राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

भारत में तटीय जलकृषि से रोजगार और निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि

29 नवंबर 2024, नई दिल्ली: भारत में तटीय जलकृषि से रोजगार और निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि – केंद्र सरकार ने तटीय जलकृषि को बढ़ावा देने के लिए तटीय जलकृषि प्राधिकरण अधिनियम, 2005 के तहत कई अहम कदम उठाए हैं। इस पहल का उद्देश्य तटीय क्षेत्रों में सतत विकास, पर्यावरण संरक्षण, और तटीय समुदायों की आजीविका सुनिश्चित करना है। तटीय जलकृषि प्राधिकरण ने अब तक देश के 9 तटीय राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में 46,976 तटीय जलकृषि फार्म पंजीकृत किए हैं।

तटीय जलकृषि: रोजगार और निर्यात में योगदान

तटीय जलकृषि के अंतर्गत मुख्य रूप से श्रिम्प एक्वाकल्चर (एल. वन्नामी और पी. मोनोडॉन प्रजातियां) का प्रभुत्व है। यह न केवल तटीय समुदायों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करता है, बल्कि भारत के समुद्री खाद्य निर्यात में भी अहम भूमिका निभाता है।

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  • 2023-24 में भारत ने 60,523.89 करोड़ रुपये मूल्य का समुद्री खाद्य निर्यात किया, जिसमें फ्रोज़न श्रिम्प का बड़ा योगदान रहा।
  • श्रिम्प निर्यात की मात्रा 7,16,004 मीट्रिक टन रही, जिसका मूल्य 40,014 करोड़ रुपये था।
वर्षसमुद्री खाद्य निर्यातफ्रोज़न श्रिम्प निर्यात
मात्रा (एमटी)भारतीय मूल्य (रुपए करोड़ में)यूएस $ (मिलयन)मात्रा (%)भारतीय मूल्य (रुपए करोड़ में)यूएस $ (मिलयन)
2021-22136926457586.487760728123427065828.6
2022-23173528663969.148094711099431365481.6
2023-24178160260523.897380716004400144881.3

(स्रोत: एमपीईडीए)

प्राधिकरण का उद्देश्य और कार्य

तटीय जलकृषि प्राधिकरण का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जलकृषि गतिविधियां सतत और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से हों। इसके तहत:

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  1. खारे पानी में नियंत्रित स्थितियों में जलकृषि उत्पादों का उत्पादन किया जाता है।
  2. तटीय पर्यावरण को नुकसान से बचाने के लिए पंजीकरण और विनियमन किया जाता है।
  3. फार्म, हैचरी, फीड प्लांट, प्रोसेसिंग यूनिट, और कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाएं विकसित की जाती हैं।

आंध्र प्रदेश में तटीय जलकृषि की स्थिति

आंध्र प्रदेश तटीय जलकृषि में अग्रणी राज्य है। यहां 2021 से 2024 के बीच कई नए जलकृषि फार्म पंजीकृत किए गए।

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  • बापतला और गुंटूर जिले सबसे आगे रहे, जहां 2023-24 में क्रमशः 358 और 541 फार्म पंजीकृत हुए।
  • अनकापल्ली और काकीनाडा जैसे जिलों में भी जलकृषि गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं।

सतत विकास और आजीविका के लिए बड़ा कदम

तटीय जलकृषि न केवल समुद्री खाद्य उत्पादन और निर्यात में योगदान दे रही है, बल्कि तटीय क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों को सशक्त भी कर रही है। यह पहल सतत विकास को बढ़ावा देने और भारत के मत्स्यन उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

यह जानकारी मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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