राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

आम और कपास उत्पादन में कमी की संभावना

23 अप्रैल 2023, नई दिल्ली आम और कपास उत्पादन में कमी की संभावना – आईसीएआर के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं के कारण भारत की आम की फसल को 20 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है। आम उत्पादकों ने उत्तर भारत में ओलावृष्टि और आंधी के कारण व्यापक क्षति की सूचना दी। वहीं भारतीय कपास संघ ने कपास उत्पादन अनुमान को 10 लाख गांठ घटाकर 303 लाख गांठ कर दिया है।

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‘फलों का राजा’ आम भारत में एक महत्वपूर्ण बागवानी फसल है और दुनिया के आम उत्पादन में लगभग 42 प्रतिशत योगदान देता है। बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं ने पिछले कुछ दिनों में देश के विभिन्न क्षेत्रों में बागवानी और खाद्यान्न की फसल को प्रभावित किया है।

शुरुआती बारिश ने आम के बागानों को प्रभावित नहीं किया, लेकिन बाद की बारिश और ओलावृष्टि से आम की फसल को गंभीर नुकसान पहुंचा हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप-महानिदेशक (बागवानी) श्री ए. के. सिंह के अनुसार, ‘अभी तक हम कुल नुकसान लगभग 20 प्रतिशत होने का अनुमान लगा रहे हैं।’

आम की फसल का नुकसान उत्तर भारत में अधिक बार हुआ है, खासकर उत्तर प्रदेश में जो भारत का शीर्ष आम उत्पादक राज्य है। उनके अनुसार अकेले उत्तर भारत में आम की फसल का अनुमानित नुकसान 30 प्रतिशत से अधिक होगा, जबकि दक्षिण भारत में नुकसान 8 प्रतिशत से कम होगा। उन्होंने कहा कि राज्य अब भी नए आंकड़े उपलब्ध कराने का इंतजार कर रहे हैं।

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सरकार के अनुमान के मुताबिक देश में फसल वर्ष (जुलाई-जून) 2021-22 के दौरान 210 लाख टन आम का उत्पादन हुआ, जो एक साल पहले 203.86 लाख टन था। आंकड़ों के अनुसार 2020-21 की अपेक्षा 2021-22 में आम के उत्पादन में कुल 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

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कपास उत्पादन 303 लाख गांठ तक रहने का अनुमान

दूसरी तरफ भारतीय कपास संघ ने अक्टूबर से शुरू हो रहे 2022-23 सत्र के लिए कपास  उत्पादन के अनुमान को 10 लाख बेल्स (गांठ) (एक गांठ 170 किलोग्राम) घटाकर 303 लाख गांठ कर दिया है। इसका कारण यह है कि महाराष्ट्र, तेलंगाना, पंजाब और आंध्र प्रदेश में उत्पादन घटने की आशंका है।

भारतीय कपास संघ ने बयान में कहा कि पिछले सत्र में कुल कपास उत्पादन 307.05 लाख गांठ रहने का अनुमान लगाया गया था। एक अक्टूबर, 2022 से शुरू हुए मौजूदा सत्र में कपास का उत्पादन पंजाब में दो लाख गांठ, महाराष्ट्र में तीन लाख गांठ, तेलंगाना में पांच लाख गांठ और आंध्र प्रदेश में 50 हजार गांठ घटने की आशंका है।

अक्टूबर, 2022 से मार्च, 2023 के दौरान कुल कपास की आपूर्ति 229.02 लाख गांठ होने का अनुमान है, जिसमें 190.63 लाख गांठ का उत्पादन, 6.50 लाख गांठ का आयात और सत्र की शुरुआत में 31.89 लाख गांठ का शुरुआती स्टॉक शामिल है। इसके अलावा, सीएआई ने अक्टूबर 2022 से मार्च 2023 तक कपास की खपत 149 लाख गांठ होने का अनुमान लगाया है, जबकि 31 मार्च, 2023 तक निर्यात की खेप 10.50 लाख गांठ होने का अनुमान लगाया है।

मार्च, 2023 के अंत में स्टॉक 69.52 लाख गांठ होने का अनुमान है, जिसमें 50.52 लाख गांठ कपड़ा मिलों के पास और शेष 19 लाख गांठ भारतीय कपास निगम, महाराष्ट्र फेडरेशन और अन्य  व्यापारियों, आदि के पास हैं।

मौजूदा सत्र के अंत में 30 सितंबर, 2023 तक कपास की आपूर्ति 349.89 लाख गांठ होने का अनुमान है। इसमें सत्र की शुरुआत में 31.89 लाख गांठों का शुरुआती स्टॉक, 303 लाख गांठ की वर्तमान फसल और 15 लाख गांठ के आयात का अनुमान शामिल है। भारतीय कपास संघ द्वारा इसी वर्ष 2021-22 के लिए अनुमानित आयात 14 लाख गांठ था, जबकि इस सत्र के लिए निर्यात 25 लाख गांठ होने का अनुमान है। भारतीय कपास संघ ने कहा कि सत्र के लिए घरेलू खपत 311 लाख गांठ रहने का अनुमान है।

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