State News (राज्य कृषि समाचार)

कितना किसान हितकारी होगा प्रस्तावित बीज विधेयक?

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इंदौर। यदि बीज गुणवत्ताहीन हो तो फसल उत्पादन प्रभावित होता है, जिससे किसानों को आर्थिक हानि होती है. इसे नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार जल्द ही प्रस्तावित बीज विधेयक 2019 संसद में पेश करेगी. इस विधेयक का उद्देश्य बीजों की गुणवत्ता के नियम बनाने, श्रेष्ठ बीजों का आयात -निर्यात, उत्पादन और आपूर्ति को सरल बनाना है. नियमों का उल्लंघन करने पर सज़ा और जुर्माना दोनों का प्रावधान किया गया है.

सजा और जुर्माना: उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार वर्तमान बीज अधिनियम 1966 को बदलकर नया बीज कानून बना रही है, जिसके दस अध्याय में मसौदा तैयार किया गया है. इसके लिए आम जन से भी सुझाव मांगे गए हैं.यह विधेयक इसलिए लाया जा रहा है , क्योंकि देश में बिकने वाले आधे से ज्यादा बीज प्रामाणिक नहीं होने से किसानों की फसल की पैदावार को नुकसान पहुँचने से आय कम होती है. स्मरण रहे कि 45 प्रतिशत बीज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् से प्रमाणित होते हैं ,शेष 55 प्रतिशत बीज निजी कंपनियां बेचती हैं, लेकिन प्रमाणित नहीं होती. इसलिए यह पहल की गई है . इस नए बीज विधेयक से कृषि उत्पादकता 25 प्रतिशत बढऩे का अनुमान है. इस विधेयक में बीजों के उत्पादन, प्रमाणन और बीजों की बारकोडिंग की भी तैयारी है.पहली बार बीजों की अनुवांशिक शुद्धता के मानक की गलत जानकारी देने ,गलत ब्रांड बताने, बिना पंजीयन के नकली बीज की आपूर्ति एवं भंडारण करने पर एक साल की सज़ा, पांच लाख जुर्माना या दोनों भुगतने का प्रावधान किया गया है. जो अभी न्यूनतम 500 और अधिकतम 5 हजार है . यही नहीं इस हेतु गठित समितियों, बीज प्रमाणन एजेंसियों और बीज गुणवत्ता जाँच अधिकारियों के कार्य में हस्तक्षेप करने पर 25 हजार से लेकर एक लाख रुपए तक का जुर्माना करने का प्रावधान किया गया है.

विरोधियों का तर्क :  इस विधेयक के विरोधियों का आरोप है कि यह बीज विधेयक सीमांत और छोटे किसानों के खिलाफ और बीज विक्रेता बड़ी कंपनियों के हित में है, क्योंकि पंजीयन को अनिवार्य कर दिए जाने से छोटे किसान बीज व्यापार में शामिल नहीं हो पाएंगे, जिनकी 70 प्रतिशत हिस्सेदारी है.फसल नुकसानी के मुआवजे का निर्धारण समिति द्वारा किए जाने से किसानों को उचित मुआवजा मिलने में भी संशय है.यह प्रस्तावित विधेयक खेती में शोध को कंपनियों एवं पेटेंटधारकों के एकाधिकार में बदल देगा. यह आशंकाएं कितनी सही साबित होंगी,यह तो वक्त बताएगा ,लेकिन प्रदेश में अमानक खाद, बीज और कीटनाशक के विरुद्ध जारी शुद्ध के लिए युद्ध अभियान में अमानक मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इस प्रस्तावित बीज विधेयक को शीघ्र कानून में बदलने की जरूरत है, ताकि किसान गुणवत्तायुक्त बीज बोकर भरपूर उत्पादन लेकर अपनी आय को दुगुना कर सके .

किसानों के नुकसान की भरपाई होगी

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