भारतीय कॉफी का वैश्विक बाजार में दबदबा, निर्यात में दोगुनी बढ़ोतरी
22 जनवरी 2025, नई दिल्ली: भारतीय कॉफी का वैश्विक बाजार में दबदबा, निर्यात में दोगुनी बढ़ोतरी – भारतीय कॉफी की दुनिया भर में बढ़ती लोकप्रियता ने इसके निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत का कॉफी निर्यात 1.29 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो 2020-21 में 719.42 मिलियन डॉलर था। यह लगभग 79% की वृद्धि को दर्शाता है।
कॉफी उत्पादन और निर्यात: बढ़ते आंकड़े
भारत विश्व में कॉफी उत्पादन के मामले में सातवें स्थान पर है। देश का लगभग 70% कॉफी उत्पादन निर्यात के लिए उपयोग होता है। प्रमुख निर्यात गंतव्यों में इटली, बेल्जियम और रूस शामिल हैं। जनवरी 2025 की पहली छमाही में भारत ने 9,300 टन से अधिक कॉफी का निर्यात किया। भारत का उत्पादन मुख्य रूप से अरेबिका और रोबस्टा किस्मों पर आधारित है, जिनका अधिकांश हिस्सा बिना भुने बीन्स के रूप में निर्यात किया जाता है। हालांकि, रोस्टेड और इंस्टेंट कॉफी की बढ़ती मांग ने भी निर्यात को गति दी है।
घरेलू खपत में बढ़ोतरी
भारत में कॉफी की खपत भी लगातार बढ़ रही है। 2012 में 84,000 टन से बढ़कर यह 2023 में 91,000 टन तक पहुंच गई है, जो 8.3% की वृद्धि को दर्शाती है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कैफे संस्कृति के विस्तार और कॉफी की बढ़ती लोकप्रियता ने इस खपत को बढ़ावा दिया है।
भारतीय कॉफी मुख्य रूप से कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के जैव विविधता वाले क्षेत्रों में उगाई जाती है। 2022-23 में कर्नाटक ने 248,020 टन कॉफी उत्पादन किया, जबकि केरल और तमिलनाडु का उत्पादन क्रमशः 69,110 टन और 17,875 टन था। ये छायादार बागान न केवल कॉफी उत्पादन में योगदान करते हैं, बल्कि पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कुल मिलाकर, ये क्षेत्र जैव विविधता वाले हॉटस्पॉट का संरक्षण सुनिश्चित करते हैं।
उद्योग के विकास के लिए पहल
भारतीय कॉफी बोर्ड ने “एकीकृत कॉफी विकास परियोजना” (आईसीडीपी) जैसे कार्यक्रम शुरू किए हैं, जो उत्पादन सुधार, गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में खेती के विस्तार और स्थिरता सुनिश्चित करने पर केंद्रित हैं।
अराकू घाटी में सफलता की कहानी: अराकू घाटी में, लगभग 150,000 आदिवासी परिवारों ने कॉफी उत्पादन में 20% वृद्धि की है। यह उपलब्धि कॉफी बोर्ड और एकीकृत आदिवासी विकास एजेंसी (आईटीडीए) के सहयोग से संभव हुई है। इस पहल को गिरिजन सहकारी निगम (जीसीसी) द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की गई है।
निर्यात और वैश्विक प्रतिस्पर्धा
भारत के कॉफी निर्यात में निरंतर वृद्धि ने इसे वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक बनाए रखा है। वर्ष 2023-24 में अरेबिका और रोबस्टा किस्मों का वैश्विक बाजार में महत्वपूर्ण योगदान रहा।
घरेलू उत्पादन और निर्यात का अनुपात: अरेबिका और रोबस्टा किस्मों का लगभग 70% निर्यात किया जाता है, जबकि शेष उत्पादन घरेलू खपत को पूरा करता है।
भारतीय कॉफी उद्योग, अपनी अनूठी विशेषताओं और बढ़ती मांग के चलते, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में प्रगति कर रहा है। निर्यात में यह बढ़ोतरी भारत के कॉफी उत्पादकों और संबंधित समुदायों के लिए नए अवसर लेकर आई है, जिससे न केवल उनकी आय बढ़ी है बल्कि भारत को वैश्विक कॉफी बाजार में मजबूती से स्थापित करने में मदद मिली है।
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