किनोआ- पोषण और गुणवत्ता
लेखक: डाॅ अंकित भारती 1 , डाॅ. अल्पना सिंह 2 , डाॅ रामकुमार राय 3 , डाॅ रोहित कुमार कुमावत 4, ankfst@gmail.com, सहायक प्राध्यापक, ऐ.के.एस. विश्वविद्यालय, सतना, म. प्र.।, प्राध्यापक, जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर, म. प्र.।, यंग प्रोफेशनल, उद्यानिकी एवम वानिकी महाविद्यालय, रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झांसी, उत्तर प्रदेश।, एस आर एफ, भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल, म. प्र.।
20 सितम्बर 2024, भोपाल: किनोआ- पोषण और गुणवत्ता – प्रस्तावना – किनोआ दक्षिण अमेरिका में पाया जाने वाला पौधा है जिसे छद्म या नकली अनाज भी कहा जाता है। इसे दक्षिण अमेरिकी क्षेत्र में कई हजार सालों से उगाया जा रहा है। किनोआ में अनुवांशिक विभिन्नता पाई जाती है जिस कारण इसे अलग-अलग कृषि जलवायु क्षेत्रों में उगाया जा सकता है। इसे समुद्र तल से अत्यंत ऊंचे (हिमालय क्षेत्र) से लेकर मानसूनी क्षेत्र तक में उगाया जा सकता है। वर्तमान में यह इंग्लैंड, स्वीडन, डेनमार्क, इटली, फ्रांस और नीदरलैंड जैसे देशों में उगाया जा रहा है। केन्या में इसका उत्पादन लगभग 4 टन प्रति हेक्टेयर तक देखा गया है। जिन क्षेत्रों में किनोआ की खेती की जा रही है वहां पर गेहूं के विकल्प के रूप में इसका उपयोग किया जा रहा है, जैसे ग्लूटेन रहित ब्रेड, पास्ता और अन्य मिष्ठान खाद्य पदार्थ।
किनोआ के पोषकीय गुण – किनोआ ने एक नए खाद्य स्रोत के रूप में आकर्षित किया है। इसकी तरफ आकर्षित होने का कारण इससे मिलने वाला पोषण और उसकी गुणवत्ता है इसमें लाइसिन नमक अमीनो एसिड पाया जाता है जो इसके प्रोटीन को अधिक पूर्ण बनाता है। अन्य अनाजों की अपेक्षा और इसके अमीनो एसिड के अनुपात, इसमें एक आदर्श प्रोटीन संतुलन का निर्माण करते हैं जैसा कि दूध में पाया जाता है और फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन द्वारा सुझाया गया है।
कार्बोहाइड्रेट – किनोआ अनाज ऐसा अनाज है जिसमें एमाइलेज़ युक्त कार्बोहाइड्रेट का अधिक प्रतिशत है जो मुख्यतः स्टार्च और कुछ मात्रा में शर्करा से बना होता है किनोआ में रेशे, विटामिन बी कांप्लेक्स, विटामिन सी, विटामिन ए और खनिज तत्व जैसे कैल्शियम मैग्नीशियम आयरन पोटेशियम फॉस्फोरस मैंगनीज जिंक कॉपर और सोडियम भी पाए जाते हैं। इसमें उच्च गुणवत्ता का प्रोटीन होता है तथा इसमें सोयाबीन के समान वसीय अम्लों का संयोजन भी होता है मानव आहार में अनाजों का अति महत्वपूर्ण स्थान है जिसमें गेहूं, मक्का, धान, जो और जई पूरी दुनिया में महत्वपूर्ण है पर यदि इन सभी अनाजों की तुलना किनोआ से करें तो इसकी पोषकीय प्रचुरता उच्च गुणवत्तायुक्त प्रोटीन, वसा तथा खनिज तत्व में आते हैं।
किनोआ में स्टार्च, कार्बोहाइड्रेट का मुख्य अवयव है, जो लगभग 62 से 74% तक पाया जाता है। किनोआ के स्टार्च (मांड) के सुक्ष्म कण अन्य अनाजों के कणों की अपेक्षा सूक्ष्म होते हैं। किनोआ में एमाइलॉपेक्टिन भी अधिकता से पाया जाता है जो किनोआ स्टार्च को ठंड से जमना व गलने (रेट्रोग्रेडेशन जिससे स्टार्च की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ता है) के प्रति स्थिर बनाता है और इसका उपयोग जमे हुए खाद्य पदार्थों में गाढ़ेपन को बनाए रखने या गाढ़ेपन को बढ़ाने में हो सकता है।
प्रोटीन – प्रोटीन की गुणवत्ता को अति आवश्यक अमीनो एसिड के अनुपात से समझा जा सकता है। 9 अति आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं, जो सारे के सारे दूध में पाए जाते हैं तथा यही सारे अमीनो एसिड किनोआ में भी पाए जाते हैं जो इसके प्रोटीन को गुणवत्ता युक्त प्रोटीन बनाते हैं।
