सरकार को नहीं पता कितने हैं भूमिहीन किसान, लेकिन योजनाएं जारी
06 फ़रवरी 2025, नई दिल्ली: सरकार को नहीं पता कितने हैं भूमिहीन किसान, लेकिन योजनाएं जारी – केंद्र सरकार द्वारा अब तक भूमिहीन किसानों की कोई विशेष जनगणना या सर्वेक्षण नहीं किया गया है। ऐसे में देश में बंटाई पर खेती करने वाले किसानों की सटीक संख्या उपलब्ध नहीं है। हालांकि, कृषि जनगणना 2015-16 के अनुसार, देश में पूरी तरह से पट्टे पर ली गई जोतों की संख्या 5,31,285 पाई गई थी। यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
भूमिहीन किसानों के लिए कौन-कौन सी योजनाएं?
केंद्र और राज्य सरकारें भूमिहीन किसानों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से मदद उपलब्ध कराती हैं। इनमें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY), पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (RWBCIS) और किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना शामिल हैं।
1. किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना:
- 7% की रियायती ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध है।
- समय पर कर्ज चुकाने पर 3% की अतिरिक्त छूट, जिससे ब्याज दर घटकर 4% रह जाती है।
- 3 लाख रुपये तक का ऋण फसल उत्पादन के लिए उपलब्ध है, जबकि पशुपालन, मत्स्य पालन जैसी संबद्ध गतिविधियों के लिए यह सीमा 2 लाख रुपये तक है।
- वित्तीय संस्थानों को 1.5% की ब्याज सब्सिडी दी जाती है ताकि वे किसानों को आसानी से ऋण प्रदान कर सकें।
- आरबीआई की 04 जुलाई, 2018 की मास्टर सर्कुलर के अनुसार, मौखिक पट्टेदार, बटाईदार किसान, स्वयं सहायता समूह (SHG) और संयुक्त देयता समूह (JLG) भी इस योजना के पात्र हैं।
2. प्राकृतिक आपदाओं पर राहत:
- प्राकृतिक आपदा की स्थिति में, पहले वर्ष के लिए पुनर्गठित ऋण पर ब्याज छूट दी जाती है।
- गंभीर आपदाओं की स्थिति में, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) के तहत अधिकतम 5 वर्षों के लिए पुनर्गठित फसल ऋण पर ब्याज में छूट दी जाती है।
केंद्र सरकार ने अभी तक भूमिहीन किसानों की सटीक संख्या के लिए कोई सर्वेक्षण नहीं किया है, लेकिन राज्य सरकारें अपने स्तर पर इनकी पहचान कर सकती हैं और उन्हें योजनाओं से जोड़ सकती हैं। विभिन्न कृषि योजनाओं का कार्यान्वयन राज्यों द्वारा किया जाता है और केंद्र सरकार इन प्रयासों में सहायता प्रदान करती है।
भूमिहीन किसानों की पहचान को लेकर अभी भी स्पष्टता नहीं है। हालांकि, सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत उन्हें सहायता देने का दावा कर रही है। लेकिन सवाल यह है कि जब भूमिहीन किसानों की सही संख्या ही पता नहीं है, तो क्या ये योजनाएं सही लाभार्थियों तक पहुंच पा रही हैं?
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