पीएम-आशा: रबी 2023-24 में किसानों को राहत, 6.41 लाख मीट्रिक टन दालों की खरीद
19 दिसंबर 2024, नई दिल्ली: पीएम-आशा: रबी 2023-24 में किसानों को राहत, 6.41 लाख मीट्रिक टन दालों की खरीद – भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने किसानों की आय बढ़ाने और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के उद्देश्य से पीएम-आशा (प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान) योजना को प्रभावी ढंग से लागू किया है। इस योजना के तहत रबी 2023-24 सीजन में दालों और तिलहनों की रिकॉर्ड खरीद की गई, जिससे लाखों किसानों को सीधा लाभ हुआ।
पीएम-आशा सितंबर 2018 में शुरू की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का लाभ सुनिश्चित करना, वित्तीय स्थिरता प्रदान करना, फसल बिक्री की मजबूरी को कम करना और तिलहन व दलहन के उत्पादन को बढ़ावा देना है। इस योजना में मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), मूल्य कमी भुगतान योजना (पीडीपीएस) और बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) शामिल हैं।
सितंबर 2024 में, सरकार ने इन योजनाओं को एकीकृत कर पीएम-आशा के तहत जारी रखने की मंजूरी दी।
रबी 2023-24: खरीद के आंकड़े
इस वर्ष रबी सीजन में 6.41 लाख मीट्रिक टन दालों की खरीद की गई, जिसमें 2.49 लाख मीट्रिक टन मसूर, 43,000 मीट्रिक टन चना और 3.48 लाख मीट्रिक टन मूंग शामिल हैं। इन खरीदों का कुल मूल्य 4,820 करोड़ रुपये है, जिससे 2.75 लाख किसानों को लाभ मिला।
इसी तरह, तिलहनों की खरीद में भी महत्वपूर्ण प्रगति हुई। 12.19 लाख मीट्रिक टन तिलहनों की खरीद के लिए 5.29 लाख किसानों को 6,900 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। इसके अतिरिक्त, चालू खरीफ सीजन में सोयाबीन के बाजार मूल्य में गिरावट को देखते हुए 11 दिसंबर 2024 तक 2,700 करोड़ रुपये के एमएसपी मूल्य पर 5.62 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन की खरीद की गई, जिससे 2.42 लाख से अधिक किसान लाभान्वित हुए।
पीएम-आशा: योजना के मुख्य बिंदु
- मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस): इस योजना के तहत राज्य सरकारों के अनुरोध पर अधिसूचित दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद की जाती है। 2024-25 से, राज्य अपने उत्पादन के अधिकतम 25% तक की खरीद कर सकते हैं। दालों की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए तुअर, उड़द और मसूर की खरीद पर सीमा समाप्त कर दी गई है।
- मूल्य कमी भुगतान योजना (पीडीपीएस): पीडीपीएस तिलहन उत्पादकों के लिए लागू है, जहां एमएसपी और बाजार मूल्य के अंतर का भुगतान किसानों को किया जाता है।
- बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस): यह योजना टमाटर, प्याज, आलू जैसे खराब होने वाले कृषि उत्पादों के लिए है। एमआईएस के तहत मूल्य अंतराल को पाटने और किसानों को बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाने के उपाय किए जाते हैं।
2018-19 से अब तक 195.39 लाख मीट्रिक टन दाल, तिलहन और खोपरा की खरीद 1,07,433 करोड़ रुपये के एमएसपी पर की गई है, जिससे 99 लाख से अधिक किसानों को फायदा पहुंचा है।
सरकार ने राज्य स्तरीय एजेंसियों के साथ नैफेड और एनसीसीएफ जैसी केंद्रीय नोडल एजेंसियों को जोड़कर किसानों से सीधा संपर्क स्थापित किया है। इससे किसानों को फसल कटाई के बाद फसल बेचने की मजबूरी कम हुई है और समय पर भुगतान भी सुनिश्चित हुआ है।
सरकार तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मूल्य कमी भुगतान योजना को भी प्रोत्साहित कर रही है। इस योजना से तिलहन उत्पादकों को बेहतर मूल्य और फसल विविधीकरण का लाभ मिल रहा है।
टमाटर, प्याज और आलू जैसी फसलों के मामले में बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) ने उत्पादक और उपभोक्ता राज्यों के बीच मूल्य असमानता को कम करने में मदद की है। नेफेड और एनसीसीएफ जैसी एजेंसियों को सक्रिय रूप से शामिल कर फसलों की खरीद और परिवहन को बेहतर बनाया गया है।
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