राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

समुद्री शैवाल की खेती को मिलेगा बढ़ावा: किसानों के लिए नई योजनाओं की सौगात

30 जुलाई 2024, नई दिल्ली: समुद्री शैवाल की खेती को मिलेगा बढ़ावा: किसानों के लिए नई योजनाओं की सौगात –  भारत सरकार ने किसानों को अच्छी गुणवत्ता के बायोस्टिमुलेंट्स की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उर्वरक (नियंत्रण) आदेश, 1985 के तहत बायोस्टिमुलेंट्स को शामिल किया है। समुद्री शैवाल बायोस्टिमुलेंट्स की आठ श्रेणियों में से एक है। एफसीओ के अंतर्गत भारत सरकार को समुद्री शैवाल के ब्यौरों को उल्लिखित करने और इसकी गुणवत्ता को विनियमित करने का अधिकार प्राप्त है।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत 98.75 करोड़ रुपये के केंद्रीय हिस्से के साथ 193.56 करोड़ रुपये की कुल लागत की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इसके तहत तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को धन जारी किया गया है।

स्वीकृत परियोजनाओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • विभिन्न तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए स्वीकृत इनपुट के साथ 45,095 राफ्ट और 66,330 मोनोलाइन तमिलनाडु में और दीव (दादरा नगर हवेली तथा दमन दीव के केंद्र शासित प्रदेश) में एक समुद्री शैवाल बैंक।
  • समुद्री शैवाल बीज संयंत्र उत्पादन वाणिज्यिक रूप से मूल्यवान समुद्री शैवाल की पायलट पैमाने पर खेती तथा समुद्री शैवाल की खेती, जागरूकता और प्रशिक्षण आदि के लिए व्यवहार्यता अध्ययन के लिए अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को 4.65 करोड़ रुपये की कुल लागत के साथ स्वीकृत 06 परियोजनाएं।

इसके अलावा, गुजरात में कच्छ की खाड़ी (कोरी क्रीक क्षेत्र) में समुद्री शैवाल की खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। पीएमएमएसवाई के तहत केंद्रीय नमक और मरीन केमिकल्स अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीएसएमसीआरआई), केंद्रीय मरीन मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-सीएमएफआरआई) और एनएफडीबी के सहयोग से निजी उद्यमी स्थानीय ग्रामीणों के साथ मिलकर समुद्री शैवाल की खेती, प्रशिक्षण और प्रदर्शन परियोजनाएं चला रहे हैं।

सरकार परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट (एमओवीसीडीएनईआर) योजनाओं के माध्यम से 2015-16 से जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। पीकेवीवाई को देश भर में लागू किया जा रहा है जबकि एमओवीसीडीएनईआर विशेष रूप से पूर्वोत्तर राज्यों में लागू की जा रही है। इन योजनाओं के अंतर्गत जैविक खेती में लगे किसानों को 3 वर्ष के लिए 15,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।

कृषि मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि समुद्री शैवाल आधारित जैविक उर्वरकों के प्रयोग के लिए किसानों को अलग से प्रोत्साहन नहीं दिया जाएगा। यह जानकारी आज राज्यसभा में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने लिखित उत्तर में दी।

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