टमाटर-प्याज की कीमत गिरी? सरकार ने खरीदी बढ़ाने का फैसला किया
11 फ़रवरी 2025, नई दिल्ली: टमाटर-प्याज की कीमत गिरी? सरकार ने खरीदी बढ़ाने का फैसला किया – सरकार ने बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) के दिशानिर्देशों में बदलाव करते हुए फसलों की खरीद सीमा बढ़ा दी है। अब किसानों से 20 प्रतिशत के बजाय 25 प्रतिशत तक फसलें खरीदी जाएंगी। यह फैसला टमाटर, प्याज और आलू जैसी शीघ्र खराब होने वाली फसलों की बाजार कीमतों में गिरावट के मद्देनजर लिया गया है।
क्या है बाजार हस्तक्षेप योजना?
बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) पीएम-आशा योजना का एक घटक है। यह उन कृषि और बागवानी फसलों के लिए लागू की जाती है, जिन पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागू नहीं होता। यदि बाजार में पिछले सामान्य मौसम की तुलना में कीमतें कम से कम 10 प्रतिशत गिरती हैं, तो राज्य सरकारों के अनुरोध पर केंद्र सरकार इस योजना को लागू कर सकती है। इसका उद्देश्य किसानों को औने-पौने दाम पर अपनी उपज बेचने से बचाना है।
सरकार ने एमआईएस के तहत निम्नलिखित बदलाव किए हैं:
- फसलों की खरीद सीमा बढ़ी – अब किसी फसल के कुल उत्पादन का 25% तक सरकार खरीद सकती है, जो पहले 20% था।
- सीधे किसानों के खाते में भुगतान का विकल्प – राज्य सरकारों को यह विकल्प मिलेगा कि वे किसानों के बैंक खातों में सीधे बाजार हस्तक्षेप मूल्य (एमआईपी) और बिक्री मूल्य के बीच का अंतर जमा करें, जिससे किसानों को तत्काल राहत मिल सके।
- एमआईएस लागू होने की शर्तें – यह योजना तभी लागू होगी, जब बाजार मूल्य पिछले सामान्य वर्ष की तुलना में 10% गिर जाए।
- भंडारण और परिवहन पर सरकार की मदद – टमाटर, प्याज और आलू जैसी फसलों के लिए उत्पादक राज्यों से उपभोक्ता राज्यों तक भंडारण और परिवहन की लागत सरकार वहन करेगी।
मध्य प्रदेश से दिल्ली तक टमाटर का परिवहन
मध्य प्रदेश में खरीफ सीजन में उपजे टमाटर की कम कीमतों को देखते हुए सरकार ने दिल्ली तक 1,000 मीट्रिक टन टमाटर के परिवहन की लागत की प्रतिपूर्ति के लिए राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (NCCF) को मंजूरी दी है। इससे किसानों को बेहतर दाम मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
कौन करेगा खरीद?
अब सिर्फ केंद्रीय नोडल एजेंसियां (NAFED और NCCF) ही नहीं, बल्कि किसान उत्पादक संगठन (FPO), किसान उत्पादक कंपनियां (FPC) और राज्य सरकार द्वारा नामित एजेंसियां भी एमआईएस के तहत फसलों की खरीद कर सकेंगी।
सरकार ने यह भी फैसला किया है कि यदि उत्पादक और उपभोक्ता राज्यों के बीच कीमतों में भारी अंतर रहता है, तो NAFED, NCCF के अलावा एफपीओ, एफपीसी और राज्य सरकार द्वारा नामित एजेंसियां भी भंडारण और परिवहन की व्यवस्था करेंगी। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसानों की फसल को समय पर उचित बाजार उपलब्ध हो सके।
सरकार अधिक राज्यों को इस योजना को अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इस कदम से राज्यों को किसानों के लिए अधिक प्रभावी मूल्य समर्थन नीति लागू करने में मदद मिलेगी।
किसानों को कितना मिलेगा फायदा?
सरकार के अनुसार, इन बदलावों से किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिलने में मदद मिलेगी और उन्हें नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा। हालांकि, यह देखना होगा कि इस योजना का असर जमीनी स्तर पर कितना पड़ता है और किसानों को इसका वास्तविक लाभ कितना मिलता है।
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