National News (राष्ट्रीय कृषि समाचार)

खाद्यान्न व चीनी की पैकेजिंग में जूट के थैलों का होगा उपयोग, 40 लाख किसानों को मिलेगा फायदा

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22 दिसम्बर 2023, नई दिल्ली: खाद्यान्न व चीनी की पैकेजिंग में जूट के थैलों का होगा उपयोग, 40 लाख किसानों को मिलेगा फायदा – आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने 8 दिसंबर 2023 को जेपीएम अधिनियम, 1987 के तहत जूट वर्ष 2023-24 के लिए जूट पैकेजिंग सामग्री के लिए आरक्षण मानदंडों को मंजूरी दे दी हैं। इसके तहत 100 फीसदी खाद्यान्न और 20 फीसदी चीनी को जूट के थैलों में पैक करना अनिवार्य रहेगा।

इस फैसले से जूट मिलों और सहायक इकाइयों में काम करने वाले 4 लाख श्रमिकों को राहत मिलने के साथ ही लगभग 40 लाख किसान परिवारों को समर्थन मिलेगा। पैकेजिंग के लिए स्वीकृत आरक्षण, जूट वर्ष 2023-24 के लिए प्रभावी होगा, जो 1 जुलाई 2023 और 30 जून 2024 के बीच है। वर्तमान प्रस्ताव में निहित आरक्षण संबंधी मानदंड भारत को ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना के अनुरूप आत्मनिर्भर बनाते हुए देश में कच्चे जूट और जूट पैकेजिंग सामग्री के घरेलू उत्पादन के हितों की रक्षा करेंगे।

40 लाख किसानों को होगा फायदा

जेपीएम अधिनियम के तहत आरक्षण संबंधी मानदंड जूट के क्षेत्र में 4 लाख श्रमिकों और 40 लाख किसानों को सीधे रोजगार प्रदान करते हैं। जेपीएम अधिनियम, 1987 जूट किसानों, श्रमिकों और जूट के सामान के उत्पादन में लगे लोगों के हितों की रक्षा करता है। जूट उद्योग के कुल उत्पादन का 75 प्रतिशत हिस्सा जूट के थैले हैं, जिसमें से 85 प्रतिशत हिस्से को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) एवं राज्य खरीद एजेंसियों (एसपीए) को आपूर्ति की जाती है और शेष को सीधे निर्यात / बेचा जाता है।

पर्यावरण की रक्षा में भी मिलेगी मदद

जूट पैकेजिंग सामग्री के आरक्षण तहत देश में उत्पादित कच्चे जूट (2022-23 में) का लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा खपत होता है। वही इस निर्णय से पर्यावरण की रक्षा में मदद मिलेगी क्योंकि जूट प्राकृतिक, जैविक रूप से अपघटित होने योग्य, नवीकरणीय एवं पुनः उपयोग योग्य रेशा है और इसलिए यह टिकाऊ होने के सभी मानकों को पूरा करता है।

12 हजार करोड़ के जूट थैले खरीदती हैं सरकार

भारत सरकार खाद्यान्नों की पैकिंग के लिए हर साल लगभग 12,000 करोड़ रुपये मूल्य के जूट की बोरियां खरीदती है। यह कदम जूट किसानों एवं श्रमिकों की उपज के लिए गारंटीकृत बाजार सुनिश्चित करता है।

जूट उद्योग आम तौर पर भारत की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और विशेष तौर पर पूर्वी क्षेत्र यानी पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, त्रिपुरा, मेघालय, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह पूर्वी क्षेत्र, विशेषकर पश्चिम बंगाल के प्रमुख उद्योगों में से एक है।

जूट की बोरियों का औसत उत्पादन लगभग 30 लाख गांठ (9 लाख मीट्रिक टन) है और सरकार जूट किसानों, श्रमिकों तथा जूट उद्योग में लगे लोगों के हितों की रक्षा के लिए जूट की बोरियों के उत्पादन का पूरा उठाव सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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