भारत में बीज बैंकिंग: एक महत्वपूर्ण कदम
14 फ़रवरी 2025, नई दिल्ली: भारत में बीज बैंकिंग: एक महत्वपूर्ण कदम – बीज बैंक में संरक्षित बीजों का चयन उनके विशेष गुणों के आधार पर किया जाता है, जैसे उच्च उपज क्षमता, कीट-व्याधि के विरूद्ध सहनशीलता/प्रतिरोधकता, सूखे या अधिक तापमान के प्रति सहनशीलता, प्रतिकूल मौसम में भी उत्पादन क्षमता आदि। इस प्रकार के बीज बैंक को जीन बैंक कहना अधिक उपयुक्त होगा। बीज विविधता जलवायु, बदलती स्थानीय परिस्थितियाँ और उपभोक्ताओं की खान-पान की आदतों के अनुसार फसलोत्पादन की क्षमता में वृद्धि करती है। फसल विविधता के बिना आने वाली पीढिय़ों के पास अपनी आवश्यकतानुसार खेती करने की क्षमता नहीं होगी और किसानों के पास फसल चयन के सीमित विकल्प ही रहेंगे। भारत के दूसरे सीड वॉल्ट की स्थापना के लिए बजट 2025 में प्रावधान स्वागत योग्य है। इस महत्वपूर्ण विषय पर प्रकाश डाल रहे हैं कृषि वैज्ञानिक डॉ. संदीप शर्मा।
जीन बैंक: भविष्य की खाद्य सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम
हाल ही में प्रस्तुत बजट 2025 में कृषि को देश के विकास का प्रमुख इंजन बताया गया है। इस बजट प्रस्ताव में कृषि को विकसित भारत का एक महत्वपूर्ण घटक दर्शाते हुए अनेक कल्याणकारी योजनाएं प्रस्तावित की गई हैं। इनमें फसल उत्पादकता वृद्धि को प्राथमिकता देते हुए टिकाऊ खेती की आवश्यकता, कटाई उपरांत होने वाली हानि को कम करना, सिंचाई सुविधा में वृद्धि तथा कृषक ऋण सुविधा के सरलीकरण पर विशेष ध्यान देकर लगभग 1.7 करोड़ किसानों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा है।
जीन बैंक का महत्व
कृषि फसलों के बीज की महत्ता से हम अच्छी तरह से परिचित हैं। खेती का मूल आधार और मूल मंत्र बीज है। उत्तम गुणवत्ता का बीज सामान्य बीज की अपेक्षा 20 से 25 प्रतिशत अधिक उपज देने में सक्षम होता है। एक प्रचलित कहावत है- ‘जैसा बोओगे वैसा काटोगेÓ। अतएव अच्छा बीज अधिक उत्पादन में महत्वपूर्ण आदान है।
जीन बैंक क्या है?
भविष्य में खाद्य फसलों के बीजों के संरक्षण के लिए बीज बैंकों का प्रावधान वैश्विक स्तर पर किया गया है। बीज बैंक एक ऐसी सुविधा है जिसमें भविष्य के लिए खाद्य फसलों की आनुवंशिक विविधता को संरक्षित करने के लिए बीजों को तापमान, आर्द्रता और प्रकाश की नियंत्रित स्थितियों में संग्रहीत किया जाता है।
जीन बैंक का इतिहास
बीज बैंक बनाने का विचार सर्वप्रथम एक रूसी वनस्पतिशास्त्री निकोलाइ वाविलोव द्वारा किया गया। वाविलोव ने सन् 1921 में रूस के एक शहर सेंट पीटर्सबर्ग में प्रथम बीज बैंक की स्थापना की थी जिसमें गेहूं और सेम जैसी फसलों के बीजों का संग्रहण किया।
विश्व में जीन बैंक
वर्तमान में सम्पूर्ण विश्व में लगभग 1700 बीज बैंक संचालित किए जा रहे हैं। इनमें नार्वे सरकार द्वारा 26 फरवरी सन् 2008 में स्थापित स्वालबार्ड ग्लोबल सीड वॉल्ट सबसे विशाल और महत्वपूर्ण है। संयुक्त राज्य अमेरिका के कोलोराडो राज्य के फोर्ट कॉलिन्स क्षेत्र में स्थित नेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक रिसोर्सेस केंद्र भी एक महत्वपूर्ण बीज बैंक है।
भारत में जीन बैंक
भारतवर्ष भी इस कार्य में पीछे नहीं है। भारत में राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीपीजीआर) का बीज बैंक तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा लद्दाख के चांग ला क्षेत्र में समुद्र तल से लगभग 17000 फुट की ऊंचाई पर स्थित बीज बैंक संचालित किया जा रहा है।
स्वालबार्ड वैश्विक बीज तिजोरी: एक सुरक्षित भण्डार
स्वालबार्ड वैश्विक बीज तिजोरी उत्तरी यूरोप में स्थित नार्वे देश के उत्तरी ध्रुव के मध्य नार्वे सागर में स्थित एक द्वीप स्पिट्बर्गन के लांगयेरब्येन नामक स्थान पर स्थित है। यह वॉल्ट एक बर्फ से ढँके पर्वत पर 120 मीटर की गहराई में बनाया गया है।
स्थापना और प्रबंधन
इस वॉल्ट की स्थापना 26 फरवरी 2008 को नार्वे सरकार द्वारा 90 लाख अमेरिकी डॉलर की लागत से की गई थी। यह वॉल्ट नार्वे देश के स्वामित्व में है और इसका प्रबंधन नार्वे के कृषि एवं खाद्य मंत्रालय, क्षेत्रीय जीन बैंक नार्डजेन और अंतर्राष्ट्रीय संगठन ‘क्रॉप ट्रस्टÓ के मध्य साझेदारी में किया जाता है।
विशेषताएं और सेवाएं
