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राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

स्वामीनाथन सम्मेलन में बोले पीएम मोदी – किसानों का हित सर्वोच्च, सरकार कोई समझौता नहीं करेगी

07 अगस्त 2025, नई दिल्ली: स्वामीनाथन सम्मेलन में बोले पीएम मोदी – किसानों का हित सर्वोच्च, सरकार कोई समझौता नहीं करेगी – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (गुरुवार, 7 अगस्त 2025) को नई दिल्ली के पूसा परिसर में एमएस स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कृषि, किसानों और प्रो. एमएस स्वामीनाथन के योगदान पर विस्तार से बात की।

प्रधानमंत्री ने प्रो. स्वामीनाथन को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वह दूरदर्शी वैज्ञानिक थे जिन्होंने विज्ञान को जनसेवा का माध्यम बनाया और भारतीय कृषि को खाद्य सुरक्षा, आत्मनिर्भरता और सतत विकास की दिशा में ले गए। उन्होंने कहा कि प्रो. स्वामीनाथन की सोच आज भी भारत की नीतियों और प्राथमिकताओं का मार्गदर्शन कर रही है।

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इस अवसर, पीएम मोदी ने कहा, “किसानों का कल्याण देश की सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा।”

खेती सिर्फ फसल नहीं, बल्कि जीवन है

प्रधानमंत्री ने कहा कि खेती सिर्फ फसलों की बात नहीं है, बल्कि यह जीवन, समाज और पर्यावरण से जुड़ी हुई है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि उनकी सरकार किसानों की आय बढ़ाने, कृषि लागत कम करने और नए राजस्व स्रोत बनाने पर निरंतर काम कर रही है।

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उन्होंने बताया कि भारत आज दूध, दाल, जूट उत्पादन में पहले स्थान पर है और चावल, गेहूं, कपास, फल-सब्जी उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। भारत अब विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश भी है। पीएम मोदी ने बताया कि पिछले वर्ष भारत ने अब तक का सबसे अधिक खाद्यान्न उत्पादन किया है और तिलहन फसलों जैसे सोयाबीन, मूंगफली और सरसों में भी रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है।

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किसानों के लिए बनी नीतियां सिर्फ सहायता नहीं, विश्वास निर्माण के लिए हैं

प्रधानमंत्री ने किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का उल्लेख करते हुए बताया:

1. PM किसान सम्मान निधि से सीधे वित्तीय सहायता मिल रही है।
2. PM फसल बीमा योजना ने किसानों को जोखिम से सुरक्षा दी है।
3. PM कृषि सिंचाई योजना से सिंचाई की चुनौतियों का समाधान हुआ है।
4. 10,000 एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) से छोटे किसानों को जोड़कर सामूहिक ताकत मिली है।
5. ई-नाम प्लेटफॉर्म से किसान अपनी फसल को आसानी से बाजार तक पहुंचा पा रहे हैं।
6. PM किसान संपदा योजना से भंडारण और फूड प्रोसेसिंग की सुविधाएं बढ़ी हैं।
7. हाल ही में शुरू हुई PM धन धान्य योजना से 100 पिछड़े कृषि जिलों का विकास किया जा रहा है।

प्राकृतिक खेती और जलवायु-उपयुक्त फसलें भविष्य की जरूरत

प्रधानमंत्री ने कहा कि अब भारत को ऐसे रास्ते अपनाने होंगे जो पर्यावरण के अनुकूल हों। उन्होंने प्राकृतिक खेती, जैव विविधता, सूखा-सहिष्णु और पोषणयुक्त फसलों की ओर बढ़ने की आवश्यकता बताई।

उन्होंने बताया कि प्रो. स्वामीनाथन ने ऐसे समय में बाजरा (श्री अन्न) जैसी फसलों पर ध्यान दिया जब उन्हें नजरअंदाज किया जाता था। उन्होंने कहा कि जलवायु संकट और पोषण की चुनौतियों का हल उन्हीं अनदेखी फसलों में है। पीएम मोदी ने मैंग्रोव के जीन को चावल में मिलाने की प्रो. स्वामीनाथन की सोच का जिक्र करते हुए कहा कि जलवायु अनुकूल फसलें अब वैश्विक प्राथमिकता बन चुकी हैं।

किसानों से वैज्ञानिकों से जुड़ाव की अपील की

पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि किसान प्रयोगशालाओं से बाहर निकलकर खेतों तक जाएं। उन्होंने बताया कि मई-जून 2025 में “विकसित कृषि संकल्प अभियान” चलाया गया, जिसमें 2,200 वैज्ञानिकों की टीमों ने देश के 700 से अधिक जिलों में जाकर 60,000 कार्यक्रमों के माध्यम से 1.25 करोड़ किसानों से सीधा संवाद किया। उन्होंने कहा कि यह अभियान एक बड़ी सफलता रही और इससे किसानों को वैज्ञानिक जानकारी सीधे मिली।

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तकनीक से खेती को स्मार्ट बनाएं: AI, सैटेलाइट और ड्रिप सिंचाई की जरूरत

प्रधानमंत्री ने कहा कि अब जरूरत है कि AI, मशीन लर्निंग और सैटेलाइट डेटा को कृषि में शामिल किया जाए। उन्होंने पूछा – “क्या हम ऐसी प्रणाली बना सकते हैं जो फसल पूर्वानुमान दे, कीटों की पहचान करे और बुवाई में मार्गदर्शन दे?”

उन्होंने ड्रिप सिंचाई, सौर ऊर्जा से चलने वाली सूक्ष्म सिंचाई और सटीक पोषण प्रबंधन जैसी तकनीकों को अपनाने पर ज़ोर दिया। साथ ही, मृदा परीक्षण उपकरण को किफायती और सुलभ बनाने की जरूरत बताई।

खाद्य और शांति के लिए अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार की शुरुआत

प्रधानमंत्री ने इस मौके पर “एमएस स्वामीनाथन खाद्य एवं शांति पुरस्कार” की शुरुआत की घोषणा की। यह पुरस्कार विकासशील देशों के उन व्यक्तियों को दिया जाएगा जो खाद्य सुरक्षा, जलवायु न्याय, समानता और शांति के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहे हों। इस पुरस्कार का पहला विजेता नाइजीरिया के प्रोफेसर एडेनले बने, जिन्हें पीएम मोदी ने प्रतिभाशाली वैज्ञानिक बताते हुए बधाई दी।

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