सरकारी योजनाएं (Government Schemes)राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

PM-Kisan का लाभ सिर्फ किसानों को क्यों? खेत मजदूरों को भी जोड़ने की सिफारिश

15 मार्च 2025, नई दिल्ली: PM-Kisan का लाभ सिर्फ किसानों को क्यों? खेत मजदूरों को भी जोड़ने की सिफारिश – किसानों की आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करने और कृषि क्षेत्र के विकास को ध्यान में रखते हुए, एक संसदीय समिति ने पीएम-किसान योजना का दायरा खेतिहर मजदूरों तक बढ़ाने की सिफारिश की है। समिति का मानना है कि देश की 55% आबादी कृषि क्षेत्र से जुड़ी है, लेकिन इनमें से सभी ज़मीन के मालिक नहीं हैं। ऐसे में ज़मींदारों को ही आर्थिक सहायता देने की नीति से भूमिहीन किसानों और खेतिहर मजदूरों को बड़ा नुकसान हो रहा है।

खेत मजदूरों को भी मिले पीएम-किसान योजना का लाभ?

वर्तमान में, पीएम-किसान योजना के तहत सिर्फ भूमिधारी किसानों को ₹6,000 सालाना दिए जाते हैं, जो तीन किस्तों में उनके बैंक खातों में भेजे जाते हैं। देश में करीब 14 करोड़ किसान परिवार इस योजना का लाभ उठा रहे हैं, लेकिन इनमें से सभी अपनी ज़मीन पर खुद खेती नहीं करते। कई किसान अपनी ज़मीन को पट्टे पर देकर भूमिहीन किसानों से खेती करवाते हैं।

इसी को ध्यान में रखते हुए संसदीय समिति ने सुझाव दिया है कि सरकार को खेतिहर मजदूरों को भी इस योजना में शामिल करना चाहिए। समिति का मानना है कि कृषि मजदूर, जो अक्सर सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों से आते हैं, सरकार की नीतियों और योजनाओं में उपेक्षित रहते हैं।

इसके साथ ही समिति ने ‘कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय’ का नाम बदलकर ‘कृषि, किसान और खेतिहर मजदूर कल्याण मंत्रालय’ करने का सुझाव दिया है। समिति का कहना है कि इस बदलाव से खेतिहर मजदूरों की समस्याओं को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता दिखेगी और उनके लिए बेहतर योजनाएं बनाई जा सकेंगी।

पराली जलाने की समस्या के समाधान के लिए आर्थिक सहायता

हर साल पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की समस्या बढ़ती जा रही है, जिससे वायु प्रदूषण और पर्यावरणीय क्षति होती है। किसानों के पास पराली प्रबंधन के लिए संसाधन नहीं होते, इसलिए वे इसे जलाने के लिए मजबूर होते हैं।

इस समस्या को देखते हुए संसदीय समिति ने धान किसानों को पराली प्रबंधन के लिए ₹100 प्रति क्विंटल की अतिरिक्त वित्तीय सहायता देने की सिफारिश की है। समिति का कहना है कि यह राशि MSP के अतिरिक्त होनी चाहिए और किसानों को धान की खरीद के समय सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की जानी चाहिए।

समिति ने यह भी सुझाव दिया कि सरकार को पराली प्रबंधन के लिए एक मजबूत बाजार तैयार करना चाहिए, जिससे किसान पराली बेचकर अतिरिक्त आमदनी कमा सकें। पराली का उपयोग बायो-सीएनजी, एथेनॉल, ईंट भट्टों और थर्मल पावर प्लांट्स में ईंधन के रूप में किया जा सकता है।

समिति का सुझाव:

  • हर जिले में एक संयंत्र लगाया जाए, जहां पराली को ऊर्जा में बदला जा सके।
  • सरकार फसल अवशेषों को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने वाली कंपनियों को आर्थिक प्रोत्साहन दे।
  • किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) के तहत अनुदान दिया जाए।

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