बागवानी में आत्मनिर्भर बनेगा भारत, सेब-केसर की फसलों का भी होगा बीमा: शिवराज सिंह
10 जुलाई 2025, नई दिल्ली: बागवानी में आत्मनिर्भर बनेगा भारत, सेब-केसर की फसलों का भी होगा बीमा: शिवराज सिंह – केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में श्रीनगर स्थित शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (SKUAST-K), शालीमार का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने सेब, केसर सहित अन्य बागवानी फसलों पर हो रहे अनुसंधान कार्यों और नवाचारों का जायज़ा लिया और वैज्ञानिकों, किसानों व कृषि विद्यार्थियों से संवाद किया।
इस दौरान मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने और खेती को लाभदायक बनाने का काम खेत में उतरे बिना संभव नहीं है, इसलिए वे लगातार खेतों और किसानों से मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत वैज्ञानिकों को गांव-गांव भेजा गया, जहां उन्होंने किसानों से संवाद कर उनकी ज़मीनी समस्याएं जानीं और उनके नवाचारों को समझा।
जम्मू-कश्मीर के लिए खास योजनाएं
श्री चौहान ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की कृषि भूमि सेब और केसर जैसी फसलों के लिए बेहद उपयुक्त है और यहां क्लाइमेट चेंज के कारण ओलावृष्टि जैसी आपदाएं अक्सर नुकसान पहुंचाती हैं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि राज्य की जरूरतों के मुताबिक योजनाओं में बदलाव किया जाएगा। उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार की योजना है कि अब बागवानी फसलों का भी बीमा हो ताकि नुकसान की भरपाई हो सके।” प्रधानमंत्री जी की मंशा है कि हार्टिकल्चर फसल का भी बीमा हो, और हम यह सुनिश्चित करेंगे।”
विदेशी सेब पर रोक, कश्मीर सेब को बढ़ावा
कृषि मंत्री ने कहा कि भारत को बागवानी के मामले में आत्मनिर्भर बनाना है। उन्होंने कहा कि विदेशों से फल क्यों आयात करें, जबकि भारत के पास खुद की उपज बढ़ाने की पूरी क्षमता है। उन्होंने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) को निर्देश दिए गए हैं कि सेब और केसर जैसी फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए नई किस्मों और तकनीकों पर शोध किया जाए। इसके साथ ही मंत्री ने बताया कि सरकार सेब के आयात पर ड्यूटी बढ़ाने जैसे कदम भी उठा सकती है, ताकि विदेशी फल महंगे हो जाएं और भारतीय किसानों का उत्पादन बाजार में बेहतर दाम पा सके।
ट्रांसपोर्टेशन की समस्या पर भी फोकस
शिवराज सिंह ने कहा कि कश्मीर के उत्पादों को जल्दी देश के बाकी हिस्सों में पहुंचाने के लिए रेल मंत्रालय से बातचीत की जाएगी। इससे सेब, केसर जैसी उत्पादों का बाजार और बेहतर होगा।
किसानों से जुड़ने का वादा
श्री चौहान ने संवाद के दौरान किसानों को भरोसा दिलाया कि वे सीधे उनके संपर्क में रह सकते हैं। उन्होंने कहा, “आपके और मेरे बीच सिर्फ एक फोन कॉल की दूरी है, ज़रूरत हो तो मैं दिल्ली में भी मिलने को तैयार हूं।” इसके अलावा, मंत्री ने विश्वविद्यालय में मधुमक्खी पालकों, नर्सरी संचालकों और कोल्ड स्टोरेज मालिकों से भी चर्चा की और बागवानी मूल्य श्रृंखला के हितधारकों से मिले सुझावों को सराहा।
उन्होंने जीआई टैगिंग, किसानों को सब्सिडी और बागवानी विकास मिशन (MIDH) जैसी योजनाओं को लेकर स्थानीय लोगों द्वारा जताए गए विश्वास के लिए आभार जताया और कहा कि सरकार किसानों की हर समस्या का समाधान गंभीरता से करेगी।
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