National News (राष्ट्रीय कृषि समाचार)

बढ़ते तापमान और गिरते भावों के बीच गेहूँ

Share
  • (नई दिल्ली से निमिष गंगराड़े)

2 मार्च 2023, बढ़ते तापमान और गिरते भावों के बीच गेहूँ – कृषि आज भी जोखिम भरा काम है। इन दिनों गेहूं की फसल पर मौसम के चढ़ते तापमान का असर किसान समझने की कोशिश कर रहा है वहीं सरकार के खुले बाजार में गेहूं नीलामी से मंडियों में नीचे जाते भावों से किसान असमंजस में है। इन्हीं दोनों पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डालती ये कवर स्टोरी-

इस रबी में खेतों में गेहूं की लहलहाती फसल देखकर किसानों के चेहरे पर चमक देखते ही बनती है, परन्तु फरवरी महीने में असामान्य रूप से मौसम की बदली करवट से किसान चिंता में पड़ गया है। बढ़ते तापमान से गेहूं समय से पहले पक जाएगा और दाना कमजोर रह जाएगा। मौसम विभाग के मुताबिक, बढ़े हुए तापमान से गेहूं की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। एक अध्ययन के मुताबिकतापमान बढऩे पर गेहूं उत्पादन में 1 प्रतिशत से 8 प्रतिशत तक कमी आ सकती है। अन्य खड़ी फसलों और बागवानी पर भी इसी तरह का प्रभाव पड़ सकता है। इस स्थिति से निपटने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को फसल की हल्की सिंचाई करने की सलाह दी है।

इस वर्ष गेहूं के बंपर उत्पादन की उम्मीद जताई गयी है। आंकड़ों के आईने में गेहूं का रकबा गत वर्ष  339.87 लाख हेक्टेयर था, जो कि अब बढक़र 341.13 लाख हेक्टेयर हो गया है और उत्पादन भी सरकारी अनुमान के मुताबिक 11.2 करोड़ टन से भी अधिक के रिकॉर्ड पर पहुंच सकता है। हालाँकि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. ए.के. सिंह के मुताबिक चिंता की कोई बात नहीं है। गेहूं फसल उत्पादन पर 35 डिग्री तक कोई विपरीत असर नहीं होता।

गेहूं उत्पादन पर मंडराया गर्मी का साया

अचानक तापमान में बढ़ोतरी से गेहूं किसान चिंतित हो गए हैं। वहीं, सरकार की भी परेशानी बढ़ गई है। किसानों को डर सता रहा है कि कहीं पिछले साल की तरह इस बार भी गर्मी की वजह से रबी की फसल प्रभावित न हो जाए, जबकि कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर तापमान में वृद्धि इसी तरह जारी रही तो गेहूं की पैदावार में कमी आ सकती है। उसकी क्वालिटी पर भी असर पड़ सकता है। सरकार ने गेहूं की फसल पर तापमान में वृद्धि के प्रभाव की निगरानी के लिए एक समिति का गठन किया है। यह कदम राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र के इस अनुमान के बीच आया है कि मप्र को छोडक़र प्रमुख गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में अधिकतम तापमान फरवरी के पहले सप्ताह के दौरान पिछले सात वर्षों के औसत से अधिक था। यहां तक कि मौसम विभाग ने भी गुजरात, जम्मू, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में तापमान सामान्य से अधिक रहने का अनुमान जताया है।

बढ़ते तापमान के असर का अध्ययन करने के लिए सरकार ने बनाया पैनल : सरकार ने उच्च तापमान के प्रभाव की निगरानी के लिए एक समिति बनाने का फैसला किया है, भारत के कृषि आयुक्त समिति के प्रमुख होंगे और देश के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों के अधिकारी और सरकारी वैज्ञानिक भी पैनल में रहेंगे। आईएमडी ने कहा कि बीते सप्ताह कुछ राज्यों में अधिकतम तापमान 36 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया , जो सामान्य से 6 डिग्री सेल्सियस तक अधिक है।

