जीवनदाता किसान के कल्याण के लिए अनेकों उपाय किए जा रहे हैं- केंद्रीय कृषि मंत्री श्री चौहान
31 जुलाई 2024, नई दिल्ली: जीवनदाता किसान के कल्याण के लिए अनेकों उपाय किए जा रहे हैं- केंद्रीय कृषि मंत्री श्री चौहान – केन्द्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को लोक सभा में प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष और तत्कालीन यूपीए सरकार को जमकर घेरा। कृषि संबंधित प्रश्नों के जवाब देते हुए श्री चौहान ने कहा कि, तत्कालीन यूपीए सरकार ने किसान कल्याण, किसानों के विकास के लिए कोई कदम नहीं उठाए। इनकी सरकार में भंडारण के लिए ना तो वेयर हाउस की व्यवस्था थी, ना ही कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था थी। किसान की सेवा हमारे लिए भगवान की पूजा से बढ़कर है और इसी भाव से अनेकों उपाय ये सरकार कर रही है। उन्होंने कहा कि, किसान अन्नदाता है, अन्न के भंडार भरता है और अन्न जीवन देता है इसलिए किसान जीवनदाता भी है।
UPA सरकार ने किसानों से छलावा किया
केन्द्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, साल 2006 में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट आई थी। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि, किसानों की लागत में 50% लाभ जोड़कर मिनिमम सपोर्ट प्राइज जोड़कर तय किया जाए, लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार ने साफ इनकार कर दिया था। *तत्कालीन कृषि मंत्री कांतिलाल भूरिया थे, उन्होंने कहा था 50% मुनाफा जोड़कर नहीं दिया जा सकता। शरद पवार कृषि मंत्री थे, उन्होंने ने भी कहा था कि, नहीं दिया जा सकता। थॉमस जी ने भी एमएसपी पर खरीद को खारिज कर दिया था। इन्होंने कहा 50% की वृद्धि निर्धारित करने से मंडी में विकृति आ जाएगी और ये किसी भी कीमत पर नहीं किया जा सकता है।* श्री चौहान ने कहा कि बाजरा का एमएसपी मूल्य 1250 था, हमने बढ़ाकर 2625 रुपए कर दिया है। जौ का समर्थन मूल्य 1100 रु. था, जिसे बढ़ाकर 1850 रूपए कर दिया है। ज्वार हाइब्रिड 1500 से 3571, मक्का 1310 से 2225, रागी 1500 से 4290, गेहूं 1400 से 227, किया गया ।
एग्री इंफ्रा फंड किसानों के हित में बड़ा कदम
केन्द्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रसन्नता है कि देश के अन्न के भंडार भरे हैं। मुझे बताते हुए प्रसन्नता है कि आज हमारी कृषि विकास दर 4% के आसपास है लेकिन अन्न के भंडार या फल या सब्जी के उत्पादन के बाद एक समस्या आती है और वो समस्या है उसके उचित भंडारण की। 1 लाख करोड़ रूपए की एग्रो इन्फ्रा फंड की योजना के अंतर्गत अब तक पूरे देश में 31 राज्य सम्मिलित हैं। कुल मिलाकर 72 हजार 222 संरचनाएं, जिनकी लागत 76 हजार 305 करोड़ रूपए है। और इसके कारण किसान को अपने उत्पाद को औने-पौने दाम पर बेचना नहीं पड़ता। वो जब चाहता है वेयर हाउस या कोल्ड स्टोरेज में रखता है और उचित दाम मिलने पर बेचता है। ये किसान की खेती को फायदे का धंधा बनाने के लिए बहुत बड़ा कदम है। जिसका लाभ पूरे देश के किसान उठा रहे हैं। इस योजना के अंतर्गत कोल्ड स्टोरेज का निर्माण किया जा सकता है। वो निर्माण निजी निवेशक भी कर सकता है। FPO किसानों के समूह भी कर सकते है, स्वयं सहायता समूह भी कर सकता है।
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