कि इन नंबरों से आने वाले कॉल, वॉट्सऐप कॉल, वीडियो कॉल या अन्य सोशल मीडिया संदेशों पर बिल्कुल ध्यान न दें।
संचालक ने स्पष्ट किया कि कस्टम हायरिंग सेंटर योजना की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी है। इस योजना के तहत लाभार्थियों से विभाग की ओर से कोई सीधा संपर्क नहीं किया जाता। यदि कोई व्यक्ति विभागीय अधिकारी के नाम पर संपर्क करता है, तो उसकी बातों पर भरोसा न करें।
व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें
कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे अनजान व्यक्तियों के साथ अपनी व्यक्तिगत जानकारी, जैसे बैंक खाता विवरण, आधार नंबर या अन्य संवेदनशील डेटा, साझा न करें। ठग आपकी जानकारी का दुरुपयोग कर आपको आर्थिक नुकसान पहुंचा सकते हैं।
सायबर अपराध की शिकायत कहां करें?
यदि आपके साथ कोई सायबर ठगी होती है या संदिग्ध कॉल आता है, तो तुरंत नजदीकी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करें। इसके अलावा, cybercrime.gov.in पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जा सकती है। आप सायबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 (टोल-फ्री) पर भी संपर्क कर सकते हैं।
किसानों के लिए सलाह
- ठगी का शिकार होने पर तुरंत पुलिस को सूचित करें।
- अनजान नंबरों से आने वाले कॉल्स को न उठाएं।
- सोशल मीडिया पर आए संदेशों पर तुरंत भरोसा न करें।
- किसी भी योजना के लिए सीधे सरकारी वेबसाइट या स्थानीय कृषि कार्यालय से जानकारी लें।
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