यह वॉल्ट फसल विविधता के लिए दीर्घकालीन सुरक्षा बैकअप माना जाता है। यह वॉल्ट भंडारण की नि:शुल्क सेवा प्रदान करता है और भंडारित बीज का पूर्ण स्वामित्व जमाकर्ता का ही रहता है। बीज जमाकर्ता को बीज निकालने की सुविधा भी प्राप्त है, परंतु यथाशीघ्र उसकी भरपाई भी करना अनिवार्य है।
सीरिया के युद्ध के कारण इकार्डा ने सन् 2015, 2017 और 2019 में तीन बार इस वॉल्ट से आवश्यक बीजों की निकासी की है। परंतु उन बीजों के उपयोग पश्चात सन् 2017, 2018 और 2019 में भरपाई भी कर दी। यह वॉल्ट वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
महत्व और उद्देश्य
भारतीय बीज तिजोरी का मुख्य उद्देश्य देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना और फसल विविधता को संरक्षित करना है। यह बीज बैंक देश के किसानों और अनुसंधान संस्थानों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है।
स्वालबार्ड वैष्विक बीज तिजोरी: संरचना और निर्माण
स्थापना का विचार: चित्र क्रमांक 2 में स्वालबार्ड वैश्विक बीज तिजोरी की संरचना को दर्शाया गया है। इस संस्थान को बनाने का प्रथम विचार क्रॉप ट्रस्ट नामक संगठन के तत्कालीन निदेशक कैरी फाउलर ने किया था। अंतर्राष्ट्रीय बीज समझौते के अनुसार संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सन् 2001 में इस परियोजना को मंजूरी दी। नार्वे सरकार के वित्तीय सहयोग से तथा एक सौ से भी अधिक देशों के समर्थन से इस संस्थान का निर्माण किया गया।
तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था: बीज नमूनों के सुरक्षित भंडारण के लिए कांक्रीट के 6 मीटर ऊंचे, 27 मीटर लंबे और 10 मीटर चौड़े तीन प्रकोष्ठ बनाए गए। ये प्रकोष्ठ लोहे के वायुरोधी दरवाजों से युक्त हैं। प्रकोष्ठों में शून्य से भी 18 डिग्री सेल्सियस नीचे का तापमान बनाए रखने की व्यवस्था है, जो बीजों के संरक्षण के लिए आदर्श है।
बीज संग्रहण प्रक्रिया: वॉल्ट में प्रत्येक बीज प्रविष्टि के 500 दानों को तीन परतों वाले प्लास्टिक बैग में सीलबंद करके लोहे के बॉक्स में निर्धारित लेबल लगाकर रखा जाता है। इन नमूनों का वैधानिक अधिकार जमाकर्ता का ही होता है।
कितने नमूने संगृहीत हैं: मई 2024 की स्थिति में इस तिजोरी में लगभग 13 लाख नमूने संग्रहीत किए जा चुके हैं, जबकि इसकी क्षमता 45 लाख की है। अनाज वाली फसलों का महत्वपूर्ण स्थान होने के कारण संग्रहीत नमूनों में लगभग 69 प्रतिशत प्रविष्टियाँ अनाज फसलों जैसे धान, गेहूँ, मक्का, ज्वार, बाजरा, जौ आदि की हैं। लगभग 9 प्रतिशत नमूने फलीदार फसलों जैसे चना, अरहर, सेम आदि के हैं।
जमाकर्ता संस्थानों एवं देशों का योगदान: जमाकर्ता संस्थानों में सर्वाधिक प्रविष्टियाँ (36 प्रतिशत) इक्रीसेट, हैदराबाद की हैं, जबकि 13 प्रतिशत नमूनों के साथ इकार्डा का दूसरा स्थान है। वॉल्ट में भंडारित प्रविष्टियों की जमाकर्ता देश के आधार पर भारतवर्ष का स्थान प्रथम है। संग्रहीत नमूनों में से लगभग 15 प्रतिशत नमूने भारत द्वारा जमा किए गए हैं, जबकि 6 प्रतिशत के साथ मैक्सिको दूसरे स्थान पर है।
अन्य फसलों के बीज: खाद्यान्न फसलों के अतिरिक्त सब्जियों, फलों, चारा फसलों तथा वानिकी फसलों के बीज भी संग्रहीत किए गए हैं।
भारतीय बीज तिजोरी: एक महत्वपूर्ण कदम
स्थापना और स्थान: भारत का प्रथम और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सीड वॉल्ट हिमालय पर्वतमाला पर स्थित लद्दाख के चांग ला क्षेत्र में फरवरी 2010 में प्रारंभ किया गया। लेह से पैंगांग झील के पर्यटन महत्व की सड़क पर स्थित इस केंद्र की समुद्रतल से ऊंचाई 17677 फीट है।
स्थापना और सहयोग: यह बीज बैंक राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीपीजीआर) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के सहयोग से लगभग दो करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किया गया है।
संरचना और संग्रहण: दो कक्ष वाले इस बीज वॉल्ट में दिसम्बर 2023 की स्थिति में 102 जमाकर्ता संस्थानों के द्वारा खुबानी, प्याज, गोभी, गाजर, आलू, मूली, टमाटर, जौ, गेहूं तथा धान के लगभग 13 लाख नमूने शून्य से 15 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान पर संरक्षित किए गए हैं।
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