राज्य कृषि समाचार (State News)

CSC से 1 लाख महिला पशुपालकों को मिली डिजिटल ट्रेनिंग, SSS तकनीक से बढ़ेगा दूध उत्पादन

14 जुलाई 2025, नई दिल्ली: CSC से 1 लाख महिला पशुपालकों को मिली डिजिटल ट्रेनिंग, SSS तकनीक से बढ़ेगा दूध उत्पादन – मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत पशुपालन एवं डेयरी विभाग (DAHD) ने 11 जुलाई, 2025 को देश के पशुपालकों के लिए एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। यह कार्यक्रम वर्चुअल माध्यम से सामान्य सेवा केंद्रों (CSC) के जरिए पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में चलाया गया।

इस डिजिटल प्रशिक्षण में गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, गोवा, पुदुचेरी, दमण दीव और दादरा नगर हवेली जैसे राज्यों से 1 लाख से अधिक महिला पशुपालक जुड़ीं। देशभर के 2,000 स्थानों से किसान इस कार्यक्रम का हिस्सा बने।

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SSS तकनीक और रोग नियंत्रण की दी गई जानकारी

इस वर्चुअल कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल ने की, जो मत्स्य पालन, पशुपालन, डेयरी और पंचायती राज मंत्रालय से जुड़े हैं। उनके साथ पशुपालन एवं डेयरी विभाग की सचिव श्रीमती अलका उपाध्याय भी मौजूद रहीं।

मंत्री प्रो. बघेल ने लैंगिक-वर्गीकृत वीर्य (SSS तकनीक) की उपयोगिता पर ज़ोर दिया और बताया कि इसकी कीमतों में काफी कमी की गई है, जिससे यह तकनीक देश के आम पशुपालकों के लिए अब सस्ती और सुलभ हो गई है। इससे दूध उत्पादन में वृद्धि और बेहतर नस्ल के बछड़ों के पैदा होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

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बीमारियों से बचाव और स्वच्छता की दी गई सीख

सचिव श्रीमती अलका उपाध्याय ने टीकाकरण, जूनोटिक रोगों (जो पशुओं से इंसानों में फैल सकते हैं) और स्वच्छता प्रथाओं पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पशुधन को स्वस्थ बनाए रखने के लिए समय पर टीकाकरण और साफ-सफाई बेहद जरूरी है। साथ ही, उन्नत नस्ल सुधार तकनीकों की मदद से उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा सकती है।

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“प्रयोगशाला से खेत तक” ज्ञान पहुंचाने का प्रयास

मंत्री बघेल ने इसे “प्रयोगशाला से खेत तक” ज्ञान ले जाने की दिशा में बड़ा कदम बताया और किसानों से इन जानकारियों को अपने पशुपालन कार्य में अपनाने की अपील की। कार्यक्रम में SSS तकनीक और टीकाकरण पर विशेषज्ञ सत्र और शैक्षिक वीडियो भी दिखाए गए।

डिजिटल प्लेटफॉर्म से पशुपालकों तक सीधा संवाद

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पशुपालकों को नस्ल सुधार, रोग नियंत्रण, साफ-सफाई, और टिकाऊ पशुपालन तकनीकों के बारे में सीधी जानकारी देना था। डिजिटल माध्यम से जुड़े इस प्रयास को मंत्रालय ने एक नई शुरुआत बताया, जिससे पशुपालकों को सरकारी योजनाओं और वैज्ञानिक तकनीकों से सीधे जोड़ा जा सके।

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