State News (राज्य कृषि समाचार)

कड़कनाथ के लिये 3 करोड़ रुपये

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19 दिसम्बर 2020, भोपाल। कड़कनाथ के लिये 3 करोड़ रुपयेकेन्द्र शासन ने कड़कनाथ कुक्कुट-पालन योजना के तहत मध्यप्रदेश के झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी और धार जिलों के लिये 3 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है। कड़कनाथ कुक्कुट-पालन के लिये यह राशि इन जिलों की 20 समितियों के 300 सदस्यों को दी जाएगी। प्रत्येक हितग्राही को 28 दिन के नि:शुल्क वैक्सीनेटेड 100 चूजे, दवा, दाना, दाना-पानी बर्तन और प्रशिक्षण दिया जायेगा। पालन-पोषण के लिये हितग्राहियों के निवास पर शासन द्वारा शेड भी निर्मित किया जायेगा।

प्रबंध संचालक कुक्कुट विकास निगम श्री एच.बी.एस. भदौरिया ने बताया कि रोग प्रतिरोधक क्षमता और पौष्टिक गुणों के कारण कड़कनाथ की माँग तेजी से बढ़ी है। समय का लाभ उठाते हुए हितग्राहियों की आय बढ़ाने के साथ ही माँग की आपूर्ति के लिये केन्द्र शासन की मदद से यह योजना आरंभ की गई है। कड़कनाथ में दूसरे मुर्गों के मुकाबले फेट, कैलोरी और कोलेस्ट्राल कम होता है, लेकिन वजन, प्रोटीन, लिनोलिक एसिड अधिक होने के साथ इन्हें संक्रामक बीमारियाँ भी कम होती हैं। दूसरे मुर्गों की अपेक्षा इनका विक्रय भी अधिक दरों पर होता है। इनका शरीर, पंख, खून, माँस सभी काला होता है।

राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम संबंधित जिलों के उप संचालकों के माध्यम से सभी व्यवस्थाएँ सुनिश्चित करेगा। प्रत्येक कुक्कुट-पालक को चूजों की सुरक्षा और उन्हें उचित तापमान उपलब्ध कराने के लिये रेडीमेड शेड प्रदान किये जायेंगे। कड़कनाथ पालन के लिये प्रशिक्षण सहकारिता विभाग द्वारा आजीविका मिशन के माध्यम से कराया जा चुका है। शुरू में चूजे झाबुआ और इंदौर के कुक्कुट प्रक्षेत्र से प्रदाय किये जायेंगे। वर्ष में 2 बार 6 माह के अंतराल से 50-50 चूजे हितग्राही को दिये जायेंगे। वैक्सीनेटेड 28 दिन के चूजों का वजन 125 ग्राम से 150 ग्राम के बीच होगा। कड़कनाथ का विक्रय पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के पार्लरों से भी किया जायेगा।

आवंटित राशि में से एक करोड़ 68 लाख 30 हजार रुपये शेड निर्माण पर, एक करोड़ 36 लाख 5 हजार रुपये दाना-पानी बर्तन, तौल मशीन, कम्प्यूटर आदि पर, 2 लाख 20 हजार रुपये समिति सदस्यों के प्रशिक्षण, चूजों (28 दिन के प्रति चूजे की कीमत 75 रुपये), दाना, दवा, वैक्सीन और इन्श्योरेंस पर 85 लाख 5 हजार रुपये, रिटेल आउटलेट स्थापना पर 14 लाख 50 हजार रुपये, मॉनीटरिंग के लिये सॉफ्टवेयर, विश्लेषण आदि के लिये 30 लाख रुपये और अन्य प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर 13 लाख 30 हजार रुपये खर्च किये जायेंगे।

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