सुरक्षित गांव: सामाजिक रूप से सुरक्षित गांवों के लिए पंचायती राज मंत्रालय का मॉडल
23 सितम्बर 2024, नई दिल्ली: सुरक्षित गांव: सामाजिक रूप से सुरक्षित गांवों के लिए पंचायती राज मंत्रालय का मॉडल – सामाजिक सुरक्षा वाले गाँव, पंचायती राज मंत्रालय की दृष्टि के अनुसार, ऐसे होते हैं जहाँ हर व्यक्ति को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत संरक्षण महसूस होता है। इसका उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे (BPL) परिवारों का जीवन स्तर उठाना, सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ सुनिश्चित करना, बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा और समावेशी वातावरण प्रदान करना है, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए।
सामाजिक सुरक्षा वाले गाँव के प्रमुख तत्व:
- समग्र सामाजिक सुरक्षा: गाँव के सभी पात्र व्यक्तियों को पेंशन, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ा जाता है। इसमें बच्चों और गर्भवती महिलाओं को एकीकृत बाल विकास योजना (ICDS) में पंजीकृत करना भी शामिल है, जिससे उन्हें उचित पोषण और देखभाल मिल सके।
- उत्पादक रोजगार: ग्रामीण क्षेत्रों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) और अन्य रोजगार योजनाओं के माध्यम से रोजगार के अवसर उत्पन्न करना।
- इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास: शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जरूरी सुविधाएं स्थापित करना ताकि सामाजिक भलाई को मजबूत किया जा सके।
- असमानताओं और भेदभाव का निवारण: सभी प्रकार के भेदभाव को कम करने पर विशेष ध्यान दिया जाता है और विकलांग लोगों को समर्थन और रोजगार के अवसर प्रदान किए जाते हैं।
ग्राम पंचायत की भूमिका:
ग्राम पंचायतें सामाजिक सुरक्षा में अहम भूमिका निभाती हैं। वे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के लिए पंजीकरण कराने, गरीबों और कमजोर वर्गों की पहचान करने, और विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता फैलाने का कार्य करती हैं। इसके अलावा, पंचायतें सेवा प्रदाताओं की निगरानी करती हैं, समावेशी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करती हैं, और समय पर सेवाओं की उपलब्धता की गारंटी देती हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में पंचायतें यह सुनिश्चित करती हैं कि स्कूलों में गुणवत्ता पूर्ण बुनियादी ढाँचा हो और सभी बच्चों को समावेशी एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले। रोजगार सृजन और कौशल विकास कार्यक्रमों के लिए भी पंचायतें महत्वपूर्ण होती हैं।
पंचायतों के लिए उपलब्ध संसाधन:
सामाजिक सुरक्षा वाले गाँवों का समर्थन करने के लिए पंचायतें विभिन्न योजनाओं का लाभ उठा सकती हैं, जैसे:
- प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना (PM-SYM): असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए पेंशन योजना।
- राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP): बुजुर्गों, विधवाओं और विकलांगों को पेंशन प्रदान करता है।
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA): 100 दिन के रोजगार की गारंटी देता है।
- प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY): छोटे व्यवसायों के लिए माइक्रो-फाइनेंसिंग।
महिलाओं और बच्चों के लिए सामाजिक सुरक्षा:
सामाजिक सुरक्षा वाले गाँवों में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा और सशक्तिकरण महत्वपूर्ण होते हैं। महिला हेल्पलाइन (1098), वन-स्टॉप सेंटर और एकीकृत बाल संरक्षण योजना (ICPS) जैसी योजनाओं के माध्यम से हिंसा के शिकार महिलाओं और बच्चों को सहायता, परामर्श, और कानूनी सहायता मिलती है।
सामाजिक सुरक्षा वाले गाँवों का लक्ष्य ऐसे समुदाय बनाना है जहाँ प्रत्येक व्यक्ति को बुनियादी अधिकार और संसाधन समान रूप से प्राप्त हो। पंचायती राज, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं, और समुदाय की भागीदारी के माध्यम से एक ऐसा भविष्य तैयार किया जा सकता है जिसमें ग्रामीण भारत आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत हो।
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