वेगा गलवेज़ और अन्य (2010) के अनुसार, किनोआ में 13.8 प्रतिशत से 16.5% प्रोटीन होता है जो की खेती के क्षेत्र की भौगोलिक लक्षण और किनोआ की किस्म पर भी निर्भर करता है किनोआ में न सिर्फ प्रोटीन की अधिक मात्रा पाई जाती है और ऐसे अमीनो एसिड जो अन्य अनाज में सीमित मात्रा में पाए जाते हैं वह भी किनोआ में अच्छी मात्रा में पाए गए हैं शोधकर्ताओं ने बताया कि किनोआ की प्रोटीन की पाचकता या जैव उपलब्धता किस्म के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकती है जो की किनोआ को पकाने पर बढ़ जाती है। शोधकर्ताओं ने किनोआ की अलग-अलग किस्म पर अध्ययन करके इसकी प्रोटीन की पाचकता का अध्ययन किया जिसमें यह पता चला कि प्रोटीन की पाचकता लगभग 76.3 से 80% तक होती है। किनोआ, सेलीएक (गेहूं के आटे को लगातार खाने पर होने वाला एक तरह का रोग) बीमारी से ग्रसित व्यक्तियों के लिए भी उपयुक्त अनाज है क्योंकि इसमें ग्लियाडिन प्रोटीन और उससे संबंधित अन्य प्रोटीन अवयव जो कि गेहूं में ग्लूटेन का निर्माण के लिए उत्तरदाई होता है और अन्य अनाजों में पाया जाता है, वह अनुपस्थित होते हैं।
रेशे (फाइबर) – किनोआ के आहार्य रेशे या फाइबर का प्रतिशत अन्य अनाजों की तुलना में कुछ अधिक होता है जो लगभग 7 से 9.7%, किनोआ के अधिक रेशे वाला आहार पाचन क्षमता को मे सुधार करता है तथा बड़ी आंत में अन्य पोषक तत्वों की अवशोषण को बढ़ा देता है।
वसा – किनोआ के अनाज में लगभग 2 प्रतिशत से 7.5% तक वसीय अवयव पाए जाते हैं। किनोआ का वसा आवश्यक वसीय अम्लों से युक्त होता है, इसमें प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट, अल्फा एंड गामा टोकॉफरोल पाए जाते हैं। किनोआ में असंतृप्त वसीय अम्लों की अधिकता होती है और इसमें लिनोलिक एसिड भी अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं।
विटामिन – विटामिन मानव स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण अवयव है। किनोआ में कई विटामिन उपस्थित होते हैं। 100 ग्राम कीनोआ में लगभग 0.4 मिलीग्राम थायमिन, 78.1 मिलीग्राम फोलिक एसिड, 1.5 ग्राम विटामिन सी, 0.20 मिलीग्राम विटामिन b6 तथा 0.61 मिलीग्राम पैंटोथैनिक एसिड उपस्थित होते हैं। विटामिन ई 37.49 से 59.52 माइक्रोग्राम/ग्राम पाया जाता है।
खनिज तत्व (मिनरल्स) – मानव शरीर में और स्वास्थ्य में खनिजों की विद्युत अपघट्य (इलेक्ट्रोलाइट्स) के संतुलन जैसे सोडियम और पोटेशियम तथा तंत्रिका तंत्र में स्पंदन का स्थानांतरण, उत्प्रेरकों की क्रिया और ग्लूकोज की मेटाबॉलिज्म में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। किनोआ में कैल्शियम मैग्नीशियम तथा पोटेशियम अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। 874 मिलीग्राम/केजी कैल्शियम, 948.5 मिलीग्राम/केजी आयरन या लोह तत्व 2735 मिलीग्राम/केजी, फास्फोरस 9562 मिलीग्राम/केजी, पोटेशियम तथा 1901.5 मिलीग्राम/केजी मैग्नीशियम पाया जाता है।
किनोआ की फसल
भारत में भी किनोआ की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। वर्तमान में राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा के कुछ कृषि विज्ञान केंद्रों में इसकी उपज ली जा रही है। मध्य प्रदेश के जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत किनोआ में अलग-अलग प्रकार की शोध भी किए गए हैं, जिनमें ब्रेड और अलग-अलग खाद्य पदार्थ तैयार किए गए हैं। अपनी भिन्न पोषण गुणवत्ता के कारण यह एक उत्तम अनाज के रूप में उपयोग किया जा सकता है तथा इसमें से विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ बनाए जा सकते हैं। किनोआ अपने आप में मूल्य संवर्धन और नए खाद्य उत्पाद तैयार करने के असीमित गुण समेटे हुए है। इसके द्वारा मानव के पोषण में होने वाली कमी को और विशेष पोषक तत्व की कमी को भी पूरा किया जा सकता है। प्रसंस्करण तथा मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देकर इसकी क्षमताओं का पूर्ण रूप से उपयोग किया जा सकता है।
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