उर्वरकों पर रिकॉर्ड सब्सिडी! जानें किसानों को कैसे मिल रहा है लाभ, क्या है DBT सिस्टम
26 जुलाई 2025, नई दिल्ली: उर्वरकों पर रिकॉर्ड सब्सिडी! जानें किसानों को कैसे मिल रहा है लाभ, क्या है DBT सिस्टम – केंद्र सरकार किसानों को सस्ती दरों पर उर्वरक (fertilizer) उपलब्ध कराने के लिए DBT (Direct Benefit Transfer) in Fertilizers प्रणाली के तहत सब्सिडी मुहैया करा रही है। इस योजना के अंतर्गत 100% सब्सिडी राशि उर्वरक कंपनियों को दी जाती है, जब वे रिटेल स्तर पर आधार-पहचान वाले किसानों को बिक्री करती हैं। अब तक इस प्रणाली के तहत, सरकार ने ₹6,76,678.77 करोड़ से अधिक की सब्सिडी दी है , जो कृषि क्षेत्र के लिए एक रिकॉर्ड है।
क्या है DBT in Fertilizers योजना?
DBT (Direct Benefit Transfer) प्रणाली में उर्वरक की बिक्री के समय आधार आधारित प्रमाणीकरण होता है। प्रत्येक रिटेल दुकान पर PoS मशीन लगाई गई है, जिसमें किसान का आधार नंबर दर्ज कर खाद की बिक्री होती है। इससे केवल वास्तविक किसान को ही सब्सिडी का लाभ मिलता है और सिस्टम में पारदर्शिता बनी रहती है।
वित्त वर्ष 2022-23 से 2025-26 तक उर्वरक सब्सिडी का ब्यौरा
वित्त वर्ष | आयातित P&K (₹ करोड़) | स्वदेशी P&K (₹ करोड़) | स्वदेशी यूरिया (₹ करोड़) | आयातित यूरिया (₹ करोड़) | कुल सब्सिडी (₹ करोड़) |
2022-23 | 36032.56 | 50089.67 | 127311.05 | 41365.6 | 254798.88 |
2023-24 | 28929.57 | 36270 | 102027 | 28193.94 | 195420.51 |
2024-25 | 18800 | 34010 | 103319.5 | 21000 | 177129.5 |
2025-26* | 3977.77 | 10404.59 | 30940.82 | 4006.7 | 49329.88 |
कुल योग | 87739.9 | 130774.26 | 363598.37 | 94566.24 | 676678.77 |
यह 2025-26 के आंकड़े 21 जुलाई 2025 तक के हैं।
किसानों को कैसे मिल रहा लाभ?
1. यूरिया मात्र ₹242 में – 45 किलोग्राम यूरिया का थैला सरकार की तय कीमत पर ₹242 (करों और नीम कोटिंग शुल्क को छोड़कर) मिल रहा है। यूरिया की असली लागत और किसान से वसूल की जा रही कीमत के बीच का अंतर सरकार सीधे कंपनियों को देती है।
2. P&K उर्वरकों पर पोषक तत्व आधारित सब्सिडी- फास्फोरस और पोटाश जैसे उर्वरकों पर Nutrient Based Subsidy (NBS) नीति लागू है। इसमें सब्सिडी की राशि हर साल पोषक तत्वों के आधार पर तय की जाती है और कंपनियां बाजार के हिसाब से MRP तय करती हैं।
3. हर किसान के लिए उपलब्ध – यह व्यवस्था “No Denial Basis” पर काम करती है, यानी कोई भी आधार से प्रमाणित किसान उर्वरक खरीद सकता है, चाहे वो छोटा हो, सीमांत हो या बड़ा किसान।
क्या बदला इस डिजिटल प्रणाली से?
1. बिचौलियों की भूमिका घटी है, जिससे किसानों को सही समय पर, उचित दामों पर खाद मिल रही है।
2. POS मशीनों और आधार सत्यापन से सिस्टम में पारदर्शिता आई है, और भ्रष्टाचार की संभावना कम हुई है।
3. फर्टिलाइजर कंपनियों को समय पर भुगतान, जिससे आपूर्ति बेहतर बनी रहती है।
यह जानकारी केंद्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने 26 जुलाई 2025 को लोकसभा में लिखित उत्तर के रूप में दी।
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