अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से सजेगा भारतीय कृषि का भविष्य
29 जुलाई 2024, नई दिल्ली: अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से सजेगा भारतीय कृषि का भविष्य – कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारतीय कृषि क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग में सक्रिय रूप से अग्रणी रहा है। 80 के दशक की शुरुआत से ही, मंत्रालय ने विभिन्न परियोजनाओं को वित्तपोषित किया है, जिनके तहत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने फसल उत्पादन पूर्वानुमान के लिए पद्धतियाँ विकसित की हैं। 2012 में, कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग ने महालनोबिस राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र की स्थापना की, जो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का संचालन करता है।
प्रमुख परियोजनाएँ और उपयोग
विभाग के पास भारतीय मृदा एवं भूमि उपयोग सर्वेक्षण केंद्र भी है, जो मृदा संसाधनों के मानचित्रण के लिए उपग्रह डेटा का उपयोग करता है। वर्तमान में, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग विभिन्न कार्यक्रमों के लिए किया जा रहा है, जैसे कृषि उत्पादन का पूर्वानुमान, कृषि-मौसम विज्ञान, भूमि आधारित अवलोकन (एफएएसएल) परियोजना, बागवानी मूल्यांकन और प्रबंधन, राष्ट्रीय कृषि सूखा मूल्यांकन और निगरानी प्रणाली (एनएडीएएमएस), चावल-परती क्षेत्र मानचित्रण, और फसल बीमा का उचित कार्यान्वयन।
केआईएसएएन परियोजना
अक्टूबर 2015 में, कृषि विभाग ने केआईएसएएन (अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और भू-सूचनाओं का उपयोग करके फसल बीमा) परियोजना शुरू की। इस परियोजना का उद्देश्य उच्च-रिज़ॉल्यूशन रिमोट सेंसिंग डेटा का उपयोग करके फसल कटाई प्रयोग योजना और उपज अनुमान में सुधार करना था। इस अध्ययन ने कई उपयोगी इनपुट प्रदान किए, जिनका उपयोग प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के संशोधित दिशानिर्देशों में उपग्रह डेटा के उपयोग के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं को परिभाषित करने में किया गया।
पायलट अध्ययन और प्रौद्योगिकी आधारित उपज अनुमान
2019-20 के दौरान, 9 फसलों के लिए 15 राज्यों के 64 जिलों में 12 एजेंसियों के माध्यम से पायलट अध्ययन किए गए। 2020-21 के दौरान, खरीफ 2020 में धान की फसल के लिए देश के 9 राज्यों में फैले 100 जिलों तक पायलट अध्ययनों को बढ़ाया गया। अध्ययन में सैटेलाइट, यूएवी, सिमुलेशन मॉडल और एआई/एमएल तकनीकों का उपयोग करके ग्राम पंचायत स्तर पर उपज अनुमान लगाया गया।
वाईईएसटेक पहल
पीएमएफबीवाई की वाईईएसटेक (प्रौद्योगिकी का उपयोग करके उपज अनुमान प्रणाली) पहल के तहत खरीफ 2023 से धान और गेहूं की फसल के लिए प्रौद्योगिकी आधारित जीपी स्तर की उपज अनुमान शुरू किया गया। खरीफ और रबी 2022-23 के दौरान सोयाबीन, कपास, ज्वार, बाजरा, चना, सरसों, मक्का और ग्वार जैसी गैर-अनाज फसलों के लिए भी पायलट अध्ययन किए गए हैं। इन पायलटों के निष्कर्षों के आधार पर, सोयाबीन फसल के लिए उपज अनुमान को वाईईएसटेक पहल के तहत कार्यान्वयन के लिए चुना गया है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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