मत्स्य कृषक दिवस पर मछुआरों को सौगात: देशभर में बनेंगे 17 नए मत्स्य समूह, बढ़ेगा रोजगार और उत्पादन
14 जुलाई 2025, नई दिल्ली: मत्स्य कृषक दिवस पर मछुआरों को सौगात: देशभर में बनेंगे 17 नए मत्स्य समूह, बढ़ेगा रोजगार और उत्पादन – मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत मत्स्य पालन विभाग ने 10 जुलाई 2025 को भुवनेश्वर, ओडिशा स्थित आईसीएआर- केंद्रीय मीठा जल कृषि संस्थान (सीआईएफए) में राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस 2025 मनाया। इस आयोजन का उद्देश्य मछुआरों, मछली पालकों और उनके समुदायों के योगदान को सम्मान देना और मत्स्य क्षेत्र में उनके प्रयासों की सराहना करना था।
इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य व पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत देशभर में 17 नए मत्स्य समूहों का शुभारंभ किया। ये नए समूह पहले से मौजूद 17 समूहों के अतिरिक्त हैं, जिससे कुल संख्या 34 हो गई है। इसके अलावा 11 राज्यों में 105 करोड़ रुपये की लागत वाली 70 परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया गया।
कार्यक्रम के दौरान आईसीएआर प्रशिक्षण कैलेंडर, बीज प्रमाणीकरण और हैचरी संचालन संबंधी दिशानिर्देशों का अनावरण किया गया। साथ ही पारंपरिक मछुआरों, सहकारी समितियों, एफएफपीओ, किसान क्रेडिट कार्डधारकों और मत्स्यपालन स्टार्ट-अप्स को सम्मानित किया गया।
भारत बना देश का दूसरा बड़ा मछली उत्पादक
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत आज विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, जिसमें अंतर्देशीय मत्स्य पालन का योगदान 75% से अधिक है। यह क्षेत्र 3 करोड़ से अधिक लोगों को पोषण और आजीविका देता है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अब तक 38,572 करोड़ रुपये का ऐतिहासिक निवेश किया गया है।
सरकार ने उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी, सहयोगात्मक योजना और राष्ट्रीय प्रशिक्षण ढांचे पर ध्यान केंद्रित किया है। परिणामों की निगरानी के साथ 2047 तक एक समावेशी और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी मत्स्य क्षेत्र विकसित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने नीली क्रांति के विज़न पर प्रकाश डाला और कहा कि इससे किसानों की आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी। आईसीएआर संस्थानों द्वारा विकसित तकनीकों ने मछली उत्पादन में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
195 लाख टन उत्पादन और सामुदायिक योगदान
राज्य मंत्री श्री जॉर्ज कुरियन ने 195 लाख टन के रिकॉर्ड मत्स्य उत्पादन को मछुआरों की मेहनत का नतीजा बताया और उनके प्रयासों की सराहना की। उन्होंने भविष्य में और अधिक समृद्धि के लिए निरंतर प्रयास की आवश्यकता जताई।
नई रणनीति के तहत जिन राज्यों में समूह विकास किया जाएगा, उनमें शामिल हैं: हजारीबाग (पर्ल ग्रुप), लक्षद्वीप (समुद्री शैवाल), मदुरै (सजावटी मत्स्य पालन), मध्यप्रदेश (जलाशय), गुजरात (मछली बंदरगाह), सिरसा (खारा पानी), जम्मू-कश्मीर (ठंडा पानी), कर्नाटक (समुद्री पिंजरा), आंध्र प्रदेश (खारा पानी), अंडमान-निकोबार (टूना), छत्तीसगढ़ (तिलापिया), सिक्किम (जैविक), बिहार (आर्द्रभूमि), तेलंगाना (मुर्रेल), केरल (पर्ल स्पॉट), ओडिशा (स्कैम्पी), यूपी (पंगेशियस)।
साथ ही पंजाब-राजस्थान (खारा पानी), उत्तराखंड-हिमाचल-लद्दाख (ठंडा पानी), पश्चिम बंगाल (सूखी मछली), पुडुचेरी (बंदरगाह), नागालैंड (एकीकृत), मणिपुर (पेंगबा), असम (नदी मछली), मिजोरम (धान सह मछली), अरुणाचल (एक्वा पर्यटन), गोवा (मुहाना पिंजरा), त्रिपुरा (पाबड़ा), महाराष्ट्र (सहकारी समूह), मेघालय (जैविक) जैसे राज्य भी शामिल है।
रोजगार के नए अवसर होंगे सृजित
इन समूहों के माध्यम से उत्पादन से लेकर निर्यात तक की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला को मजबूत किया जाएगा। यह मॉडल प्रतिस्पर्धा, नवाचार, लागत कटौती और सतत विकास को बढ़ावा देगा। साथ ही, इससे रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।
इन समूहों को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, नाबार्ड, MSME मंत्रालय, मत्स्य पालन विभाग और अन्य संस्थाओं से सहयोग प्राप्त होगा। योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के साथ अभिसरण की संभावनाएं भी तलाशी जाएंगी।
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