मध्य प्रदेश सरकार ने मूंग की खरीदी से किया इनकार, खरपतवारनाशकों के उपयोग को बताया मुख्य कारण
MSP पर खरीदी ना होने से नाराज़ किसानों में बढ़ेगा आक्रोश
06 जून 2025, नई दिल्ली: मध्य प्रदेश सरकार ने मूंग की खरीदी से किया इनकार, खरपतवारनाशकों के उपयोग को बताया मुख्य कारण – मध्य प्रदेश सरकार ने वर्ष 2025–26 विपणन सत्र के लिए मूंग की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदी नहीं करने का निर्णय लिया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब प्रदेश में इस वर्ष ग्रीष्मकालीन मूंग की बंपर फसल हुई है और किसान सरकार से खरीदी की अपेक्षा कर रहे थे।
कृषक जगत ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद श्री अशोक वर्णवाल, अपर मुख्य सचिव एवं कृषि उत्पादन आयुक्त, मध्य प्रदेश से इस संबंध में प्रश्न किया। श्री वर्णवाल ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार इस वर्ष मूंग खरीदी के लिए केंद्र को कोई प्रस्ताव नहीं भेजेगी। उन्होंने इसका कारण किसानों द्वारा फसल पकने के समय खरपतवारनाशकों का अत्यधिक उपयोग बताया, जिससे फसल की गुणवत्ता सरकारी खरीदी मानकों पर खरी नहीं उतरती।
केंद्र को नहीं भेजा गया खरीदी प्रस्ताव
जून माह के आरंभ तक केंद्र सरकार को खरीदी के लिए कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया है। जबकि पिछले वर्ष 2024 में 20 मई तक पंजीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई थी। इस वर्ष न तो कोई निर्देश जारी हुए हैं और न ही कोई पहल की गई है, जिससे किसानों में भारी निराशा फैली हुई है।
इस वर्ष प्रदेश के 16 ज़िलों में लगभग 10.21 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मूंग की बुआई हुई है, जो पिछले वर्ष के 9.89 लाख हेक्टेयर से अधिक है। अनुमानित उत्पादन 20 लाख टन आंका जा रहा है, जिससे बाजार स्थिरता और किसानों की आय के लिए सरकारी हस्तक्षेप आवश्यक माना जा रहा था।
जमीनी हकीकत: किसान ने बताया मूंग में खरपतवारनाशकों का उपयोग क्यों जरूरी
कृषक जगत ने नर्मदापुरम ज़िले के किसान शरद वर्मा से भी बात की, जिन्होंने मूंग की कटाई से पहले खरपतवारनाशकों के उपयोग की प्रक्रिया समझाई। उन्होंने बताया,
“किसान मूंग फसल की पत्तियों को सुखाने के लिए ग्लाइफोसेट और पैराक्वाट जैसे खरपतवारनाशकों का छिड़काव करते हैं। यह छिड़काव तब किया जाता है जब फली सूख चुकी होती है, ताकि हरी पत्तियाँ हार्वेस्टर में फंसकर रुकावट न पैदा करें। आमतौर पर कटाई के तीन दिन पहले यह छिड़काव किया जाता है। यह इसलिए भी जरूरी होता है क्योंकि खरीफ की बुआई तत्काल शुरू करनी होती है क्योंकि प्री-मानसून बारिश इसी समय शुरू हो जाती है।”
शरद वर्मा ने बताया कि यह एक आम प्रक्रिया है जो विशेष रूप से यांत्रिक कटाई में अपनाई जाती है, लेकिन अब सरकार इसी को खरीदी में बाधा बता रही है।
प्रमुख ज़िलों में किसानों को मूल्य संकट का सामना
हरदा, नर्मदापुरम, सीहोर, विदिशा और रायसेन जैसे प्रमुख मूंग उत्पादक ज़िलों में किसान भारी हानि झेल रहे हैं। खरीदी प्रक्रिया बंद होने से किसानों को मंडियों में अपनी फसल ₹6,000 से ₹6,500 प्रति क्विंटल के भाव पर बेचनी पड़ रही है, जबकि घोषित MSP ₹8,768 प्रति क्विंटल है।
नीतिगत संकेत और संभावित विरोध
मध्य प्रदेश सरकार का यह निर्णय न केवल राज्य में बल्कि देश के अन्य मूंग उत्पादक क्षेत्रों में भी असर डालेगा। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की नीतियाँ किसानों को मूंग जैसी दलहन फसलों से विमुख कर सकती हैं। किसान संगठनों ने राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं और तत्काल खरीदी प्रक्रिया शुरू करने की मांग कर रहे हैं।
यह मामला यह भी दर्शाता है कि खेतों में बदलती यांत्रिक कृषि पद्धतियाँ अब सरकारी नीतियों और खरीदी मानकों से टकरा रही हैं, जिनका पुनर्मूल्यांकन समय की मांग है।
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