State News (राज्य कृषि समाचार)

एक भूल से बात जान पर बन आई

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कोरोना लड़कर स्वस्थ्य हुए अधिकारी ने सुनाई दास्तां

07 अक्टूबर 2020, खरगोन। एक भूल से बात जान पर बन आई कभी-कभी छोटी सी लापरवाही या भूल से बात जान तक बन पड़ती है। ऐसी ही लापरवाही या गलती खरगोन कृषि विभाग के उप संचालक एमएल चौहान से 12 सितंबर को हो गई थी। सामान्य तौर पर वे बाजार की किसी भी वस्तु या खाद्य पदार्थ का उपयोग नहीं करते। कोरोना काल में तो उन्होंने बिल्कुल इस बात का ध्यान रखा कि बाहर की चीजे नहीं खाएं, लेकिन मित्र के कहने और सेहत की खातिर उन्होने जलजीरा पी लिया। बस इसके बाद से उनकों कुछ अजीब सा लगने लगा। पहले दिन 14 सितंबर को हाथ-पैर दर्द करने लगे। इसके एक दिन बाद गला टाईट हुआ और खाद्य पदार्थ हो या पेय पदार्थ कुछ भी निगलने में समस्या होने लगी। फिर जोर का बुखार और पूरा शरीर अकड़ने लगा। इसके बाद बुखार के साथ बिल्कुल निश्चेत अवस्था होने लगी। अपने डॉक्टर बेटे को कॉल कर इस तरह की समस्या बताई, तो वे स्वयं वाहन लेकर रतलाम के मेडिकल कॉलेज में 17 सितंबर को एडमिट किया गया। यहां उनका डॉक्टरों की देख-रेख में उपचार किया गया। अस्पताल जाने के बाद एक्स- रे और उसके बाद सिटी स्केन किया गया। डॉक्टरों की देख-रेख और उपचार से वे स्वस्थ्य जरूर हुए, लेकिन इस बीच उन्होंने क्या खोया, इसका मलाल उन्हें आज भी है।

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20 प्रतिशत फेफड़े हुए खराब

कृषि उप संचालक श्री चौहान ने कहा कि कोरोना एक भयानक बीमारी या वायरस है, जो किसी के लिए भी अच्छा नहीं है। जब मेरा सिटी स्केन किया गया, तो 20 प्रतिशत फेफड़े खराब हो चुके थे। इससे मुझे रिकवर करने में काफी समस्या आने लगी। 18 व 19 सितंबर को फेफड़े खराब होने के कारण मेरा शरीर डोरमेंसी (शुसुप्त) अवस्था में हो गया था। मतलब शरीर में किसी तरह की हलचल नहीं हो पा रही थी, केवल आसपास देखना व सांस लेनाभर हो पाता था। धीरे-धीरे डॉक्टरों का उपचार रंग लाया और स्थिति सुधरने लगी। उप संचालक श्री चौहान ने कहा कि इन दिनों उन्हें भोजन में कई तरह के खाद्य पदार्थ दिए गए, लेकिन किसी एक का भी स्वाद नहीं आया। जो भी खाओं सब बेस्वाद सा लगता था। 28 सितंबर को मुझे डिस्चार्ज किया गया, लेकिन उपचार के बाद मेरा 10 किलो का वजन कम हुआ और शरीर में कमजोरी आज भी महसूस होती है।

बिना मास्क लगाए घरों से न निकले बाहर

उप संचालक श्री चौहान आम नागरिकों से आग्रह किया है कि किसी भी हालात में कोई भी परिस्थिति हो, चाहे कुछ हो घर से बिना मास्क लगाए, नहीं निकले। भीड़भाड़ वाले व सार्वजनिक स्थानों पर जाने से बचे। यदि आपका किसी अन्य से संपर्क हुआ है या आपने छुआ है, तो सेनिटाईजर का अवश्य उपयोग करें। बस यहीं कोरोना से बचने के उपाय भी है और वेक्सिन भी यहीं है। कोरोना को हल्के में न लें। यह किसी पर भी भारी पड़ सकता है। आप सभी अपने घर के बुजुर्ग व बच्चों को बचाएं रखे, कोरोना आज भी मारक क्षमता रखता है। मैं इन हालातों से गुजर कर आया हूं, इसलिए यकिन के साथ कह सकता हूं मास्क व सेनिटाईजर ही वेक्सिन है।

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