निगरानी के लिए समिति

केन्द्रीय कृषि सचिव श्री मनोज आहूजा ने कहा, गेहूं की फसल पर तापमान में वृद्धि से पैदा होने वाली स्थितियों की निगरानी के लिए समिति का गठन किया है। उन्होंने कहा कि समिति सूक्ष्म सिंचाई को अपनाने के लिए किसानों को परामर्श जारी करेगी। उन्होंने कहा कि कृषि आयुक्त की अध्यक्षता वाली समिति में करनाल स्थित गेहूं अनुसंधान संस्थान के सदस्य और प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों के प्रतिनिधि भी होंगे। हालांकि, सचिव ने कहा कि जल्दी बोई जाने वाली किस्मों पर तापमान में वृद्धि का असर नहीं होगा और यहां तक कि गर्मी प्रतिरोधी किस्मों को भी इस बार बड़े क्षेत्रों में बोया गया है। फसल वर्ष 2022-23  में गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 11.21 करोड़ टन रहने का अनुमान है।

दूसरी तरफ केंद्र सरकार की खुला बिक्री योजना से गेहूं के थोक भाव कम होने लगे हैं, इसका असर अब खुदरा मूल्य पर भी होगा, जिससे किसान चिंतित होने लगे हैं। अभी तो फसल कटाई प्रारंभ हुई है और दाम लगभग 700 रुपए प्रति क्विंटल तक कम हो गए हैं, जब गेहूं की पूरी फसल कटकर आएगी तब मूल्य क्या मिलेगा? यही किसानों की चिंता है क्योंकि इस वर्ष दूसरे अनुमान के मुताबिक गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन 11.21 करोड़ टन होने की संभावना है और केन्द्र समर्थन मूल्य पर 3 से 4 करोड़ टन गेहूं खरीदेगा। एफसीआई को इसके लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है।

सरकार ने जब खुले बाजार में 30 लाख टन गेहूं की बिक्री का फैसला लिया था तब गेहूँ की कीमत 2800 से 3000 रुपए क्विंटल चल रही थी, परंतु सरकार ने 20 लाख टन अतिरिक्त गेहूँ बेचने का फैसला कर किसानों को चिंता में डाल दिया, क्योंकि 50 लाख टन गेहूँ आने को लेकर दाम 700 से 800 रुपए  क्विंटल कम हो गए है। गत वर्ष निर्यात होने के कारण गेहूँ के अच्छे दाम मिले थे परंतु इस वर्ष उपभोक्ताओं को तो राहत मिलेगी परंतु किसानों का क्या होगा ?

गत वर्ष सरकार ने एमएसपी पर 1.87 करोड़ टन गेहूँ खरीदा था। यह पिछले सीजन से 56 फिसदी कम रहा, क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते अधिकांश गेहूँ निर्यात किया गया था, परंतु इस वर्ष बंपर उत्पादन की संभावना के कारण किसानों को बेहतर खरीदी की उम्मीद है। हालांकि सरकार ने गेहूँ का एमएसपी 2125 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है परंतु खुला बाजार बिक्री योजना के कारण मंडी भाव में कमी आ सकती है।

बहरहाल बढ़ते तापमान से गेहूँ उत्पादन घटने की चिंता में फंसे किसान को भाव कम मिलने की आशंका भी सता रही है, क्योंकि खुला बाजार बिक्री योजना के तहत एफसीआई अब चौथी नीलामी करने वाली है।

तापमान 35 डिग्री से नीचे रहने पर गेहूं के लिए  चिंता की बात नहीं: डॉ. ए.के. सिंह

गेहूं की पैदावार पर बढ़ते तापमान के प्रभाव पर चिंता के बीच भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) ने कहा कि स्थिति अभी चिंताजनक नहीं है। हालांकि इसने किसानों को सलाह दी है कि मार्च के मध्य में तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने की स्थिति में हल्की सिंचाई जैसे आकस्मिक उपाय करने के लिए तैयार रहें।

आईएआरआई के निदेशक डॉ. ए.के. सिंह ने कहा, ‘‘आईएमडी (भारत मौसम विज्ञान विभाग) ने अनुमान लगाया है कि मार्च के पहले पखवाड़े तक तापमान सामान्य से 2 डिग्री सेल्सियस ऊपर लेकिन 35 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहेगा। 35 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान गेहूं की फसल के लिए चिंता का विषय नहीं है।’’ चार दिनों तक लगातार तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहने पर ही फसल पर असर पडऩे की संभावना है।

महत्वपूर्ण खबर: जीआई टैग मिलने से चिन्नौर धान किसानों को मिल रहा है अधिक दाम

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *