राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

क्या गेहूं, कॉफी, बीन्स और कसावा के लिए उपजाऊ ज़मीन आधी रह जाएगी? FAO के नए डेटा से गहरी चिंता

07 जून 2025, रोम: क्या गेहूं, कॉफी, बीन्स और कसावा के लिए उपजाऊ ज़मीन आधी रह जाएगी? FAO के नए डेटा से गहरी चिंता – जलवायु परिवर्तन से जुड़ा एक गंभीर संकेत सामने आया है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) की ओर से जारी नए आंकड़ों के अनुसार, गेहूं, कॉफी, बीन्स, कसावा और प्लांटेन जैसी प्रमुख फसलें 2100 तक अपनी सर्वश्रेष्ठ उपजाऊ ज़मीन का 50% तक हिस्सा खो सकती हैं।

यह चेतावनी FAO के उन्नत ABC-Map टूल (Adaptation, Biodiversity and Carbon Mapping Tool) में जोड़े गए नए इंडिकेटर के माध्यम से सामने आई है। यह एक ओपन-सोर्स जियोस्पेशल एप्लिकेशन है जो Google Earth Engine पर आधारित है और नीति निर्माताओं, तकनीकी विशेषज्ञों और परियोजना योजनाकारों के लिए बनाया गया है।

प्रमुख फसलों की उपयुक्तता पर संकट

यह नया संकेतक, फ्रांसीसी फिनटेक स्टार्टअप Finres द्वारा किए गए एक अध्ययन पर आधारित है, जिसे IFAD (International Fund for Agricultural Development) ने कमीशन किया और फ्रेंच डेवलपमेंट एजेंसी (AFD) ने वित्तपोषित किया। इस अध्ययन का शीर्षक है – “क्या फसलें पहले ही अपनी सर्वोच्च उपयुक्तता तक पहुंच चुकी हैं?

अध्ययन में कहा गया है कि 9 में से 5 मुख्य फसलें—जैसे गेहूं, कॉफी, बीन्स, कसावा और प्लांटेन—जलवायु परिवर्तन के कारण पहले से ही उपयुक्त भूमि खो रही हैं। कॉफी उत्पादन विशेष रूप से प्रभावित होगा, खासकर पारंपरिक उत्पादक क्षेत्रों में। गेहूं और बीन्स जैसे अनाजों की उपयुक्तता भी अमेरिका और यूरोप जैसे क्षेत्रों में गिरावट दर्ज कर रही है। हालांकि मक्का और चावल के लिए फिलहाल नए क्षेत्र उपयुक्त हो सकते हैं, लेकिन उच्च उत्सर्जन परिदृश्यों में ये लाभ भी 2100 तक समाप्त हो सकते हैं।

FAO के वरिष्ठ जलवायु परिवर्तन अधिकारी मार्शियल बेर्नू कहते हैं, “बदलते मौसम और बढ़ती चरम घटनाओं—जैसे सूखा, अत्यधिक गर्मी और बाढ़—के चलते किसानों और नीति निर्माताओं को यह जानना जरूरी है कि कौन-सी फसलें और परियोजनाएं लंबे समय में कारगर रहेंगी। हमारा ABC-Map अब उन्हें इन निर्णयों में और बेहतर सहायता देगा।”

ABC-Map अब क्या कर सकता है

2024 में लॉन्च हुआ ABC-Map टूल, अब अपने अपडेट के साथ, किसी भी स्थान पर जाकर 30 फसलों में से किसी एक को चुनने पर उस क्षेत्र में 2100 तक उस फसल की उपयुक्तता का स्कोर दिखाता है। यह दो अलग-अलग जलवायु उत्सर्जन परिदृश्यों के आधार पर विश्लेषण करता है।

पहले यह केवल अतीत की वर्षा और तापमान की प्रवृत्तियों को दिखाता था, लेकिन अब यह भविष्य की परिस्थितियों की भी जानकारी देता है। आने वाले महीनों में इसमें पशुओं पर गर्मी के प्रभाव और फसलों की जल आवश्यकता से जुड़े दो नए संकेतक भी जोड़े जाएंगे।

नीति निर्माताओं के लिए एक मजबूत उपकरण

ABC-Map, COP28 के Agriculture, Food and Climate National Action Toolkit का एक हिस्सा है और सरकारों को जलवायु से जुड़े निर्णयों को बनाने और लागू करने में मदद करता है। यह टूल FAO की FAST (Food and Agriculture for Sustainable Transformation) Partnership के अंतर्गत बर्लिन के Global Forum for Food and Agriculture में पेश किया गया था।

यह उपकरण कृषि क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता संरक्षण और कार्बन कटौती के बीच संतुलन और समन्वय को समझने में मदद करता है। साथ ही यह देशों को तीन रियो कन्वेंशन (जलवायु, जैव विविधता और मरुस्थलीकरण) के तहत अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की क्षमता भी प्रदान करता है।

FAO का मानना है कि ABC-Map जैसे उपकरण, आने वाले समय में खेती को जलवायु-लचीला बनाने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

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