भारत में बनेगा नया जीन बैंक: फसलों का डीएनए होगा सुरक्षित
06 मार्च 2025, नई दिल्ली: भारत में बनेगा नया जीन बैंक: फसलों का डीएनए होगा सुरक्षित – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 मार्च, 2025 को आयोजित एक वेबिनार में घोषणा की कि भारत में दूसरे जीन बैंक की स्थापना की जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य देश के आनुवंशिक संसाधनों को संरक्षित करना और भावी पीढ़ियों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है। यह पहल वैश्विक जैवविविधता संरक्षण में भारत की भूमिका को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
जीन बैंक आनुवंशिक सामग्री का भंडार होता है, जहां बीज, पराग और ऊतक जैसे नमूनों को संग्रहीत किया जाता है। यह संरक्षण पौधों की विभिन्न प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने और भविष्य में उनके उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है। जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और अन्य चुनौतियों के कारण दुनिया भर में आनुवंशिक विविधता खतरे में है, ऐसे में जीन बैंक का निर्माण एक सुरक्षा उपाय के रूप में देखा जा रहा है।
दूसरे जीन बैंक की जरूरत क्यों?
भारत जैव विविधता के लिहाज से समृद्ध देश है, जहां 800 से ज्यादा खेती की जाने वाली फसल प्रजातियां और 900 से ज्यादा उनके जंगली रिश्तेदार मौजूद हैं। जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और बदलती वैश्विक परिस्थितियों के चलते आनुवंशिक विविधता को खतरा बढ़ रहा है। ऐसे में, नया जीन बैंक लंबे समय तक बीज और पौधों की अहम किस्मों को संरक्षित करने में मदद करेगा, जिससे खेती और खाद्य उत्पादन सुरक्षित रहेगा।
पहला जीन बैंक और इसकी उपलब्धियां
भारत का पहला जीन बैंक 1996 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर)-राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीपीजीआर) ने नई दिल्ली में शुरू किया था। इस बैंक में अभी तक 4.7 लाख से ज्यादा जर्मप्लाज्म (पौधों के आनुवंशिक घटक) संरक्षित किए जा चुके हैं।
जनवरी 2025 तक इस जीन बैंक में 4.7 लाख से ज्यादा पौधों की किस्में संरक्षित हैं, जिनमें 1.7 लाख अनाज, 60,600 बाजरा, 69,200 दालें, 63,500 तिलहन और लगभग 30,000 सब्जियों की किस्में शामिल हैं।
नए जीन बैंक की खासियत
सरकार ने 2025-26 के बजट में दूसरे राष्ट्रीय जीन बैंक की स्थापना की घोषणा की है। इसमें 10 लाख (1 मिलियन) जर्मप्लाज्म लाइनें संरक्षित करने की क्षमता होगी। यह सुविधा किसानों, वैज्ञानिकों और कृषि अनुसंधानकर्ताओं के लिए बड़ा सहारा बनेगी।
दूसरे जीन बैंक के बनने से भारत वैश्विक जैवविविधता संरक्षण में बड़ी भूमिका निभा सकेगा। यह जीन बैंक सार्क और ब्रिक्स देशों के अलावा उन देशों को भी मदद देगा, जिनके पास अपने आनुवंशिक संसाधनों को संरक्षित करने के लिए मजबूत आधारभूत ढांचा नहीं है।
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