बेमौसम बारिश और संकट में गेंहूँ के किसान
01 मई 2023, नई दिल्ली(शशिकांत त्रिवेदी): बेमौसम बारिश और संकट में गेंहूँ के किसान – हाल ही की बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं ने तीन राज्यों में लगभग साढ़े पाँच लाख हेक्टेयर से अधिक गेहूं की फसल को प्रभावित कर सकती है ऐसी आशंका अप्रैल माह के दूसरे सप्ताह में ही जताई गई थी. उस वक्त तक किसानों के लिए भारी उपज नुकसान और कटाई की चुनौतियों का डर पैदा हो गया था. हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों को इस मुसीबत से निपटने के लिए 160 करोड़ रूपये की सहायता मंजूर की है. इसके अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ओला आदि से प्रभावित किसानों की कर्ज वसूली स्थगित करने का आश्वासन भी दिया है. साथ ही प्रभावित किसान की बेटी की शादी आदि के लिए किसान परिवार को 55000 रुपए की राशि अलग से देने की घोषणा भी की है. .बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और आँधी-तूफान ने गेंहूँ के मंडियों और खरीदी केंद्रों पर बिक्री पर बुरा असर तो डाला ही है खुले में रखे गेंहूँ को भी क्षति पहुँची है|
भारत गेहूं के प्रमुख उत्पादकों में से एक है, जो एक महत्वपूर्ण आबादी के लिए एक प्रमुख खाद्य पदार्थ है. भू राजनैतिक अनिश्चितताओं के मद्देनजर इस फसल को होने वाली क्षति वैश्विक स्तर पर लगातार उच्च मुद्रास्फीति और खाद्य सुरक्षा संकट में और बढ़ोतरी करती है|
पिछले सप्ताह तक अधिकारियों के अनुसार, खराब मौसम के कारण तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में लगभग 5.23 लाख हेक्टेयर गेहूं की फसल खराब होने का अनुमान है. लेकिन हाल ही में अप्रैल माह के अंतिम तीन दिनों में शुरू हुई बारिश जिसके मई माह के प्रथम सप्ताह तक चलने की आशंका है, यह नुकसान और ज़्यादा हो सकता है।
पंजाब और हरियाणा में गेहूं की फसल को हुए नुकसान का आकलन अभी प्राविधिक है|
इस साल गेहूं का बोया गया रकबा करीब 34 लाख हेक्टेयर है और सरकारी अधिकारीयों के मुताबिक़ चालू 2022-23 फसल वर्ष में रिकॉर्ड 11.22 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगा रही है।
बीते सप्ताह केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर गेंहूं की फसल को हुए नुकसान की समीक्षा की थी|
गेहूं एक प्रमुख रबी (सर्दियों) की फसल है। बारिश ऐसे समय में आई है जब फसल कटाई के लिए लगभग तैयार थी या कटकर मंडियों और खरीदी केंद्रों पर आना शुरू हो गई थी। मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद शुरू हो गई है।
मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के गेंहूं के एक किसान मोहन पराशर के मुताबिक़ उनके खेत से वे पिछले सालों में 15 से 20 क्विंटल प्रति एकड फसल ले चुके हैं जबकि इस साल खराब मौसम की वजह से उनकी गेहूं की फसल को भारी नुकसान हुआ है जो इस बार घटकर 10-11 क्विंटल प्रति एकड़ या और कम रह जाएगी। उन्होंने कहा कि उनके और पड़ोसी के खेतों में कुछ जगहों पर तेज हवा के कारण फसल भी चौपट हो गई है। उन्होंने कहा कि बेमौसम बारिश और तेज़ हवाओं के कारण गेहूं की फसल में औसतन 50 प्रतिशत उपज का नुकसान होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर बारिश अधिक दिनों तक जारी रही, तो नुकसान बहुत ज़्यादा होगा। इसके अलावा फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी जिसका उचित मूल्य मिलना मुश्किल है |
मध्य प्रदेश में गेहूं की खेती का कुल रकबा इस वर्ष 95 लाख हेक्टेयर है, जिसमें से लगभग एक लाख हेक्टेयर हाल की बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित हुआ है, लेकिन अभी सर्वे के बाद और मंडियों में आवक के बाद ही गेंहूँ और रबी के अन्य फसलों को हुए नुकसान के बारे में पता चल सकेगा।
सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार ने फसल के नुकसान की सीमा पर रिपोर्ट मांगी है और राज्यों से रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद किसानों को मुआवजा देने के उपाय पर विचार करेगी. अभी सभी राज्यों से नुकसान की रिपोर्ट इसलिए नहीं मिल सकी है क्योंकि बीते बुधवार से फिर बारिश शुरू हो गई है जिसके अगले गुरुवार तक अलग क्षेत्रों को प्रभावित करने की आशंका है|
किसानों की कठिनाई को कम करने और गेहूं की संकटपूर्ण बिक्री से बचने के लिए, रबी मार्केटिंग (विपणन) सीजन 2023-24 में खाद्य मंत्रालय ने 31 मार्च, 2023 को मप्र सरकार में किसानों से गेंहूं खरीदने में छूट देने को कहा है.
