MSP की लीगल गारंटी सिर्फ पंजाब-हरियाणा नहीं, पूरे देश के किसानों की मांग: जंतर मंतर से बोले किसान नेता डल्लेवाल
26 अगस्त 2025, नई दिल्ली: MSP की लीगल गारंटी सिर्फ पंजाब-हरियाणा नहीं, पूरे देश के किसानों की मांग: जंतर मंतर से बोले किसान नेता डल्लेवाल – दिल्ली के जंतर मंतर पर सोमवार को आयोजित ‘किसान महापंचायत’ में देश के कोने-कोने से किसान जुटे। इस मौके पर संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के प्रमुख नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने दो टूक कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानूनी गारंटी की मांग सिर्फ हरियाणा या पंजाब तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत के हर किसान की आवाज बन चुकी है।
यह महापंचायत उस ऐतिहासिक आंदोलन के करीब चार साल बाद हो रही है, जिसने केंद्र सरकार को तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए विवश किया था।
तीन बुनियादी मुद्दों पर केंद्रित है यह आंदोलन
महापंचायत में किसानों ने तीन प्रमुख मांगों को लेकर सरकार के सामने स्पष्ट संदेश रखा:
1. सभी फसलों पर MSP की कानूनी गारंटी के साथ, शंभू, खनौरी और रत्नपुरा बॉर्डर पर हुए आंदोलनों से जुड़ी बाकी लंबित मांगों को भी तुरंत पूरा किया जाए।
2. भारत-अमेरिका के संभावित व्यापार समझौते से कृषि, डेयरी, पोल्ट्री और मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों को बाहर रखा जाए ताकि किसानों की आजीविका को खतरा न हो।
3. 2020-21 किसान आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए सभी मुकदमों को तुरंत रद्द किया जाए।
‘MSP पूरे देश का मुद्दा है’: डल्लेवाल
किसान नेता डल्लेवाल ने कहा, “हमने कोशिश की है कि देश के हर कोने से किसान यहां आएं और अपनी बात रखें। MSP सिर्फ दो राज्यों का सवाल नहीं, बल्कि यह देशभर के अन्नदाताओं की साझा मांग है।” उन्होंने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी मांगों को लेकर कृषि मंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा है, और सरकार से जल्द कदम उठाने की अपील की है।
कृषि मंत्रालय ने मांगी बैठक की तारीख
महापंचायत से पहले भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने देर रात एक पत्र भेजकर संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) को प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के लिए तारीख तय करने की बात कही है। इससे यह संकेत मिला है कि सरकार कुछ मांगों पर चर्चा को लेकर तैयार है।
बता दें, यह महापंचायत करीब चार साल बाद हो रही है, जब 2020–21 में किसान आंदोलन के चलते सरकार को तीन कृषि कानून वापस लेने पड़े थे। उस आंदोलन के बाद अब किसान दोबारा MSP पर कानून, अंतरराष्ट्रीय समझौते से सुरक्षा और कानूनी मामलों की वापसी की मांग को लेकर जुटे हैं।
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