महाराष्ट्र सरकार ने शुरू की ₹500 करोड़ की महाअग्री-एआई नीति, कृषि क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लाएगी क्रांतिकारी बदलाव
18 जून 2025, नई दिल्ली: महाराष्ट्र सरकार ने शुरू की ₹500 करोड़ की महाअग्री-एआई नीति, कृषि क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लाएगी क्रांतिकारी बदलाव – महाराष्ट्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में तकनीकी क्रांति लाने के उद्देश्य से देश की पहली व्यापक राज्य-स्तरीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) नीति, महाअग्री-एआई नीति 2025–2029 की घोषणा की है। ₹500 करोड़ के शुरुआती बजट के साथ यह नीति कृषि उत्पादकता, टिकाऊ खेती और किसान कल्याण को बढ़ावा देने के लिए एआई और उभरती हुई तकनीकों के उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
यह नीति महाराष्ट्र के किसानों को लंबे समय से प्रभावित कर रही समस्याओं — जैसे कम उत्पादकता, जल संकट, जलवायु परिवर्तन और फसल के बाद की क्षति — के समाधान के लिए बनाई गई है। इसके माध्यम से राज्य सरकार न केवल महाराष्ट्र को कृषि क्षेत्र में एआई आधारित नवाचारों का केंद्र बनाना चाहती है, बल्कि इसे राष्ट्रीय और वैश्विक मॉडल के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी अग्रसर है।
इस नीति के तहत राज्य में एक साझा डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (Digital Public Infrastructure) तैयार की जाएगी, जो एआई आधारित समाधानों की नींव बनेगी। इसके अंतर्गत ‘एग्रीकल्चर डेटा एक्सचेंज (ADeX)’ की स्थापना की जाएगी, जो कृषि से संबंधित आंकड़ों — जैसे मौसम, मिट्टी की गुणवत्ता, कीट संक्रमण, फसल की स्थिति, बाजार मूल्य और भंडारण की जानकारी — को सुरक्षित और सहमति-आधारित तरीके से साझा करने की सुविधा देगा। इसके अलावा एक सैंडबॉक्स वातावरण भी तैयार किया जाएगा, जिसमें स्टार्टअप और नवाचारकर्ता वास्तविक परिस्थितियों का अनुकरण कर अपने एआई समाधान परीक्षण कर सकेंगे।
राज्य एक एकीकृत रिमोट सेंसिंग और भू-स्थानिक खुफिया इंजन भी लागू करेगा, जो उपग्रह चित्रों, ड्रोन डेटा और आईओटी आधारित फील्ड डिवाइसेज़ की मदद से उपज का पूर्वानुमान, आपदा जोखिम मानचित्रण, जल संसाधन प्रबंधन और योजनाओं की निगरानी जैसे कार्यों में मदद करेगा। साथ ही, एक एआई-सक्षम कृषि खाद्य ट्रेसबिलिटी और गुणवत्ता प्रमाणन प्लेटफॉर्म भी स्थापित किया जाएगा, जो ब्लॉकचेन और क्यूआर कोड तकनीक के माध्यम से खाद्य गुणवत्ता सुनिश्चित करेगा और वैश्विक निर्यात मानकों के अनुरूप कार्य करेगा।
नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए एक बहु-स्तरीय प्रशासनिक ढांचा तैयार किया गया है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय स्टीयरिंग समिति नीति को लागू करने और निगरानी रखने का कार्य करेगी, जबकि तकनीकी और वाणिज्यिक मामलों की समीक्षा राज्य स्तरीय तकनीकी समितिद्वारा की जाएगी। वहीं, एआई और एग्रीटेक इनोवेशन सेंटर के रूप में एक पूर्णकालिक इकाई गठित की जाएगी जो परियोजनाओं की पहचान, हैकाथॉन का आयोजन, स्टार्टअप्स का मार्गदर्शन और नीतिगत मूल्यांकन का कार्य करेगी। यह केंद्र हर वर्ष वैश्विक एआई इन एग्रीकल्चर सम्मेलन और निवेशक सम्मेलन का आयोजन भी करेगा, जिससे महाराष्ट्र को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया जाएगा।
राज्य की चार कृषि विश्वविद्यालयों में एआई अनुसंधान और नवाचार केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जो क्षेत्रीय फसलों और जलवायु की विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए एआई आधारित समाधान विकसित और परीक्षण करेंगे। इन केंद्रों में आईआईटी, आईसीएआर और वैश्विक शोध संस्थानों के साथ साझेदारी को भी बढ़ावा दिया जाएगा ताकि नवाचार की गुणवत्ता वैश्विक मानकों के अनुरूप हो।
नीति की एक खास बात यह भी है कि इसमें किसान और विस्तार अधिकारियों के लिए क्षमता निर्माण पर विशेष जोर दिया गया है। किसानों को स्थानीय भाषाओं में एआई उपकरणों का प्रशिक्षण, फील्ड डेमो, डिजिटल सामग्री और सतत सहायता उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे वे तकनीकी समाधान आत्मसात कर सकें और लाभ उठा सकें।
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