वैश्विक मृदा कॉन्फ्रेंस 2024: विज्ञान और किसानों की दूरी कम करने पर जोर– केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान
20 नवंबर 2024, नई दिल्ली: वैश्विक मृदा कॉन्फ्रेंस 2024: विज्ञान और किसानों की दूरी कम करने पर जोर– केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान – केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली स्थित पूसा में आयोजित वैश्विक मृदा कॉन्फ्रेंस 2024 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने मिट्टी के संरक्षण और उर्वरकता बनाए रखने की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “मिट्टी निर्जीव नहीं है, यह सजीव है। यदि मिट्टी स्वस्थ नहीं है तो जीवन भी स्वस्थ नहीं हो सकता।”
श्री चौहान ने भारतीय संस्कृति के सिद्धांतों का जिक्र करते हुए कहा कि “हमारी धरती पर जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों का भी अधिकार है। इसलिए मिट्टी का संरक्षण सिर्फ राष्ट्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक जिम्मेदारी है।”
कृषि क्षेत्र में भारत की प्रगति
उन्होंने कहा कि हरित क्रांति और रेनबो क्रांति ने भारत को खाद्य सुरक्षा प्रदान की और कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रमुख स्तंभ बनाया। आज भारत 330 मिलियन टन खाद्यान्न का उत्पादन करता है और वैश्विक खाद्य व्यापार में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
हालांकि, इस प्रगति के साथ मिट्टी के स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़े हैं। कैमिकल फर्टिलाइजर के अत्यधिक उपयोग, प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन और अस्थिर मौसम ने मिट्टी पर दबाव डाला है। उन्होंने बताया कि “भारत की 30 प्रतिशत मिट्टी खराब हो चुकी है।”
सरकार की पहलें और योजनाएं
श्री चौहान ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की शुरुआत 2015 में हुई थी। अब तक 220 मिलियन से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को वितरित किए जा चुके हैं। इसके साथ ही प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-पर ड्रॉप मोर क्रॉप और जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए नॉर्थ-ईस्ट जैविक विकास कार्यक्रम जैसे प्रयास किए गए हैं।
उन्होंने परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत 2 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर जैविक खेती को अपनाने की चर्चा की, जिससे सिंथेटिक उर्वरकों पर निर्भरता घटी है। इसके अतिरिक्त, नीम-कोटेड उर्वरकों और जैव उर्वरकों के उपयोग को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।
नई पहलें और चुनौतियां
श्री चौहान ने कहा कि “हम प्राकृतिक खेती को मिशन के रूप में आगे बढ़ा रहे हैं।” इसके तहत किसानों को कैमिकल फर्टिलाइजर के उपयोग से बचाने और मिट्टी की उर्वरकता बनाए रखने के लिए एकीकृत पोषक तत्व और जल प्रबंधन विधियों को अपनाने का सुझाव दिया गया है।
उन्होंने आधुनिक कृषि चौपाल कार्यक्रम की भी घोषणा की, जिसके तहत वैज्ञानिक किसानों से सीधे संवाद करेंगे, जानकारी साझा करेंगे और उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे।
श्री चौहान ने युवाओं, छात्राओं और शोधकर्ताओं को मिट्टी की चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि “कृषि एक लाभदायक और सम्मानजनक पेशा है, जिसमें युवाओं की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है।”
वैश्विक साझेदारी का आह्वान
उन्होंने सम्मेलन में उपस्थित वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं और अन्य हितधारकों से टिकाऊ भूमि प्रबंधन और मिट्टी के संरक्षण के लिए सहयोग करने का आह्वान किया। “यह सम्मेलन वैश्विक समाधानों पर विचार करने का एक उत्कृष्ट अवसर है। हमें ऐसी तकनीकों और नीतियों को लागू करना होगा जो सभी के लिए लाभकारी हों।”
विशेष अतिथियों की उपस्थिति
इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद, आईसीएआर के पूर्व महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र और आईसीएआर के वर्तमान महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक उपस्थित थे।
श्री चौहान ने अपने संबोधन के अंत में सभी से टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्धता जताने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “हमारी मिट्टी का संरक्षण न केवल किसानों बल्कि पूरी मानवता और पर्यावरण के लिए आवश्यक है।”
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