“खेती बचाओ, देश बचाओ!”
21 मार्च 2025, नई दिल्ली: “खेती बचाओ, देश बचाओ!” – खेती सिर्फ एक व्यवसाय नहीं, बल्कि भारत की आत्मा और भविष्य है। आज़ादी के बाद हरित और श्वेत क्रांति ने हमें आत्मनिर्भर बनाया, लेकिन अब खेती को एक बार फिर से नए स्तर पर ले जाने की जरूरत है। आज किसान अपनी ही ज़मीन पर मजदूर बन रहा है, जबकि मुनाफ़ा बड़ी कंपनियों के हाथों में चला गया है।
भारत सरकार ने कृषि से जुड़े हर क्षेत्र को महंगा बना दिया—बीज, खाद, कीटनाशक, ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, सिंचाई, कटाई और भंडारण सभी पर भारी जीएसटी लगा दिया। हमारे वैज्ञानिक संस्थान देश के जलवायु-अनुकूल बीज, जैविक कीटनाशक, और सस्ते, टिकाऊ तकनीकी समाधान देने में विफल रहे हैं। आज जरूरत है कि किसान अपनी आवाज़ उठाए और खेती को कॉरपोरेट के चंगुल से वापस लेकर किसान-केंद्रित बनाए।
समस्याएँ और समाधान: (भारत और बुंदेलखंड के लिए)
1. बीज और फसल चयन
समस्या:
- कंपनियां महंगे और कमज़ोर हाइब्रिड बीज बेचती हैं, जिससे पारंपरिक और जलवायु-अनुकूल किस्में खत्म हो रही हैं।
- सरकार बीज अनुसंधान में निवेश नहीं कर रही।
समाधान:
- हर जिले में किसान बीज बैंक बनाए जाएं।
- माइक्रो-लेवल एग्रो-क्लाइमेटिक ज़ोन मैपिंग कर किसानों को उपयुक्त फसलें उगाने की ट्रेनिंग दी जाए।
2. खाद और मिट्टी की उर्वरता
समस्या:
- महंगे रासायनिक उर्वरकों ने ज़मीन की उर्वरता घटा दी है।
- जैविक और ह्यूमस-समृद्ध खेती पर ध्यान नहीं दिया जा रहा।
समाधान:
- नए जैविक खाद मॉडल (वर्मी कम्पोस्ट, ह्यूमस प्रबंधन) विकसित किए जाएं।
- मिट्टी परीक्षण केंद्र हर जिले में बनाए जाएं।
3. सिंचाई और जल प्रबंधन
समस्या:
- सिंचाई के पुराने और महंगे तरीके इस्तेमाल हो रहे हैं।
- पानी की भारी बर्बादी हो रही है।
समाधान:
- फर्टिगेशन और माइक्रो-इरीगेशन को अनिवार्य किया जाए।
- तालाबों और झीलों के पुनर्जीवन के लिए “हर खेत को पानी” अभियान चले।
4. मशीनरी और आधुनिक खेती तकनीक
समस्या:
- ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, और अन्य उपकरणों पर भारी जीएसटी है।
- छोटे किसानों के लिए आधुनिक मशीनरी उपलब्ध नहीं है।
समाधान:
- ग्राम स्तर पर कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) बनें, जिससे छोटे किसान सस्ती दरों पर मशीनें किराए पर ले सकें।
- ड्रोन और AI टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सटीक खेती के लिए किया जाए।
5. कटाई, भंडारण और मार्केटिंग
समस्या:
कटाई और भंडारण में भारी नुकसान होता है।
किसानों को सही कीमत नहीं मिलती, जबकि बिचौलिए और कंपनियां मुनाफा कमाती हैं।
समाधान:
- गांव स्तर पर भंडारण केंद्र (Cold Storage & Warehousing) बनें।
- MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को कानूनी गारंटी मिले।
- e-NAM और कोऑपरेटिव मॉडल को मजबूत किया जाए।
6. पशुपालन, मुर्गी पालन और मिश्रित खेती
समस्या:
- दूध, अंडे और मांस के उत्पादन में सरकारी मदद नहीं।
- पशुओं के लिए सस्ते चारे की उपलब्धता कम।
समाधान:
- डेयरी, बकरी और मुर्गीपालन को खेती से जोड़ा जाए।
- सस्ते पशु आहार और चारा बैंक बनाए जाएं।
संदेश: किसान अब जागेगा, भारत बचाएगा!
अब समय आ गया है कि हम अपनी खेती को फिर से किसानों के हाथ में लें!
हम “किसान संसद” बुलाने की मांग करते हैं, जहां किसान अपने मुद्दों को सीधे उठाएं। अब यह लड़ाई किसान बनाम कॉरपोरेट की है!
हम सभी किसान भाइयों को आह्वान करते हैं कि वे आगे आएं, एकजुट हों और मिलकर यह तय करें कि:
- बीज से लेकर बाजार तक किसानों का नियंत्रण हो।
- सरकार किसानों के लिए नीतियां बनाए, कॉरपोरेट के लिए नहीं।
- खेती को लाभकारी बनाया जाए, ताकि गांवों में फिर से समृद्धि आए।
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