सरकार ने दूध के आयात की अनुमति दी; किसानों ने जताया विरोध
30 जून 2024, नई दिल्ली: सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा 26 जून 2024 को जारी अधिसूचना के तहत सरकार ने टैरिफ रेट कोटा (TRQ) के अंतर्गत 10,000 मीट्रिक टन दूध के पाउडर, ग्रेन्यूल या अन्य ठोस रूपों में दूध के आयात की अनुमति दी है। TRQ एक ऐसी व्यवस्था है जो किसी निश्चित मात्रा तक कम शुल्क दर पर आयात की अनुमति देता है, जबकि उस मात्रा से अधिक आयात पर उच्च शुल्क दर लागू होती है।
पिछले दस वर्षों में, भारत के दूध उत्पादन में ज़बरदस्त रूप से वृद्धि हुई है। 2018-19 में 187.30 मिलियन टन से 2022-23 में 230.58 मिलियन टन तक उत्पादन बढ़ा है, जो 6% के संयोजित वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) का संकेत देता है। 2022-23 में भारत में औसत दैनिक दूध उपलब्धता 459 ग्राम थी, जबकि 2022 में वैश्विक औसत 322 ग्राम थी।
किसान असंतोष और बाजार की स्थिति
किसानों को दूध के लिए 24 से 26 रुपये प्रति लीटर का मूल्य मिलता है और अधिकतम मूल्य 28 रुपये लीटर, जबकि बाजार में फुल फैट दूध की कीमत 68 रुपये प्रति लीटर और कम फैट वाले दूध की कीमत 56 रुपये प्रति लीटर है। हाल ही में दूध के बड़े वितरक अमूल और मदर डेयरी ने दूध की कीमत में 2 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की है।
किसानों का कहना है कि उन्हें दूध के लिए जो मूल्य मिलता है, वह उनके उत्पादन लागत को भी कवर नहीं करता। सरकार के इस निर्णय से अधिकतम किसान असंतुष्ट और निराश हैं। एक दुधारू पशु को पर्याप्त मात्रा में सूखा और हरा चारा चाहिए। दूध के कारोबार से होने वाली आय कम होने के कारण एक औसत किसान के लिए गायों और भैंसों को अच्छा चारा खिलाना पहले से ही मुश्किल है। दूध उत्पादक किसान की हालत अभी तो नहीं दिख रही है, लेकिन भविष्य में उत्पादन वृद्धि दर घटने पर यह स्थिति सामने आ सकती है।
FAO डेयरी मार्केट समीक्षा (2023) के अनुसार, 2023-24 में भारत का दूध उत्पादन 236.35 मिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष की तुलना में वैश्विक औसत वृद्धि दर को 2.5% से अधिक करता है। 2023 में वैश्विक दूध उत्पादन वृद्धि दर 1.3% थी, जबकि भारत की वृद्धि दर इससे काफी अधिक रही है।
दूध पाउडर का आयात भारतीय किसानों के लिए एक चिंता का विषय है। सरकार को इस मुद्दे पर संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, ताकि उपभोक्ताओं और किसानों दोनों के हितों की रक्षा की जा सके। आगामी दिनों में सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदम यह निर्धारित करेंगे कि दूध के बाजार में स्थिरता कैसे आएगी और किसानों के हित कैसे सुरक्षित रहेंगे।