क्रेडिट एजेंसी क्रिसिल के मुताबिक पिछले अनुमानों की तुलना में इस वर्ष उपज में 4-5% की गिरावट आ सकती है. उत्तर-पश्चिम, जिसमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान शामिल हैं, में गेहूं की उपज में गिरावट देखी गई है जबकि मध्य प्रदेश और गुजरात में ओलावृष्टि से गेहूं की उपज में 3-4% की कमी आ सकती है|
करनाल स्थित भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान के मुताबिक देर से बोई गई गेहूं की किस्मों के लिए फायदेमंद है, जिससे फसल को परिपक्व होने में अधिक समय मिलने की उम्मीद है|
सरकार अप्रैल-जून मार्केटिंग सीजन 2023 में 34.15 मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य लेकर चल रही है, जो आधिकारिक तौर पर 1 अप्रैल से शुरू हुआ है. निजी मंडी के एक अधिकारी के मुताबिक इस वर्ष बारिश के कारण गेहूं में चमक के नुकसान और उच्च नमी की मात्रा के कारण गुणवत्ता पर विपरीत असर पढ़ने के कारण कुछ बड़े निजी व्यापारी मंडीखरीद से दूर हो सकते हैं, जिससे सरकारी एजेंसियां पर्याप्त मात्रा में अनाज खरीद सकेंगी।
वर्तमान में, भारतीय खाद्य निगम 1 अप्रैल के बफर के मुकाबले 9.1 MT का गेहूं का स्टॉक है।
स्टॉक को फिर से भरने के लिए, FCI और राज्य एजेंसियों को अप्रैल-जून 2023 सीज़न में किसानों से कम से कम 30 मीट्रिक टन गेहूं खरीदना है ताकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के कार्यान्वयन और पर्याप्त बफर के निर्माण के लिए पर्याप्त मात्रा में अनाज उपलब्ध हो सके। भंडार। एफसीआई को 1 जुलाई तक 27.57 मीट्रिक टन गेहूं का बफर रखने की जरूरत है।
हाल के महीनों में वैश्विक गेहूं की कीमतों में गिरावट आई है जबकि घरेलू गेहूं की मुद्रास्फीति अभी भी अधिक है।
बीते सप्ताह के अनुमान के मुताबिक़ राजस्थान में भी, 29.65 लाख हेक्टेयर के कुल बोए गए क्षेत्र में से लगभग 3.88 लाख हेक्टेयर गेहूं की फसल बेमौसम बारिश के कारण प्रभावित हुई है।
राजस्थान में गेहूं के अलावा सरसों, चना, जौ और अन्य सब्जियों की फसलें प्रभावित हुई हैं। सूत्रों ने कहा कि राज्य में बारिश के कारण करीब 1.54 लाख हेक्टेयर और 1.29 लाख हेक्टेयर में क्रमश: सरसों और चना की फसल को नुकसान पहुंचा है, लेकिन सर्वे पूरा होने के बाद ही वास्तविक नुकसान का पता चलेगा|
बीते सप्ताह ही उत्तर प्रदेश के राहत आयुक्त के कार्यालय द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुई बेमौसम बारिश से 35,000 हेक्टेयर से अधिक गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है।
सबसे ज्यादा नुकसान राज्य के नौ जिलों आगरा, बरेली, चंदौली, हमीरपुर, झांसी, ललितपुर, प्रयागराज, उन्नाव और वाराणसी से हुआ है। लेकिन यह नुकसान बढ़ भी सकता है|
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