NABARD सर्वे: 5 साल में 57% बढ़ी ग्रामीण आय, लेकिन कर्ज़ के आंकड़ों में भी बढ़ोतरी
11 अक्टूबर 2024, नई दिल्ली: NABARD सर्वे: 5 साल में 57% बढ़ी ग्रामीण आय, लेकिन कर्ज़ के आंकड़ों में भी बढ़ोतरी – राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) ने अपनी दूसरी अखिल भारतीय ग्रामीण वित्तीय समावेशन सर्वेक्षण (NAFIS) 2021-22 की रिपोर्ट जारी की है। इस सर्वे में 1 लाख ग्रामीण घरों की आर्थिक और वित्तीय स्थिति पर जानकारी दी गई है। सर्वे से यह पता चला कि 2016-17 के मुकाबले 2021-22 में ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है, खासकर कोविड के बाद के दौर में। इस रिपोर्ट से ग्रामीण विकास के विभिन्न संकेतकों की स्थिति और विकास की दिशा को समझा जा सकता है।
ग्रामीण परिवारों की औसत आय में 57% की बढ़ोतरी
NAFIS 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण परिवारों की औसत मासिक आय में 57.6% की वृद्धि दर्ज की गई है। 2016-17 में जहाँ यह आय ₹8059 थी, 2021-22 में यह बढ़कर ₹12698 हो गई। इसी अवधि में ग्रामीण परिवारों का मासिक खर्च भी बढ़ा है, जो 2016-17 में ₹6646 था, वह अब ₹11262 हो गया है।
ग्रामीण घरों में बचत की प्रवृत्ति में भी सुधार देखा गया है। 2021-22 में ग्रामीण परिवारों की वार्षिक औसत बचत ₹13209 रही, जबकि 2016-17 में यह ₹9104 थी। सर्वेक्षण में 66% परिवारों ने वित्तीय बचत की सूचना दी, जो पहले 50.6% थी।
ऋण और संस्थागत उधारी का बढ़ता रुझान
ग्रामीण क्षेत्रों में संस्थागत स्रोतों से ऋण लेने वाले कृषि परिवारों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2021-22 में 75.5% कृषि परिवारों ने केवल संस्थागत स्रोतों से ऋण लिया, जबकि 2016-17 में यह आंकड़ा 60.5% था। गैर-कृषि परिवारों में भी यह आंकड़ा 72.7% हो गया है। साथ ही, गैर-संस्थागत स्रोतों से उधारी लेने वालों की संख्या में कमी आई है।
कर्ज और वित्तीय साक्षरता में सुधार
NAFIS 2021-22 के अनुसार, ग्रामीण परिवारों के बीच कर्ज लेने की प्रवृत्ति बढ़ी है। 2021-22 में औसत कर्ज ₹47158 रहा, जो 2016-17 में ₹46574 था। इसके अलावा, वित्तीय साक्षरता में भी 17% का सुधार देखा गया है, जिसमें 51.3% परिवारों ने बेहतर वित्तीय ज्ञान की सूचना दी है।
कर्ज कार्ड और बीमा कवरेज में बढ़ोतरी
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के उपयोग में वृद्धि हुई है, जो ग्रामीण कृषि क्षेत्र में वित्तीय समावेशन का महत्वपूर्ण साधन माना जाता है। 2021-22 में 44.1% कृषि परिवारों के पास KCC था, जबकि 2016-17 में यह आंकड़ा 10.5% था। बीमा कवरेज में भी जबरदस्त सुधार हुआ है, जिसमें 80.3% परिवारों के पास बीमा योजना थी, जो पहले सिर्फ 25.5% थी।
कृषि भूमि के रकबे में गिरावट
रिपोर्ट में पाया गया कि ग्रामीण परिवारों के पास कृषि भूमि का औसत रकबा 1.08 हेक्टेयर से घटकर 0.74 हेक्टेयर रह गया है। इसके अलावा, पेंशन प्राप्त करने वाले परिवारों की संख्या में मामूली वृद्धि हुई है, जो 18.9% से बढ़कर 23.5% हो गई है।
नाबार्ड का यह सर्वे ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन, आय, बचत और खर्च में सुधार की ओर इशारा करता है, लेकिन कर्ज़ का बढ़ता बोझ और कृषि भूमि का घटता रकबा चिंताजनक हैं। सरकार की विभिन्न योजनाओं और नीतियों के प्रभाव के बावजूद, ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी सुधार की गुंजाइश है।
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