छोटे और सीमांत किसानों को प्राथमिकता देने वाले नीतिगत सुधार हों- श्री किदवई
22 जुलाई 2024, नई दिल्ली: छोटे और सीमांत किसानों को प्राथमिकता देने वाले नीतिगत सुधार हों- श्री किदवई – राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण (एनआरएए), कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्लू), भारत सरकार ने गत दिनों नई दिल्ली में ‘जलवायु अनुकूल वर्षा सिंचित कृषि (सीआरआरए)’ पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। डीएएंडएफडब्लू के अतिरिक्त सचिव और एनआरएए के सीईओ श्री फैज अहमद किदवई ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर आईसीएआर के डीडीजी (एनआरएम) डॉ. एस. के. चौधरी, संयुक्त सचिव (वर्षा सिंचित कृषि प्रणाली), डीएएंडएफडब्लू श्री फ्रैंकलिन एल. खाबुंग और एनआरएए के तकनीकी विशेषज्ञ (जल प्रबंधन) श्री बी. रथ भी उपस्थित थे।
श्री किदवई ने ऐसे नीतिगत सुधारों का आह्वान किया, जो वर्षा आधारित क्षेत्रों में भूमिहीन, छोटे और सीमांत किसानों के विकास को प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने कहा कि वर्षा आधारित क्षेत्र चरम जलवायु घटनाओं के प्रति अधिक संवेदनशील हैं, इसलिए उन्होंने जलवायु स्थिरता के लिए कुछ नवीन और प्रौद्योगिकी आधारित कृषि पद्धतियों की वकालत की। उन्होंने ‘राष्ट्रीय कृषि विकास योजना’ (आरकेवीवाई) के ‘कैफेटेरिया दृष्टिकोण’ के तहत की जा रही आरएडी योजना की क्षमता पर भी प्रकाश डाला।
कार्यशाला ने राज्य और केन्द्र सरकार के प्रतिनिधियों, कृषि विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं को वर्षा आधारित क्षेत्रों में जलवायु स्थिरता दृष्टिकोण अपनाकर फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए नवीन रणनीतियों और तकनीकों पर चर्चा करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया।
डॉ. एस.के. चौधरी ने कृषि और संबद्ध क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने एकीकृत दृष्टिकोण के माध्यम से विभिन्न कृषि-पारिस्थितिकी तंत्रों में फैले वर्षा आधारित क्षेत्रों के समावेशी विकास के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने आईसीएआर-एनआईसीआरए योजना के अनुभव को भी साझा किया, जिसे अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार के स्तंभों पर जलवायु परिवर्तन के सभी आयामों को संबोधित करने के लिए देश में लागू किया जा रहा है।
कार्यशाला के तकनीकी सत्रों में एकीकृत कृषि प्रणाली (आईएफएस) की जटिलताओं और वर्षा आधारित क्षेत्रों में पशुधन और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया गया। चर्चाओं में जलवायु अनुकूल वर्षा आधारित कृषि के विभिन्न पहलुओं जैसे परिदृश्य आधारित एकीकृत कृषि प्रणाली, वाटरशेड विकास, डिजिटल पूर्वानुमान तकनीक, चारागाह मार्गों का पुनरुद्धार और देश में टिकाऊ कृषि के लिए आर्थिक साक्ष्य तैयार करना शामिल था।
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