राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

जगजीत सिंह डाल्लेवाल की भूख हड़ताल पर सुप्रीम कोर्ट का दखल, स्वास्थ्य जांच पर जोर

सुप्रीम कोर्ट पैनल की अपील- पहले स्वास्थ्य, फिर आंदोलन

08 जनवरी 2025, नई दिल्ली: जगजीत सिंह डाल्लेवाल की भूख हड़ताल पर सुप्रीम कोर्ट का दखल, स्वास्थ्य जांच पर जोर – पंजाब-हरियाणा सीमा पर किसान आंदोलन के बीच सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई-पावर कमेटी ने सोमवार को भूख हड़ताल पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डाल्लेवाल से मुलाकात की। डाल्लेवाल की भूख हड़ताल का यह 42वां दिन था। किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी समेत कई मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

पैनल के प्रमुख और पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस नवाब सिंह ने 70 वर्षीय डाल्लेवाल से स्वास्थ्य जांच कराने की गुजारिश की। उन्होंने कहा, “हमने बार-बार उनसे मेडिकल सहायता लेने की अपील की। हमारी प्राथमिकता उनकी सेहत है। मैं यहां आंदोलन खत्म करने की बात कहने नहीं, बल्कि उनकी सेहत को लेकर चिंता जाहिर करने आया हूं।”

डाल्लेवाल ने पैनल को बताया कि उनके लिए खेती पहले है, सेहत बाद में। अब तक वह पैनल से मिलने से इनकार कर रहे थे।

पंजाब सरकार और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका

इससे पहले, सोमवार सुबह सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जानकारी दी कि प्रदर्शनकारियों ने पैनल से मिलने पर सहमति जताई है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 10 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी।

सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2024 में यह पैनल गठित किया था ताकि शंभु और खनौरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की समस्याओं का समाधान निकाला जा सके। पैनल में जस्टिस (रिटायर्ड) नवाब सिंह के साथ पूर्व डीजीपी बीएस संधू, अर्थशास्त्री आरएस घुमन, कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा और पंजाब किसान आयोग के चेयरमैन सुखपाल सिंह शामिल हैं।

डाल्लेवाल ने अपनी भूख हड़ताल 26 नवंबर 2024 को शुरू की थी। किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी फरवरी 2024 से शंभु और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं।

कोर्ट की सख्ती और सरकार की कोशिशें

सुप्रीम कोर्ट ने 20 दिसंबर 2024 को पंजाब सरकार को निर्देश दिया था कि डाल्लेवाल को, जो कैंसर के मरीज हैं और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, जरूरत पड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराया जाए। हालांकि, सरकार ने सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के हालात का हवाला देते हुए कोर्ट के आदेश का पालन करने में असमर्थता जताई।

28 दिसंबर 2024 को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार के रवैये पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सरकार का यह रुख आत्महत्या को बढ़ावा देने जैसा है। 2 जनवरी को हुई अगली सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि सरकार की कार्रवाई सुलह के खिलाफ है और यह गलत संदेश दे रही है कि अदालत आंदोलन खत्म करवाना चाहती है।

अब 6 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने यह समीक्षा की कि राज्य सरकार ने डाल्लेवाल को अस्पताल ले जाने के आदेश का पालन कैसे किया है। पंजाब सरकार ने इस बीच केंद्र सरकार से प्रदर्शनकारी किसानों के साथ वार्ता करने की अपील की है।

अब सबकी नजर 10 जनवरी की सुनवाई पर है, जहां यह देखा जाएगा कि किसानों की मांगों को लेकर कोई ठोस समाधान निकलता है या नहीं।

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